मैं परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं ठहराता; क्योंकि यदि धार्मिकता व्यवस्था के द्वारा होती, तो मसीह का मरना व्यर्थ होता।
इब्रानियों 7:11 - नवीन हिंदी बाइबल अब यदि सिद्धता लेवीय याजक पद के द्वारा प्राप्त होती (क्योंकि इसी आधार पर लोगों को व्यवस्था प्राप्त हुई थी), तो फिर किसी दूसरे याजक के खड़े होने की क्या आवश्यकता थी जो हारून की रीति के अनुसार न होकर मलिकिसिदक की रीति के अनुसार हो? पवित्र बाइबल यदि लेवी सम्बन्धी याजकता के द्वारा सम्पूर्णता प्राप्त की जा सकती क्योंकि इसी के आधार पर लोगों को व्यवस्था का विधान दिया गया था। तो किसी दूसरे याजक के आने की आवश्यकता ही क्या थी? एक ऐसे याजक की जो मिलिकिसिदक की परम्परा का हो, न कि औरों की परम्परा का। Hindi Holy Bible तक यदि लेवीय याजक पद के द्वारा सिद्धि हो सकती है (जिस के सहारे से लोगों को व्यवस्था मिली थी) तो फिर क्या आवश्यकता थी, कि दूसरा याजक मलिकिसिदक की रीति पर खड़ा हो, और हारून की रीति का न कहलाए? पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) इस्राएली प्रजा को लेवियों के पुरोहितत्व के आधार पर व्यवस्था मिली थी। यदि इस पुरोहितत्व के माध्यम से पूर्णता प्राप्त हो सकती थी, तो यह क्यों आवश्यक था कि एक अन्य पुरोहित की चर्चा की जाये जो हारून की नहीं, बल्कि मलकीसेदेक की श्रेणी में आ जायेगा? पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यदि लेवीय याजक पद के द्वारा सिद्धि प्राप्त हो सकती (जिसके सहारे लोगों को व्यवस्था मिली थी) तो फिर क्या आवश्यकता थी कि दूसरा याजक मलिकिसिदक की रीति पर खड़ा हो, और हारून की रीति का न कहलाए? सरल हिन्दी बाइबल अब यदि सिद्धि (या पूर्णता) लेवी याजकता के माध्यम से प्राप्त हुई—क्योंकि इसी के आधार पर लोगों ने व्यवस्था प्राप्त की थी—तब एक ऐसे पुरोहित की क्या ज़रूरत थी, जिसका आगमन मेलखीज़ेदेक की श्रृंखला में हो, न कि हारोन की श्रृंखला में? इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब यदि लेवीय याजकपद के द्वारा सिद्धि हो सकती है (जिसके सहारे से लोगों को व्यवस्था मिली थी) तो फिर क्या आवश्यकता थी, कि दूसरा याजक मलिकिसिदक की रीति पर खड़ा हो, और हारून की रीति का न कहलाए? |
मैं परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं ठहराता; क्योंकि यदि धार्मिकता व्यवस्था के द्वारा होती, तो मसीह का मरना व्यर्थ होता।
परंतु अब तुमने परमेश्वर को जान लिया है, बल्कि यह कहें कि परमेश्वर ने तुम्हें जान लिया है, तो तुम कैसे फिर से उन निर्बल और निरर्थक आरंभिक सिद्धांतों की ओर लौट रहे हो? क्या तुम एक बार फिर उनके दास बनना चाहते हो?
जहाँ यीशु ने हमारे अग्रदूत के रूप में मलिकिसिदक की रीति के अनुसार सदा के लिए महायाजक बनकर प्रवेश किया।
क्योंकि जिस समय मलिकिसिदक ने उसके पिता अब्राहम से भेंट की, उस समय वह अपने पिता की देह में ही था।
क्योंकि जिसके विषय में ये बातें कही जाती हैं, वह किसी अन्य गोत्र का है, जिसमें से किसी ने भी वेदी की सेवा नहीं की।
यह बात तब और भी अधिक स्पष्ट हो जाती है, जब मलिकिसिदक के समान कोई ऐसा याजक खड़ा हो जाता है,
परंतु वह शपथ के साथ उसके द्वारा नियुक्त किया गया जिसने उससे कहा : प्रभु ने शपथ खाई है और वह अपना मन न बदलेगा, “तू सदा के लिए याजक है।”
इन वस्तुओं के इस प्रकार व्यवस्थित होने के बाद याजक तंबू के बाहरी भाग में नियमित रूप से प्रवेश करके सेवाकार्य को संपन्न करते हैं,