“अब, हे यहोवा परमेश्वर उठ और अपने विशेष स्थान पर आ, जहाँ साक्षीपत्र का सन्दूक, तेरी शक्ति प्रदर्शित करता है। अपने याजकों को मुक्ति धारण करने दे। हे यहोवा, परमेश्वर! अपने पवित्र लोगों को अपनी अच्छाई में प्रसन्न होने दे।
1 पतरस 5:5 - पवित्र बाइबल इसी प्रकार हे नव युवकों! तुम अपने धर्मवृद्धों के अधीन रहो। तुम एक दूसरे के प्रति विनम्रता धारण करो, क्योंकि “परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करता है किन्तु दीन जनों पर सदा अनुग्रह रहता है।” Hindi Holy Bible हे नवयुवकों, तुम भी प्राचीनों के आधीन रहो, वरन तुम सब के सब एक दूसरे की सेवा के लिये दीनता से कमर बान्धे रहो, क्योंकि परमेश्वर अभिमानियों का साम्हना करता है, परन्तु दीनों पर अनुग्रह करता है। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) और तुम, नवयुवको! धर्मवृद्धों की अधीनता स्वीकार करो। आप सब नम्रतापूर्वक एक दूसरे की सेवा के लिए कमर कस कर तैयार रहें; क्योंकि परमेश्वर घमण्डियों का विरोध करता है, किन्तु वह विनम्र लोगों पर दया करता है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) इसी प्रकार हे नवयुवको, तुम भी प्राचीनों के अधीन रहो, वरन् तुम सब के सब एक दूसरे की सेवा के लिये दीनता से कमर बाँधे रहो, क्योंकि “परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करता है, परन्तु दीनों पर अनुग्रह करता है।” नवीन हिंदी बाइबल इसी प्रकार, हे जवानो, तुम भी प्रवरों के अधीन रहो। तुम सब एक दूसरे के प्रति दीनता को धारण कर लो, क्योंकि परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करता है, परंतु दीनों पर अनुग्रह करता है। सरल हिन्दी बाइबल इसी प्रकार युवाओ, तुम प्राचीनों के अधीन रहो तथा तुम सभी एक दूसरे के प्रति दीनता की भावना धारण करो क्योंकि, “परमेश्वर घमंडियों के विरुद्ध रहते और दीनों को अनुग्रह देते हैं.” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 हे नवयुवकों, तुम भी वृद्ध पुरुषों के अधीन रहो, वरन् तुम सब के सब एक दूसरे की सेवा के लिये दीनता से कमर बाँधे रहो, क्योंकि “परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करता है, परन्तु दीनों पर अनुग्रह करता है।” |
“अब, हे यहोवा परमेश्वर उठ और अपने विशेष स्थान पर आ, जहाँ साक्षीपत्र का सन्दूक, तेरी शक्ति प्रदर्शित करता है। अपने याजकों को मुक्ति धारण करने दे। हे यहोवा, परमेश्वर! अपने पवित्र लोगों को अपनी अच्छाई में प्रसन्न होने दे।
परमेश्वर महान है, किन्तु वह दीन जन का ध्यान रखता है। परमेश्वर को अहंकारी लोगों के कामों का पता है किन्तु वह उनसे दूर रहता है।
उत्तम वह है जो तुझसे कहे, “आ यहाँ, आ जा” अपेक्षा इसके कि कुलीन जन के समक्ष वह तेरा निरादर करें।
वह जो ऊँचा है और जिसको ऊपर उठाया गया है, वह जो अमर है, वह जिसका नाम पवित्र है, वह यह कहता है, “एक ऊँचे और पवित्र स्थान पर रहा करता हूँ, किन्तु मैं उन लोगों के बीच भी रहता हूँ जो दु:खी और विनम्र हैं। ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो मन से विनम्र हैं। ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो मन से विनम्र हैं। ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो हृदय से दु:खी हैं।
