उत्पत्ति 47:22 - नवीन हिंदी बाइबल केवल याजकों की भूमि उसने नहीं खरीदी, क्योंकि याजकों को फ़िरौन की ओर से भोजन-सामग्री मिलती थी, और वे वही भोजन खाते थे जो फ़िरौन उन्हें देता था। इस कारण उन्हें अपनी भूमि बेचनी न पड़ी। पवित्र बाइबल एक मात्र वही भूमि यूसुफ ने नहीं खरीदी जो याजकों के अधिकार में थी। याजकों को भूमि बेचने की आवश्कता नहीं थी। क्योंकि फ़िरौन उनके काम के लिए उन्हें वेतन देता था। इसलिए उन्होंने इस धन को खाने के लिए भोजन खरीदने में खर्च किया। Hindi Holy Bible पर याजकों की भूमि तो उसने न मोल ली: क्योंकि याजकों के लिये फिरौन की ओर से नित्य भोजन का बन्दोबस्त था, और नित्य जो भोजन फिरौन उन को देता था वही वे खाते थे; इस कारण उन को अपनी भूमि बेचनी न पड़ी। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उसने केवल पुरोहितों के खेत नहीं खरीदे। फरओ की ओर से पुरोहितों को अन्न मिलता था। जो भत्ता फरओ उन्हें देता था, उसी से वे अपनी जीविका चलाते थे। अतएव उन्होंने अपने खेत नहीं बेचे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) पर याजकों की भूमि उसने मोल न ली; क्योंकि याजकों के लिये फ़िरौन की ओर से नित्य भोजन का बन्दोबस्त था, और नित्य जो भोजन फ़िरौन उनको देता था वही वे खाते थे, इस कारण उनको अपनी भूमि बेचनी न पड़ी। सरल हिन्दी बाइबल सिर्फ पुरोहितों की भूमि को नहीं खरीदा, क्योंकि उनको फ़रोह की ओर से निर्धारित भोजन मिलता था और वह उनके जीने के लिये पर्याप्त था, इसलिये उन्होंने अपनी ज़मीन नहीं बेची. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 पर याजकों की भूमि तो उसने न मोल ली; क्योंकि याजकों के लिये फ़िरौन की ओर से नित्य भोजन का बन्दोबस्त था, और नित्य जो भोजन फ़िरौन उनको देता था वही वे खाते थे; इस कारण उनको अपनी भूमि बेचनी न पड़ी। |
फ़िरौन ने यूसुफ का नाम सापनत्पानेह रखा; और ओन नगर के याजक पोतीपेरा की बेटी आसनत से उसका विवाह करा दिया। अतः यूसुफ सारे मिस्र देश का दौरा करने लगा।
अकाल के वर्ष आरंभ होने से पहले यूसुफ के दो पुत्र, ओन के याजक पोतीपेरा की बेटी आसनत से उत्पन्न हुए।
जहाँ तक प्रजा की बात थी, तो उसने प्रजा को मिस्र देश के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक नगरों में लाकर बसा दिया।
तब यूसुफ ने प्रजा से कहा, “सुनो, मैंने आज तुम्हें और तुम्हारी भूमि को फ़िरौन के लिए खरीद लिया है। देखो, यहाँ तुम्हारे लिए बीज है, तुम इसे भूमि में बो सकते हो।
अतः यूसुफ ने मिस्र की भूमि के विषय में ऐसा नियम बनाया, जो आज तक चला आता है कि पाँचवाँ भाग फ़िरौन का होगा। केवल याजकों की भूमि ही फ़िरौन की नहीं हुई।
यात्रा के लिए न थैला, न दो कुरते, न जूते और न ही लाठी लेना; क्योंकि मज़दूर को उसका भोजन मिलना चाहिए।
क्या तुम नहीं जानते कि जो मंदिर में सेवा करते हैं वे मंदिर में से खाते हैं; और जो वेदी पर सेवा करते हैं वे वेदी की भेंट में सहभागी होते हैं?
क्योंकि जब हम तुम्हारे साथ थे तो तुम्हें यह आज्ञा दिया करते थे : “यदि कोई कार्य करना नहीं चाहता तो वह खाए भी नहीं।”
जो प्रवर अच्छा नेतृत्व करते हैं, वे दुगुने आदर के योग्य समझे जाएँ, विशेषकर वे जो वचन के प्रचार और शिक्षा के कार्य में परिश्रम करते हैं।