इस प्रकार परमेश्वर ने पृथ्वी के विभिन्न प्रजाति के वनपशुओं, घरेलू पशुओं और भूमि पर रेंगनेवाले सब जंतुओं को बनाया; और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।
उत्पत्ति 7:21 - नवीन हिंदी बाइबल और पृथ्वी पर चलने-फिरनेवाले प्राणी, क्या पक्षी, क्या घरेलू पशु, क्या वनपशु, और सारे कीड़े-मकोड़े जो पृथ्वी पर झुंडों में रहते हैं और सब मनुष्य, वे सब नाश हो गए। पवित्र बाइबल पृथ्वी के सभी जीव मारे गए। हर एक स्त्री और पुरुष मर गए। सभी पक्षि और सभी तरह के जानवर मर गए। Hindi Holy Bible और क्या पक्षी, क्या घरेलू पशु, क्या बनैले पशु, और पृथ्वी पर सब चलने वाले प्राणी, और जितने जन्तु पृथ्वी मे बहुतायत से भर गए थे, वे सब, और सब मनुष्य मर गए। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) पक्षी, पालतू पशु, वन-पशु, पृथ्वी पर झुण्ड के झुण्ड में रहनेवाले जीवजन्तु, और मनुष्य-जाति, अर्थात् पृथ्वी का प्रत्येक प्राणी मर गया। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और क्या पक्षी, क्या घरेलू पशु, क्या बनैले पशु, और पृथ्वी पर सब चलनेवाले प्राणी, और जितने जन्तु पृथ्वी में बहुतायत से भर गए थे, वे सब और सब मनुष्य मर गए। सरल हिन्दी बाइबल पृथ्वी पर का सब कुछ नाश हो गया; प्रत्येक जीवित प्राणी जो भूमि पर चलती थी—पक्षी, पशु, जंगली जानवर, वे सभी प्राणी जो पृथ्वी पर तैरते हैं, और पूरी मानव जाति. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और क्या पक्षी, क्या घरेलू पशु, क्या जंगली पशु, और पृथ्वी पर सब चलनेवाले प्राणी, और जितने जन्तु पृथ्वी में बहुतायत से भर गए थे, वे सब, और सब मनुष्य मर गए। |
इस प्रकार परमेश्वर ने पृथ्वी के विभिन्न प्रजाति के वनपशुओं, घरेलू पशुओं और भूमि पर रेंगनेवाले सब जंतुओं को बनाया; और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।
तब परमेश्वर ने नूह से कहा, “मैंने सब प्राणियों का अंत करने का निश्चय किया है, क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है; देख, मैं उन्हें पृथ्वी समेत नष्ट करने पर हूँ।
और सुन, मैं उन सब प्राणियों का नाश करने के लिए, जो आकाश के नीचे हैं और जिनमें जीवन का श्वास है, पृथ्वी पर जलप्रलय भेजूँगा; तथा वे सब जो पृथ्वी पर हैं मर जाएँगे।
क्योंकि सात दिन के बाद मैं पृथ्वी पर चालीस दिन और चालीस रात तक जल बरसाता रहूँगा, और मैं प्रत्येक प्राणी को जिसे मैंने रचा है, पृथ्वी पर से मिटा डालूँगा।”
और उन्हें तब तक कुछ समझ नहीं आया जब तक जलप्रलय आकर सब कुछ बहा न ले गया; वैसे ही मनुष्य के पुत्र के आगमन पर भी होगा।
जिस दिन तक नूह ने जहाज़ में प्रवेश न किया, लोग खाते, पीते, विवाह करते, और विवाह में दिए जाते रहे; तब जलप्रलय ने आकर सब को नष्ट कर दिया।
क्योंकि सृष्टि स्वेच्छा से नहीं बल्कि अधीन करनेवाले के द्वारा इस आशा से व्यर्थता के अधीन कर दी गई,
क्योंकि हम जानते हैं कि सारी सृष्टि एक साथ अब तक कराहती और प्रसव की सी पीड़ा में तड़पती है;
और उसने प्राचीन काल के संसार को भी न छोड़ा बल्कि भक्तिहीनों के संसार पर जलप्रलय भेजा, पर धार्मिकता के प्रचारक नूह समेत आठ मनुष्यों को बचा लिया;