यहोवा मुझको अति प्रसन्न करता है। मेरा सम्पूर्ण व्यक्तित्व परमेश्वर में स्थिर है और प्रसन्नता में मगन है। यहोवा ने उद्धार के वस्त्र से मुझको ढक लिया। वे वस्त्र ऐसे ही भव्य हैं जैसे भव्य वस्त्र कोई पुरूष अपने विवाह के अवसर पर पहनता है। यहोवा ने मुझे नेकी के चोगे से ढक लिया है। यह चोगा वैसा ही सुन्दर है जैसा सुन्दर किसी नारी का विवाह वस्त्र होता है।
मैंने स्वयं ही ये सारी वस्तुएँ रची हैं। ये सारी वस्तुएँ यहाँ टिकी हैं क्योंकि उन्हें मैंने बनाया है। यहोवा ने ये बातें कहीं थी। मुझे बता कि मैं कैसे लोगों की चिन्ता किया करता हूँ मुझको दीन हीन लोगों की चिंता है। ये ही वे लोग हैं जो बहुत दु:खी रहते हैं। ऐसे ही लोगों की मैं चिंता किया करता हूँ जो मेरे वचनो का पालन किया करते हैं।
तब समुद्र तट के देशों के सभी प्रमुख अपने सिंहासनों से उतरेंगे और अपना दु:ख प्रकट करेंगे। वे अपनी विशेष पोशाक उतारेंगे। वे अपने सुन्दर वस्त्रों को उतारेंगे। तब वे अपने काँपने के वस्त्र (भय) पहनेंगे। वे भूमि पर बैठेंगे और भय से काँपेंगे। वे इस पर शोकग्रस्त होंगे कि तुम इतने शीघ्र कैसे नष्ट हो गए।
उत्तर की सेना पराजित हो जायेगी, और उन सैनिकों को कहीं ले जाया जायेगा। दक्षिणी राजा को बहुत अभिमान हो जायेगा और वह उत्तरी सेना के हजारों सैनिकों को मौत के घाट उतार देगा। किन्तु वह इसी प्रकार से सफलता नहीं प्राप्त करता रहेगा।
“बूढ़े लोगों का सम्मान करो। जब वे कमरे में आएँ तो खड़े हो जाओ। अपने परमेश्वर का सम्मान करो। मैं यहोवा हूँ!”
किन्तु तुम वैसै नहीं हो बल्कि तुममें तो सबसे बड़ा सबसे छोटे जैसा होना चाहिये और जो प्रमुख है उसे सेवक के समान होना चाहिए।
भाई चारे के साथ एक दूसरे के प्रति समर्पित रहो। आपस में एक दूसरे को आदर के साथ अपने से अधिक महत्व दो।
बल्कि प्रभु यीशु मसीह को धारण करें। और अपनी मानव देह की इच्छाओं को पूरा करने में ही मत लगे रहो।
ईर्ष्या और बेकार के अहंकार से कुछ मत करो। बल्कि नम्र बनो तथा दूसरों को अपने से उत्तम समझो।
क्योंकि तुम परमेश्वर के चुने हुए पवित्र और प्रियजन हो इसलिए सहानुभूति, दया, नम्रता, कोमलता और धीरज को धारण करो।
किसी बड़ी आयु के व्यक्ति के साथ कठोरता से मत बोलो, बल्कि उन्हें पिता के रूप में देखते हुए उनके प्रति विनम्र रहो। अपने से छोटों के साथ भाइयों जैसा बर्ताव करो।
अपने मार्ग दर्शकों की आज्ञा मानो। उनके अधीन रहो। वे तुम पर ऐसे चौकसी रखते हैं जैसे उन व्यक्तियों पर रखी जाती है जिनको अपना लेखा जोखा उन्हें देना है। उनकी आज्ञा मानो जिससे उनका कर्म आनन्द बन जाए। न कि एक बोझ बने। क्योंकि उससे तो तुम्हारा कोई लाभ नहीं होगा।
किन्तु परमेश्वर ने हम पर अत्यधिक अनुग्रह दर्शाया है, इसलिए शास्त्र में कहा गया है, “परमेश्वर अभिमानियों का विरोधी है, जबकि दीन जनों पर अपनी अनुग्रह दर्शाता है।”
अन्त में तुम सब को समानविचार, सहानुभूतिशील, अपने बन्धुओं से प्रेम करने वाला, दयालु और नम्र बनना चाहिए।
जब मसीह ने शारीरिक दुःख उठाया तो तुम भी उसी मानसिकता को शास्त्र के रूप में धारण करो क्योंकि जो शारीरिक दुःख उठाता है, वह पापों से छुटकारा पा लेता है।
उन्हें जो अभी जीवित हैं या मर चुके हैं, अपने व्यवहार का लेखा-जोखा उस मसीह को देना होगा जो उनका न्याय करने वाला है।