यूहन्ना 8:34 - नवीन हिंदी बाइबल यीशु ने उन्हें उत्तर दिया,“मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ कि प्रत्येक जो पाप करता है, वह पाप का दास है। पवित्र बाइबल यीशु ने उत्तर देते हुए कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ। हर वह जो पाप करता रहता है, पाप का दास है। Hindi Holy Bible यीशु ने उन को उत्तर दिया; मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : जो पाप करता रहता है, वह पाप का गुलाम है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। सरल हिन्दी बाइबल मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: हर एक व्यक्ति, जो पाप करता है, वह पाप का दास है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है। |
क्योंकि मैं तुमसे सच कहता हूँ, कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएँ, तब तक व्यवस्था में से एक मात्रा या एक बिंदु भी पूरा हुए बिना न टलेगा।
इस पर यीशु ने उससे कहा,“मैं तुझसे सच-सच कहता हूँ, जब तक कोई नए सिरे से जन्म न ले, वह परमेश्वर के राज्य को नहीं देख सकता।”
इसलिए पाप तुम्हारे मरणशील देह पर राज्य न करे, ऐसा न हो कि तुम उसकी लालसाओं के अधीन हो जाओ,
क्या तुम नहीं जानते कि जिसकी आज्ञा मानने के लिए तुम अपने आपको दासों के समान सौंप देते हो, तो तुम उसी के दास बन जाते हो जिसकी तुम आज्ञा मानते हो—चाहे पाप के जिसका परिणाम मृत्यु है, या आज्ञाकारिता के जिसका परिणाम धार्मिकता है?
हम यह जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया ताकि पाप की देह निष्क्रिय हो जाए, और हम फिर पाप के दासत्व में न रहें;
हम जानते हैं कि व्यवस्था तो आत्मिक है; परंतु मैं शारीरिक हूँ और पाप के हाथों बिका हुआ हूँ।
हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद हो। इसलिए अब एक ओर तो मैं अपने मन से परमेश्वर की व्यवस्था की, और दूसरी ओर शरीर से पाप की व्यवस्था की सेवा करता हूँ।
कि स्वयं सृष्टि भी विनाश के दासत्व से स्वतंत्र होकर परमेश्वर की संतानों की महिमापूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करे।
जिनमें तुम पहले इस संसार की रीति के अनुसार अर्थात् आकाश पर अधिकार रखनेवाले उस शासक के अनुसार चलते थे, जिसकी आत्मा अब भी आज्ञा न माननेवालों में कार्य करती है।
हम भी पहले निर्बुद्धि, आज्ञा न माननेवाले, भ्रम में पड़े हुए, तथा विभिन्न प्रकार की लालसाओं और भोग-विलास के दासत्व में थे, तथा बुराई और ईर्ष्या में जीवन व्यतीत करते थे। हम घृणित थे और एक दूसरे से घृणा करते थे।
वे उनसे स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा तो करते हैं, पर स्वयं सड़ाहट के दास हैं, क्योंकि एक मनुष्य जिससे पराजित हो जाता है, वह उसी का दास बन जाता है।