युद्ध के कारण लोग जंगलों में चले गए। उन्होंने वहाँ भूमि पर पड़ा एक शहद का छत्ता देखा। इस्राएली उस स्थान पर आए जहाँ शहद का छत्ता था। लोग भूखे थे, किन्तु उन्होंने तनिक भी शहद नहीं पिया। वे उस प्रतिज्ञा को तोड़ने से भयभीत थे।
मैं अब जाऊँगा और मिस्रियों से अपने लोगों को बचाऊँगा। मैं उन्हें उस देश से निकालूँगा और उन्हें मैं एक अच्छे देश में ले जाऊँगा जहाँ वे कष्टों से मुक्त हो सकेंगे। जो अनेक अच्छी चीजों से भरा पड़ा है। उस प्रदेश में विभिन्न लोग रहते हैं। कनानी, हित्ती, एमोरी, परिज्जी हिब्बी और यबूसी।
उन लोगों ने मूसा से यह कहा, “हम लोग उस प्रदेश में गए जहाँ आपने हमें भजा। वह प्रदेश अत्यधिक अच्छा है यहाँ दूध और मधु की नदियाँ बह रही हैं! ये वे कुछ फल हैं जिन्हें हम लोगों ने वहाँ पाया
यदि तू अपने लोगों को दण्ड देगा तो मिस्री कह सकते हैं, ‘यहोवा अपने लोगों को उस देश में ले जाने में समर्थ नहीं था जिसमें ले जाने का उसने वचन दिया था और वह उनसे घृणा करता था। इसलिए वह उन्हें मारने के लिए मरुभूमि में ले गया।’
शिमशोन ने अपने हाथ से कुछ शहद निकाला। वह शहद चाटता हुआ रास्ते पर चल पड़ा। जब वह अपने मात—पिता के पास आया तो उसने उन्हें कुछ शहद दिया। उन्होंने भी उसे खाया किन्तु शिमशोन ने अपने माता—पिता को नहीं बताया कि उसने मरे सिंह के शरीर से शहद लिया है।
किन्तु शाऊल ने उस दिन एक बड़ी गलती की। इस्राएली भूखे और थके थे। यह इसलिए हुआ कि शाऊल ने लोगों को यह प्रतिज्ञा करने को विवश कियाः शाऊल ने कहा, “यदि कोई व्यक्ति सन्ध्या होने से पहले भोजन करता है अथवा मेरे द्वारा शत्रु को पराजित करने के पहले भोजन करता है तो वह व्यक्ति दण्डित किया जाएगा!” इसलिए किसी भी इस्राएली सैनिक ने भोजन नहीं किया।