2 इतिहास 6:41 - पवित्र बाइबल41 “अब, हे यहोवा परमेश्वर उठ और अपने विशेष स्थान पर आ, जहाँ साक्षीपत्र का सन्दूक, तेरी शक्ति प्रदर्शित करता है। अपने याजकों को मुक्ति धारण करने दे। हे यहोवा, परमेश्वर! अपने पवित्र लोगों को अपनी अच्छाई में प्रसन्न होने दे। अध्याय देखेंHindi Holy Bible41 अब हे यहोवा परमेश्वर, उठ कर अपने सामर्थ्य के सन्दूक समेत अपने विश्रामस्थान में आ, हे यहोवा परमेश्वर तेरे याजक उद्धाररूपी वस्त्र पहिने रहें, और तेरे भक्त लोग भलाई के कारण आनन्द करते रहें। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)41 ‘अब, हे मेरे परमेश्वर, उठ! तू और तेरे सामर्थ्य की मंजूषा अपने विश्राम-स्थान को जाएं। तेरे पुरोहित धार्मिकता से विभूषित हों, तेरी भलाई के कारण तेरे भक्त जय-जयकार करें। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)41 “अब हे यहोवा परमेश्वर, उठकर अपने सामर्थ्य के सन्दूक समेत अपने विश्रामस्थान में आ, हे यहोवा परमेश्वर, तेरे याजक उद्धाररूपी वस्त्र पहिने रहें, और तेरे भक्त लोग भलाई के कारण आनन्द करते रहें। अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल41 “इसलिये अब, याहवेह परमेश्वर, खुद आप और आपकी शक्ति संदूक, अपने विश्राम स्थल में आएं. याहवेह परमेश्वर, आपके पुरोहित उद्धार को कपड़ों के समान धारण करें. आपके श्रद्धालु उसी में आनंद लें, जो सही है. अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 201941 “अब हे यहोवा परमेश्वर, उठकर अपने सामर्थ्य के सन्दूक समेत अपने विश्रामस्थान में आ, हे यहोवा परमेश्वर तेरे याजक उद्धाररूपी वस्त्र पहने रहें, और तेरे भक्त लोग भलाई के कारण आनन्द करते रहें। अध्याय देखें |
शक्तिशाली नगरों को उन्होंने हरा दिया। कब्जा किया उपजाँऊ धरती पर उन्होंने। उत्तम वस्तुओं से भरे हुए ले लिए उन्होंने घर; खुदे हुए कुँओं को ले लिया उन्होंने। ले लिए उन्होंने थे बगीचे अँगूर के। जैतून के पेड़ और फलों के पेड़ भर पेट खाया वे करते थे सो वे हो गये मोटे। तेरी दी सभी अद्भुत वस्तुओं का आनन्द वे लेते थे।
यहोवा मुझको अति प्रसन्न करता है। मेरा सम्पूर्ण व्यक्तित्व परमेश्वर में स्थिर है और प्रसन्नता में मगन है। यहोवा ने उद्धार के वस्त्र से मुझको ढक लिया। वे वस्त्र ऐसे ही भव्य हैं जैसे भव्य वस्त्र कोई पुरूष अपने विवाह के अवसर पर पहनता है। यहोवा ने मुझे नेकी के चोगे से ढक लिया है। यह चोगा वैसा ही सुन्दर है जैसा सुन्दर किसी नारी का विवाह वस्त्र होता है।
सिय्योन के दु:खी लोगों को आदर देना (अभी तो उनके पास बस राख हैं); सिय्योन के लोगों को प्रसन्नता का स्नेह प्रदान करना; (अभी तो उनके पास बस दु:ख हैं) सिय्योन के लोगों को परमेश्वर की स्तुति के गीत प्रदान करना (अभी तो उनके पास बस उनके दर्द हैं); सिय्योन के लोगों को उत्सव के वस्त्र देना (अभी तो उनके पास बस उनके दु:ख ही हैं।) उन लोगों को ‘उत्तमता के वृक्ष’ का नाम देना; उन लोगों को यहोवा के अद्भुत वृक्ष की संज्ञा देना।”