जब अधोलोक और विनाशलोक यहोवा के सामने खुले रहते हैं, तो मनुष्यों के मन और भी कितने अधिक खुले होंगे!
नीतिवचन 27:20 - नवीन हिंदी बाइबल जैसे अधोलोक और विनाशलोक कभी तृप्त नहीं होते, वैसे ही मनुष्य की आँखें भी कभी तृप्त नहीं होतीं। पवित्र बाइबल मृत्यु और महानाश कभी तृप्त नहीं होते और मनुष्य की आँखें भी तृप्त नहीं होती। Hindi Holy Bible जैसे अधोलोक और विनाशलोक, वैसे ही मनुष्य की आंखें भी तृप्त नहीं होती। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जैसे अधोलोक और पाताल मनुष्यों के शवों से कभी तृप्त नहीं होते, वैसे ही मनुष्य की इच्छाएँ कभी तृप्त नहीं होतीं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जैसे अधोलोक और विनाशलोक, वैसे ही मनुष्य की आँखें भी तृप्त नहीं होतीं। सरल हिन्दी बाइबल मृत्यु और विनाश अब तक संतुष्ट नहीं हुए हैं, मनुष्य की आंखों की अभिलाषा भी कभी संतुष्ट नहीं होती. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 जैसे अधोलोक और विनाशलोक, वैसे ही मनुष्य की आँखें भी तृप्त नहीं होती। |
जब अधोलोक और विनाशलोक यहोवा के सामने खुले रहते हैं, तो मनुष्यों के मन और भी कितने अधिक खुले होंगे!
क्या तू अपनी दृष्टि ऐसी वस्तु पर लगाएगा जो लुप्त हो जाती है? क्योंकि धन तो निश्चय ही पंख लगाकर उकाब के समान आकाश में उड़ जाता है।
जैसे पानी चेहरे को प्रतिबिंबित करता है, वैसे ही मनुष्य का मन मनुष्य को प्रतिबिंबित करता है।
सब बातें थकानेवाली हैं; मनुष्य इसका वर्णन नहीं कर सकता। न तो आँखें कभी देखने से और न कान कभी सुनने से तृप्त होते हैं।
एक व्यक्ति है जिसका कोई नहीं है; उसका न तो कोई पुत्र है और न भाई, फिर भी उसके परिश्रम का अंत नहीं होता; और उसकी आँखें धन से संतुष्ट नहीं होतीं; और न वह यह सोचता है कि मैं किसके लिए परिश्रम करता हूँ और क्यों अपने को सुख से वंचित रखता हूँ? यह भी व्यर्थ और दुःखद कार्य है।
क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात् शरीर की अभिलाषा, आँखों की लालसा और धन-संपत्ति का घमंड, वह सब पिता की ओर से नहीं बल्कि संसार की ओर से है।