ऑनलाइन बाइबिल

विज्ञापनों


संपूर्ण बाइबिल पुराना वसीयतनामा नया करार




लूका 20:13 - नवीन हिंदी बाइबल

तब अंगूर के बगीचे के स्वामी ने कहा, ‘मैं क्या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा; हो सकता है किवे उसका सम्मान करें।’

अध्याय देखें

पवित्र बाइबल

“तब बगीचे का स्वामी कहने लगा, ‘मुझे क्या करना चाहिये? मैं अपने प्यारे बेटे को भेजूँगा।’

अध्याय देखें

Hindi Holy Bible

तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, मैं क्या करूं? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूंगा क्या जाने वे उसका आदर करें।

अध्याय देखें

पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

तब अंगूर-उद्यान के स्‍वामी ने कहा, ‘मैं क्‍या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा। सम्‍भव है, वे उसका आदर करें।’

अध्याय देखें

पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, ‘मैं क्या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा, सम्भव है वे उसका आदर करें।’

अध्याय देखें

सरल हिन्दी बाइबल

“तब दाख की बारी के स्वामी ने विचार किया: ‘अब मेरा क्या करना सही होगा? मैं अपने प्रिय पुत्र को उनके पास भेजूंगा. ज़रूर वे उसका सम्मान करेंगे.’

अध्याय देखें

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, ‘मैं क्या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा, क्या जाने वे उसका आदर करें।’

अध्याय देखें



लूका 20:13
19 क्रॉस रेफरेंस  

अभी वह यह कह ही रहा था कि देखो, एक उजला बादल उन पर छा गया, और देखो उस बादल में से आवाज़ आई, “यह मेरा प्रिय पुत्र है जिससे मैं अति प्रसन्‍न हूँ; इसकी सुनो।”


और देखो, आकाश से एक आवाज़ आई, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अति प्रसन्‍न हूँ।”


“किसी नगर में एक न्यायाधीश रहता था जो परमेश्‍वर का भय नहीं मानता था और न ही किसी मनुष्य की परवाह करता था।


कुछ समय तक तो वह नहीं माना, परंतु बाद में उसने अपने मन में कहा, ‘भले ही मैं परमेश्‍वर से नहीं डरता और न ही किसी मनुष्य की परवाह करता हूँ,


उसने फिर तीसरे को भेजा, परंतु उन्होंने उसे भी घायल करके बाहर फेंक दिया।


परंतु जब किसानों ने उसे देखा तो यह कहकर आपस में सोच विचार करने लगे, ‘यह तो उत्तराधिकारी है। आओ, इसे मार डालें, ताकि यह उत्तराधिकार हमारा हो जाए।’


फिर बादल में से यह आवाज़ आई, “यह मेरा पुत्र है, जिसे मैंने चुना है, इसकी सुनो।”


और मैंने देखा, और साक्षी दी है कि यही परमेश्‍वर का पुत्र है।”


जो कार्य शरीर के दुर्बल होने के कारण व्यवस्था से असंभव था, उसे परमेश्‍वर ने किया अर्थात् अपने पुत्र को पापमय शरीर की समानता में और पापबलि होने के लिए भेजकर शरीर में पाप को दोषी ठहराया,


परंतु जब समय पूरा हुआ तो परमेश्‍वर ने अपने पुत्र को भेजा, जो स्‍त्री से जन्मा और व्यवस्था के अधीन उत्पन्‍न‍ हुआ,