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गलातियों 2:21 - नवीन हिंदी बाइबल

मैं परमेश्‍वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं ठहराता; क्योंकि यदि धार्मिकता व्यवस्था के द्वारा होती, तो मसीह का मरना व्यर्थ होता।

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पवित्र बाइबल

मैं परमेश्वर के अनुग्रह को नहीं नकार रहा हूँ, किन्तु यदि धार्मिकता व्यवस्था के विधान के द्वारा परमेश्वर से नाता जुड़ा पाता तो मसीह बेकार ही अपने प्राण क्यों देता।

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Hindi Holy Bible

मैं परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं ठहराता, क्योंकि यदि व्यवस्था के द्वारा धामिर्कता होती, तो मसीह का मरना व्यर्थ होता॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

मैं परमेश्‍वर के अनुग्रह का तिरस्‍कार नहीं कर सकता। यदि व्‍यवस्‍था द्वारा मनुष्‍य धार्मिक ठहर सकता है, तो मसीह व्‍यर्थ ही मरे।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

मैं परमेश्‍वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं ठहराता; क्योंकि यदि व्यवस्था के द्वारा धार्मिकता होती, तो मसीह का मरना व्यर्थ होता।

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सरल हिन्दी बाइबल

मैं परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं कर रहा, क्योंकि यदि व्यवस्था धार्मिकता का कारण होता, तब मसीह का प्राण त्यागना व्यर्थ हो जाता!”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

मैं परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं ठहराता, क्योंकि यदि व्यवस्था के द्वारा धार्मिकता होती, तो मसीह का मरना व्यर्थ होता।

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गलातियों 2:21
16 क्रॉस रेफरेंस  

यहोवा जाति-जाति की युक्‍ति को विफल कर देता है; वह देश-देश के लोगों की योजनाओं को व्यर्थ कर देता है।


फिर उसने उनसे कहा,“तुम परमेश्‍वर की आज्ञा को बड़ी अच्छी तरह व्यर्थ ठहरा देते हो ताकि अपनी परंपरा को बनाए रख सको।


क्योंकि परमेश्‍वर की धार्मिकता से अनजान होकर, और अपनी धार्मिकता को स्थापित करने का प्रयत्‍न करके, वे परमेश्‍वर की धार्मिकता के अधीन नहीं हुए।


यदि यह अनुग्रह से हुआ तो फिर यह कर्मों के आधार पर नहीं, अन्यथा अनुग्रह फिर अनुग्रह नहीं रहता।


वह हमारे अपराधों के कारण पकड़वाया गया और हमें धर्मी ठहराने के लिए जिलाया भी गया।


अतः इन बातों के विषय में हम क्या कहें? यदि परमेश्‍वर हमारी ओर है तो हमारे विरुद्ध कौन हो सकता है?


और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो व्यर्थ है हमारा प्रचार भी और व्यर्थ है तुम्हारा विश्‍वास भी।


और यदि मसीह नहीं जी उठा तो तुम्हारा विश्‍वास व्यर्थ है और तुम अब तक अपने पापों में पड़े हो।


और तुम्हारा उद्धार भी उसी के द्वारा होता है, यदि तुम सुसमाचार के उस वचन को दृढ़ता से थामे रहो जो मैंने तुम्हें सुनाया था अन्यथा तुमने व्यर्थ में विश्‍वास किया।


फिर भी यह जानकर कि मनुष्य व्यवस्था के कार्यों से नहीं परंतु केवल यीशु मसीह पर विश्‍वास करने के द्वारा धर्मी ठहराया जाता है, हमने भी मसीह यीशु पर विश्‍वास किया है, ताकि हम व्यवस्था के कार्यों से नहीं परंतु मसीह पर विश्‍वास करने से धर्मी ठहराए जाएँ, क्योंकि व्यवस्था के कार्यों से कोई भी मनुष्य धर्मी नहीं ठहराया जाएगा।


यदि मैं उन वस्तुओं को फिर से बनाऊँ जिन्हें मैंने नष्‍ट कर दिया था, तो अपने आपको अपराधी ठहराता हूँ।


तो क्या व्यवस्था परमेश्‍वर की प्रतिज्ञाओं के विरुद्ध है? कदापि नहीं! क्योंकि यदि ऐसी व्यवस्था दी गई होती जो जीवन प्रदान कर सकती थी तो वास्तव में धार्मिकता व्यवस्था से होती।


अब यदि सिद्धता लेवीय याजक पद के द्वारा प्राप्‍त होती (क्योंकि इसी आधार पर लोगों को व्यवस्था प्राप्‍त हुई थी), तो फिर किसी दूसरे याजक के खड़े होने की क्या आवश्यकता थी जो हारून की रीति के अनुसार न होकर मलिकिसिदक की रीति के अनुसार हो?