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सभोपदेशक 7:25 - नवीन हिंदी बाइबल

मैंने अपना मन लगाया कि बुद्धि और समझ को जानूँ, उनकी छान-बीन करूँ और उन्हें खोजूँ; और यह भी जानूँ कि मूर्खता की बुराई और पागलपन की मूर्खता क्या है।

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पवित्र बाइबल

मैंने अध्ययन किया और सच्ची बुद्धि को पाने के लिये बहुत कठिन प्रयत्न किया। मैंने हर वस्तु का कोई हेतु ढूँढने का प्रयास किया किन्तु मैंने जाना क्या? मैंने जाना कि बुरा होना बेवकूफी है और मूर्ख व्यक्ति का सा आचरण करना पागलपन है।

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Hindi Holy Bible

मैं ने अपना मन लगाया कि बुद्धि के विषय में जान लूं; कि खोज निकालूं और उसका भेद जानूं, और कि दुष्टता की मूर्खता और मूर्खता जो निरा बावलापन है जानूं।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

मैंने यह जानने के लिए मन लगाया कि बुद्धि क्‍या है, सब का सार तत्‍व कहाँ है जिससे मुझे ज्ञात हो जाए कि मूर्खता अधर्म है, मूर्खता पागलपन है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

मैं ने अपना मन लगाया कि बुद्धि के विषय में जान लूँ; कि खोज निकालूँ और उसका भेद जानूँ, और कि दुष्‍टता की मूर्खता और मूर्खता जो निरा बावलापन है को जानूँ।

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सरल हिन्दी बाइबल

मैंने अपने हृदय से यह मालूम करने की कोशिश की कि बुद्धि और ज्ञान क्या हैं और दुष्ट की मूर्खता पता करूं और मूर्खता जो पागलपन ही है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

मैंने अपना मन लगाया कि बुद्धि के विषय में जान लूँ; कि खोज निकालूँ और उसका भेद जानूँ, और कि दुष्टता की मूर्खता और मूर्खता जो निरा बावलापन है, को जानूँ।

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सभोपदेशक 7:25
17 क्रॉस रेफरेंस  

जब याकूब के पुत्रों ने यह सुना तो वे बहुत उदास और क्रोधित होकर मैदान से लौट आए; क्योंकि शकेम ने याकूब की बेटी के साथ कुकर्म करके इस्राएल के विरुद्ध अपराध किया था, जो नहीं किया जाना चाहिए था।


मूर्खता से भरे हुए मूर्ख से मिलने की अपेक्षा ऐसी रीछनी से मिलना भला है जिसके बच्‍चे छीने गए हों।


जैसे कुत्ता अपनी उलटी को चाटता है, वैसे ही मूर्ख अपनी मूर्खता को दोहराता है।


उसके मुख से निकली बातों का आरंभ मूर्खतापूर्ण, और उनका अंत भारी पागलपन होता है।


तब मैं मुड़कर बुद्धि, पागलपन और मूर्खता पर विचार करने लगा। वह जो राजा का उत्तराधिकारी होगा, क्या करेगा? केवल वही जो पहले से किया गया है।


तब मैंने अपने मन में कहा, “जैसा मूर्ख का अंत होगा, वैसा मेरा भी होगा; फिर मेरे बुद्धिमान होने का क्या लाभ?” अतः मैंने अपने मन में कहा, “यह भी व्यर्थ है।”


तब मैं अपने मन में उस सारे परिश्रम के विषय निराश हुआ, जो मैंने संसार में किया था।


उपदेशक कहता है, “देख, मैंने सच्‍चाई को जानने के लिए एक-एक करके बातों को जोड़ने का प्रयास किया।