ऑनलाइन बाइबिल

विज्ञापनों


संपूर्ण बाइबिल पुराना वसीयतनामा नया करार




यूहन्ना 8:15 - नवीन हिंदी बाइबल

तुम शरीर के अनुसार न्याय करते हो, मैं किसी का न्याय नहीं करता।

अध्याय देखें

पवित्र बाइबल

तुम लोग इंसानी सिद्धान्तों पर न्याय करते हो, मैं किसी का न्याय नहीं करता।

अध्याय देखें

Hindi Holy Bible

तुम शरीर के अनुसार न्याय करते हो; मैं किसी का न्याय नहीं करता।

अध्याय देखें

पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

तुम मनुष्‍य की दृष्‍टि से न्‍याय करते हो। मैं किसी का न्‍याय नहीं करता

अध्याय देखें

पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

तुम शरीर के अनुसार न्याय करते हो; मैं किसी का न्याय नहीं करता।

अध्याय देखें

सरल हिन्दी बाइबल

तुम लोग मानवीय सोच से अन्य लोगों का न्याय करते हो; मैं किसी का न्याय नहीं करता.

अध्याय देखें

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तुम शरीर के अनुसार न्याय करते हो; मैं किसी का न्याय नहीं करता।

अध्याय देखें



यूहन्ना 8:15
17 क्रॉस रेफरेंस  

परंतु उसने उससे कहा,“हे मनुष्य, किसने मुझे तुम्हारे ऊपर न्यायी या बँटवारा करनेवाला नियुक्‍त किया है?”


यदि कोई मेरे वचनों को सुनकर पालनन करे, तो मैं उसको दोषी नहीं ठहराता, क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने नहीं बल्कि जगत का उद्धार करने आया हूँ।


यीशु ने उत्तर दिया,“मेरा राज्य इस संसार का नहीं है। यदि मेरा राज्य इस संसार का होता, तो मेरे सेवक युद्ध करते कि मैं यहूदियों के हाथ में सौंपा न जाता; परंतु मेरा राज्य यहाँ का नहीं है।”


परमेश्‍वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिए नहीं भेजा कि वह जगत को दोषी ठहराए, परंतु इसलिए कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।


बाहरी रूप देखकर न्याय मत करो, बल्कि धार्मिकता से न्याय करो।”


उसने कहा, “किसी ने नहीं, प्रभु।” तब यीशु ने कहा,“मैं भी तुझे दंड नहीं देता। जा और अब से फिर पाप मत करना।”]


अतः हे दोष लगानेवाले, तू जो भी हो, निरुत्तर है; क्योंकि जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है, उसी में स्वयं को भी दोषी पाता है, इसलिए कि तू जिस बात का दोष लगाता है वही करता है।


आत्मिक मनुष्य सब कुछ परखता है, परंतु वह आप किसी के द्वारा परखा नहीं जाता।


इसलिए अब से हम किसी को शरीर के अनुसार नहीं समझेंगे। यद्यपि हमने मसीह को शरीर के अनुसार ही जाना था, फिर भी अब हम उसे वैसे नहीं जानते।


तो क्या तुमने आपस में भेदभाव नहीं किया और बुरे विचारों वाले न्यायी नहीं हुए?