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उत्पत्ति 37:26 - नवीन हिंदी बाइबल

तब यहूदा ने अपने भाइयों से कहा, “यदि हम अपने भाई को मार डालें, और उसका लहू छिपाएँ, तो इसका क्या लाभ?

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पवित्र बाइबल

इसलिए यहूदा ने अपने भाईयों से कहा, अगर हम लोग अपने भाई को मार देंगे और उसकी मृत्यु को छिपाएंगे तो उससे हमें क्या लाभ होगा?

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Hindi Holy Bible

तब यहूदा ने अपने भाइयों से कहा, अपने भाई को घात करने और उसका खून छिपाने से क्या लाभ होगा?

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

यहूदा ने अपने भाइयों से कहा, ‘यदि हम अपने भाई की हत्‍या करें, और उसका रक्‍त छिपाएं, तो हमें क्‍या लाभ होगा?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

तब यहूदा ने अपने भाइयों से कहा, “अपने भाई को घात करने और उसका खून छिपाने से क्या लाभ होगा?

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सरल हिन्दी बाइबल

यहूदाह ने अपने भाइयों से कहा, “अपने भाई की हत्या कर उसे छुपाने से हमें कुछ नहीं मिलेगा.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तब यहूदा ने अपने भाइयों से कहा, “अपने भाई को घात करने और उसका खून छिपाने से क्या लाभ होगा?

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उत्पत्ति 37:26
16 क्रॉस रेफरेंस  

एसाव ने कहा, “देख, मैं तो अभी मरने पर हूँ, इसलिए पहलौठे के अधिकार से मेरा क्या काम?”


आओ, हम उसे मारकर किसी गड्‌ढे में फेंक दें; हम कह देंगे कि कोई हिंसक पशु उसे खा गया है। तब हम देखेंगे कि उसके स्वप्‍नों का क्या होगा।”


परमेश्‍वर ने कहा, “तूने क्या किया है? तेरे भाई का लहू भूमि से चिल्ला चिल्लाकर मेरी दुहाई दे रहा है!


तब यहोवा ने कैन से पूछा, “तेरा भाई हाबिल कहाँ है?” उसने कहा, “मुझे पता नहीं; क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूँ?”


मुझे वास्तव में इब्रियों के देश से चुराकर यहाँ लाया गया है; और यहाँ भी मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया, जिसके कारण मैं इस बंदीगृह में डाला जाऊँ।”


उन्होंने आपस में कहा, “सचमुच हम अपने भाई के विषय में दोषी हैं, क्योंकि जब उसने हमसे गिड़गिड़ाकर विनती की थी, तब हमने यह देखकर भी उसकी न सुनी कि वह कितने संकट में है। इस कारण हम भी इस विपत्ति में पडे़ हैं।”


तुम लोग तो मेरे साथ बुराई करना चाहते थे, परंतु परमेश्‍वर ने उसी को भलाई में बदलने का विचार किया, ताकि बहुत से लोगों के प्राण बच जाएँ, जैसा कि आज प्रकट है।


मेरी मृत्यु से या मेरे कब्र में चले जाने से क्या लाभ होगा? क्या मिट्टी तेरी प्रशंसा करेगी? क्या वह तेरी सच्‍चाई का वर्णन करेगी?


यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्‍त कर ले परंतु अपने प्राण की हानि उठाए तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले क्या देगा?


इसलिए जिन बातों से अब तुम लज्‍जित होते हो, उनसे तुम्हें उस समय क्या फल मिला? क्योंकि उन बातों का अंत तो मृत्यु है।