हे मेरे परमेश्वर, मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्न होता हूँ। तेरी व्यवस्था मेरे हृदय में बसी है।”
लूका 2:49 - नवीन हिंदी बाइबल उसने उनसे कहा,“तुम मुझे क्यों ढूँढ़ रहे थे? क्या तुम नहीं जानते थे कि मेरा अपने पिता के घर में होना अवश्य है?” पवित्र बाइबल तब यीशु ने उनसे कहा, “आप मुझे क्यों ढूँढ रहे थे? क्या तुम नहीं जानते कि मुझे मेरे पिता के घर में ही होना चाहिये?” Hindi Holy Bible उस ने उन से कहा; तुम मुझे क्यों ढूंढ़ते थे? क्या नहीं जानते थे, कि मुझे अपने पिता के भवन में होना अवश्य है? पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उसने अपने माता-पिता से कहा, “आप मुझे क्यों ढूँढ़ रहे थे? क्या आप यह नहीं जानते थे कि मैं निश्चय ही अपने पिता के घर में होऊंगा? पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उसने उनसे कहा, “तुम मुझे क्यों ढूँढ़ते थे? क्या नहीं जानते थे कि मुझे अपने पिता के भवन में होना अवश्य है?” सरल हिन्दी बाइबल “क्यों खोज रहे थे आप मुझे?” प्रभु येशु ने उनसे पूछा, “क्या आपको यह मालूम न था कि मेरा मेरे पिता के घर में ही होना उचित है?” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 उसने उनसे कहा, “तुम मुझे क्यों ढूँढ़ते थे? क्या नहीं जानते थे, कि मुझे अपने पिता के भवन में होना अवश्य है?” |
हे मेरे परमेश्वर, मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्न होता हूँ। तेरी व्यवस्था मेरे हृदय में बसी है।”
फिर यीशु ने मंदिर-परिसर में जाकर वहाँ सब लेन-देन करनेवालों को बाहर निकाल दिया, तथा सर्राफों की चौकियाँ और कबूतर बेचनेवालों के आसन उलट दिए,
उसे देखकर उसके माता-पिता आश्चर्यचकित हुए, और उसकी माता ने उससे कहा, “बेटा, तूने हमारे साथ ऐसा क्यों किया? देख, तेरे पिता और मैं व्याकुल होकर तुझे ढूँढ़ रहे थे।”
यीशु ने उनसे कहा,“मेरा भोजन यह है कि मैं अपने भेजनेवाले की इच्छा पर चलूँ और उसका कार्य पूरा करूँ।
परंतु मेरे पास यूहन्ना की साक्षी से भी बड़ी साक्षी है, क्योंकि जो कार्य पिता ने मुझे पूरा करने के लिए सौंपे हैं, अर्थात् वे कार्य जिन्हें मैं करता हूँ, मेरे विषय में साक्षी देते हैं कि पिता ने मुझे भेजा है;
क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं बल्कि अपने भेजनेवाले की इच्छा पूरी करने के लिए स्वर्ग से उतर आया हूँ।
जिसने मुझे भेजा वह मेरे साथ है। उसने मुझे अकेला नहीं छोड़ा क्योंकि मैं सदैव वही कार्य करता हूँ, जिनसे वह प्रसन्न होता है।”
हमें उसके कार्यों को, जिसने मुझे भेजा है, दिन ही दिन में करना आवश्यक है, क्योंकि वह रात आने वाली है जब कोई कार्य नहीं कर सकता।