क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ कि यदि तुम्हारी धार्मिकता शास्त्रियों और फरीसियों की धार्मिकता से बढ़कर न हो, तो तुम स्वर्ग के राज्य में कभी प्रवेश नहीं कर पाओगे।
लूका 18:12 - नवीन हिंदी बाइबल मैं सप्ताह में दो बार उपवास करता हूँ, और जितना मुझे मिलता है उन सब का दशमांश देता हूँ।’ पवित्र बाइबल मैं सप्ताह में दो बार उपवास रखता हूँ और अपनी समूची आय का दसवाँ भाग दान देता हूँ।’ Hindi Holy Bible मैं सप्ताह में दो बार उपवास करता हूं; मैं अपनी सब कमाई का दसवां अंश भी देता हूं। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मैं सप्ताह में दो बार उपवास करता हूँ और अपनी सारी आय का दशमांश दान करता हूँ।’ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) मैं सप्ताह में दो बार उपवास रखता हूँ; मैं अपनी सब कमाई का दसवाँ अंश भी देता हूँ।’ सरल हिन्दी बाइबल मैं सप्ताह में दो बार उपवास करता हूं और अपनी सारी आय का दसवां अंश दिया करता हूं.’ इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 मैं सप्ताह में दो बार उपवास करता हूँ; मैं अपनी सब कमाई का दसवाँ अंश भी देता हूँ।’ |
क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ कि यदि तुम्हारी धार्मिकता शास्त्रियों और फरीसियों की धार्मिकता से बढ़कर न हो, तो तुम स्वर्ग के राज्य में कभी प्रवेश नहीं कर पाओगे।
“सावधान रहो! तुम मनुष्यों के सामने उन्हें दिखाने के लिए अपने धार्मिकता के कार्य न करो, नहीं तो अपने पिता से, जो स्वर्ग में है, कुछ भी प्रतिफल न पाओगे।
“जब तुम उपवास करो, तो पाखंडियों के समान उदास मुँह मत बनाओ, वे अपना मुँह इसलिए बिगाड़ लेते हैं कि लोग उन्हें उपवासी जानें; मैं तुमसे सच कहता हूँ, वे अपना प्रतिफल पा चुके।
“जब तुम प्रार्थना करो तो पाखंडियों के समान न होना; क्योंकि उन्हें आराधनालयों में और सड़क के कोनों पर खड़े होकर प्रार्थना करना प्रिय लगता है, ताकि लोग उन्हें देखें; मैं तुमसे सच कहता हूँ, वे अपना प्रतिफल पा चुके।
तब यूहन्ना के शिष्यों ने उसके पास आकर कहा, “क्या कारण है कि हम और फरीसी तो बहुत उपवास करते हैं, परंतु तेरे शिष्य उपवास नहीं करते?”
“परंतु हे फरीसियो, तुम पर हाय! क्योंकि तुम पुदीने, सिताब और हर प्रकार के साग-पात का दशमांश तो देते हो, परंतु परमेश्वर के न्याय और प्रेम की उपेक्षा करते हो; चाहिए था कि इन्हें करते और उनमें भी कमी न आने देते।
इसी प्रकार तुम भी, जब उन सब आदेशों का पालन करो जो तुम्हें मिले थे, तो कहो, ‘हम अयोग्य दास हैं, हमने तो केवल वही किया जो हमें करना चाहिए था।’ ”
तो घमंड कहाँ रहा? वह तो रहा ही नहीं। कौन सी व्यवस्था से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, परंतु विश्वास की व्यवस्था से।
मैं यहूदी धर्म में अपने लोगों के बीच उन बहुतों से अधिक प्रगति कर रहा था जो उस समय मेरी आयु के थे, और मैं अपने पूर्वजों की परंपराओं के प्रति अत्यंत उत्साही था।
क्योंकि शारीरिक व्यायाम से थोड़ा ही लाभ होता है, परंतु भक्ति सब बातों में लाभदायक है, और इसमें वर्तमान और आने वाले जीवन की प्रतिज्ञा पाई जाती है।