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नीतिवचन 27:20 - पवित्र बाइबल

20 मृत्यु और महानाश कभी तृप्त नहीं होते और मनुष्य की आँखें भी तृप्त नहीं होती।

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Hindi Holy Bible

20 जैसे अधोलोक और विनाशलोक, वैसे ही मनुष्य की आंखें भी तृप्त नहीं होती।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

20 जैसे अधोलोक और पाताल मनुष्‍यों के शवों से कभी तृप्‍त नहीं होते, वैसे ही मनुष्‍य की इच्‍छाएँ कभी तृप्‍त नहीं होतीं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

20 जैसे अधोलोक और विनाशलोक, वैसे ही मनुष्य की आँखें भी तृप्‍त नहीं होतीं।

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नवीन हिंदी बाइबल

20 जैसे अधोलोक और विनाशलोक कभी तृप्‍त नहीं होते, वैसे ही मनुष्य की आँखें भी कभी तृप्‍त नहीं होतीं।

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सरल हिन्दी बाइबल

20 मृत्यु और विनाश अब तक संतुष्ट नहीं हुए हैं, मनुष्य की आंखों की अभिलाषा भी कभी संतुष्ट नहीं होती.

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नीतिवचन 27:20
15 क्रॉस रेफरेंस  

मृत्यु का स्थान परमेश्वर की आँखों के सामने खुला है, परमेश्वर के आगे विनाश का स्थान ढका नहीं है।


जबकि यहोवा के समझ मृत्यु और विनाश के रहस्य खुले पड़े हैं। सो निश्चित रूप से वह जानता है कि लोगों के दिल में क्या हो रहा है।


ये धन सम्पत्तियाँ देखते ही देखते लुप्त हो जायेंगी निश्चय ही अपने पंखों को फैलाकर वे गरूड़ के समान आकाश में उड़ जायेंगी।


जैसे जल मुखड़े को प्रतिबिम्बित करता है, वैसे ही हृदय मनुष्य को प्रतिबिम्बित करता है।


शब्द वस्तुओं का पूरा—पूरा वर्णन नहीं कर सकते। लेकिन लोग अपने विचार को व्यक्त नहीं कर पाते, सदा बोलते ही रहते हैं। शब्द हमारे कानों में बार—बार पड़ते हैं किन्तु उनसे हमारे कान कभी भी भरते नहीं हैं। हमारी आँखें भी, जो कुछ वे देखती हैं, उससे कभी अघाती नहीं हैं।


एक व्यक्ति परिवार विहीन हो सकता है। हो सकता है उसके कोई पुत्र और यहाँ तक कि कोई भाई भी न हो किन्तु वह व्यक्ति कठिन से कठिन परिश्रम करने में लगा रहता है और जो कुछ उसके पास होता है, उससे कभी संतुष्ट नहीं होता। सो मैं भी इतनी कड़ी मेहनत क्यों करता हूँ? मैं स्वयं अपने जीवन का आनन्द क्यों नहीं लेता हूँ? अब देखो यह भी एक दुःख भरी और व्यर्थ की बात है।


एक व्यक्ति निरन्तर काम करता ही रहता है क्यों? क्योंकि उसे अपनी इच्छाएँ पूरी करनी है। किन्तु वह सन्तुष्ट तो कभी नहीं होता।


फिर उनकी मृत्यु हो जायेगी और शियोल, (मृत्यु का प्रदेश), अधिक से अधिक लोगों को निगल जाएगा। मृत्यु का वह प्रदेश अपना असीम मुख पसारेगा और वे सभी महत्वपूर्ण और साधारण लोग और हुल्लड़ मचाते वे सभी खुशियाँ मनाते लोग शियोल में धस जायेंगे।”


“यहोयाकीम, तुम्हारी आँखें केवल तुम्हारे अपने लाभ को देखती हैं, तुम सदैव अपने लिये अधिक से अधिक पाने की सोचते हो। तुम निरपराध लोगों को मारने के लिये इच्छुक रहते हो। तुम अन्य लोगों की चीज़ों की चोरी करने के इच्छुक रहते हो।”


परमेश्वर ने कहा, “दाखमधु व्यक्ति को भरमा सकती है। इसी प्रकार किसी शक्तिशाली पुरूष को उसका अहंकार मूर्ख बना देता है। उस व्यक्ति को शांति नहीं मिलेगी। मृत्यु के समान कभी उसका पेट नहीं भरता, वह हर समय अधिक से अधिक की इच्छा करता रहता है। मृत्यु के समान ही उसे कभी तृप्ति नहीं मिलेगी। वह दूसरे देशों को हराता रहेगा। वह दूसरे देशों के उन लोगों को अपनी प्रजा बनाता रहेगा।


सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “तुम बहुत अधिक पाने की चाह में रहते हो, किन्तु तुम्हें नहीं के बराबर मिलता हैं। तुम जो कुछ भी घर पर लाते हो, मैं इसे उड़ा ले जाता हूँ! क्यों क्योंकि मेरा मंदिर खंडहर पड़ा है। किन्तु तुम लोगों में हर एक को अपने अपने घरों की पड़ी है।


क्योंकि इस संसार की हर वस्तु: जो तुम्हारे पापपूर्ण स्वभाव को आकर्षित करती है, तुम्हारी आँखों को भाती है और इस संसार की प्रत्येक वह वस्तु, जिस पर लोग इतना गर्व करते हैं। परम पिता की ओर से नहीं है बल्कि वह तो सांसारिक है।


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