अब ऐसा हुआ कि उस देश में अकाल पड़ा; तब अब्राम मिस्र को चला गया कि वहाँ परदेशी होकर रहे, क्योंकि देश में भयंकर अकाल पड़ा था।
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अब ऐसा हुआ कि उस देश में अकाल पड़ा; तब अब्राम मिस्र को चला गया कि वहाँ परदेशी होकर रहे, क्योंकि देश में भयंकर अकाल पड़ा था।
और हेरोदेस की मृत्यु तक वहीं रहा; ताकि प्रभु का वह वचन जो भविष्यवक्ता के द्वारा कहा गया था, पूरा हो : मैंने अपने पुत्र को मिस्र से बुलाया।
“हे पाखंडी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! क्योंकि तुम एक व्यक्ति को अपने मत में लाने के लिए जल और थल में फिरते हो, और जब वह आ जाता है तो तुम उसे अपने से दुगुना नारकीय बना देते हो।
बाहर निकलने पर उन्हें शमौन नामक एक कुरेनी मनुष्य मिला। उन्होंने उसे बेगार में पकड़ा कि वह यीशु का क्रूस उठाकर ले चले।
तब उन्होंने वहाँ से निकलनेवाले सिकंदर और रूफुस के पिता शमौन कुरेनी को, जो गाँव से आ रहा था, बेगार में पकड़ा कि वह यीशु का क्रूस उठाकर ले चले।
परंतु उनमें से कुछ साइप्रसवासी और कुरेनी थे, जो अंताकिया में आकर यूनानियों को भी प्रभु यीशु का सुसमाचार सुनाने लगे।
अब जो कलीसिया अंताकिया में थी उसमें कई भविष्यवक्ता और शिक्षक थे : बरनाबास, और शिमोन जो नीगर कहलाता था, और लूकियुस कुरेनी, और मनाहेम जिसका पालन-पोषण चौथाई देश के राजा हेरोदेस के साथ हुआ था, और शाऊल।
पौलुस और उसके साथी पाफुस से जहाज़ द्वारा रवाना होकर पंफूलिया के पिरगा में आए; परंतु यूहन्ना उन्हें छोड़कर यरूशलेम को लौट गया।
जब सभा समाप्त हुई तो बहुत से यहूदी और यहूदी मत धारण करनेवाले भक्त पौलुस और बरनाबास के पीछे हो लिए। तब उन्होंने उनसे बातें करके उन्हें समझाया कि वे परमेश्वर के अनुग्रह में बने रहें।
परंतु पौलुस ने यह उचित समझा कि उसे साथ न ले जाएँ जिसने पंफूलिया में उनका साथ छोड़ दिया और उनके साथ कार्य पर नहीं गया था।
वे फ्रूगिया और गलातिया के क्षेत्र से होकर गए, क्योंकि पवित्र आत्मा ने उन्हें आसिया में वचन सुनाने से मना किया था।
सब एथेंसवासी और वहाँ रहनेवाले परदेशी नई-नई बात कहने या सुनने के अतिरिक्त किसी और बात में समय नहीं बिताते थे।
वहाँ उसे पुंतुस में जन्मा अक्विला नामक एक यहूदी मिला, जो हाल ही में अपनी पत्नी प्रिस्किल्ला के साथ इटली से आया था, क्योंकि क्लौदियुस ने सब यहूदियों को रोम से निकल जाने का आदेश दिया था। वह उनके पास गया,
कुछ समय बिताकर वह वहाँ से निकला, और गलातिया के क्षेत्र तथा फ्रूगिया से नगर-नगर होता हुआ सब शिष्यों को दृढ़ करता रहा।
अर्थात् यहूदी और यहूदी मत धारण करनेवाले, और क्रेती तथा अरबी भी हैं; हम अपनी-अपनी भाषा में उनको परमेश्वर के महान कार्यों का वर्णन करते हुए सुन रहे हैं।”
उसी रात प्रभु ने उसके पास खड़े होकर कहा,“साहस रख, क्योंकि जिस प्रकार तूने यरूशलेम में मेरे विषय में दृढ़तापूर्वक साक्षी दी है, उसी प्रकार तुझे रोम में भी साक्षी देनी होगी।”
जब वहाँ के कुछ भाइयों ने हमारे विषय में सुना तो वे अप्पियुस के चौक और तीन सराय तक हमसे मिलने आए। उन्हें देखकर पौलुस ने परमेश्वर का धन्यवाद किया और उसे साहस मिला।
यह बात सारी मंडली को अच्छी लगी, और उन्होंने स्तिफनुस को, जो विश्वास और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण व्यक्ति था, और फिलिप्पुस और प्रुखुरुस और नीकानोर और तीमोन और परमिनास और यहूदी मत में आनेवाले अंताकिया के नीकुलाउस को चुन लिया।
तब कुछ जो लिबिरतीन नामक आराधनालय के थे और कुरेनी और सिकंदरिया से थे, और कुछ जो किलिकिया और आसिया के थे, उठ खड़े हुए और स्तिफनुस से वाद-विवाद करने लगे,
अतः जहाँ तक मेरा संबंध है, मैं तो तुम्हें भी जो रोम में हो, सुसमाचार सुनाने के लिए तैयार हूँ।
उन सब के नाम जो रोम में परमेश्वर के प्रिय हैं और पवित्र होने के लिए बुलाए गए हैं : हमारे परमेश्वर पिता और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शांति मिले।
उनके शव उस महानगर के चौक पर पड़े रहेंगे, जो आत्मिक रूप से सदोम और मिस्र कहलाता है, जहाँ उनका प्रभु भी क्रूस पर चढ़ाया गया था।