अपने भाई को देखकर यूसुफ का मन स्नेह से भर गया और वह यह सोचने लगा कि कहाँ जाकर रोए। वह तुरंत अपनी कोठरी में गया, और वहाँ रो पड़ा।
2 कुरिन्थियों 7:15 - नवीन हिंदी बाइबल जब वह तुम सब की आज्ञाकारिता को स्मरण करता है कि तुमने कैसे डरते और काँपते हुए उसे ग्रहण किया तो उसका प्रेम तुम्हारे प्रति और भी बढ़ता जाता है। पवित्र बाइबल वह जब यह याद करता है कि तुम सब ने किस प्रकार उसकी आज्ञा मानी और डर से थरथर काँपते हुए तुमने कैसे उसको अपनाया तो तुम्हारे प्रति उसका प्रेम और भी बढ़ जाता है। Hindi Holy Bible और जब उस को तुम सब के आज्ञाकारी होने का स्मरण आता है, कि क्योंकर तुम ने डरते और कांपते हुए उस से भेंट की; तो उसका प्रेम तुम्हारी ओर और भी बढ़ता जाता है। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जब उन्हें याद आता है कि आप सब ने उनकी बात मानी और डरते-कांपते हुए उनका स्वागत किया, तो आप के प्रति उनका प्रेम और भी बढ़ जाता है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जब उसको तुम सब के आज्ञाकारी होने का स्मरण आता है कि कैसे तुम ने डरते और काँपते हुए उससे भेंट की; तो उसका प्रेम तुम्हारी ओर और भी बढ़ता जाता है। सरल हिन्दी बाइबल जब तीतॉस को तुम्हारी आज्ञाकारिता याद आती है तथा यह भी कि तुमने कितने श्रद्धा भाव से उसका सत्कार किया तो वह स्नेह से तुम्हारे प्रति और अधिक भर उठता है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 जब उसको तुम सब के आज्ञाकारी होने का स्मरण आता है, कि कैसे तुम ने डरते और काँपते हुए उससे भेंट की; तो उसका प्रेम तुम्हारी ओर और भी बढ़ता जाता है। |
अपने भाई को देखकर यूसुफ का मन स्नेह से भर गया और वह यह सोचने लगा कि कहाँ जाकर रोए। वह तुरंत अपनी कोठरी में गया, और वहाँ रो पड़ा।
जब स्त्री प्रसव में होती है तो उसे शोक होता है, क्योंकि उसकी घड़ी आ पहुँची है; परंतु जब वह बच्चे को जन्म दे देती है, तो इस आनंद से कि इस संसार में एक मनुष्य का जन्म हुआ, अपने उस कष्ट को फिर स्मरण नहीं करती।
मैंने तुम्हें इसलिए भी लिखा था कि तुम्हें परखकर जान लूँ कि तुम सब बातों में आज्ञाकारी हो या नहीं।
हे दासो, जिस प्रकार तुम मसीह की आज्ञा मानते हो, उसी प्रकार अपने मन की सीधाई से डरते और काँपते हुए अपने शारीरिक स्वामियों की आज्ञा भी मानो।
परमेश्वर मेरा साक्षी है कि मैं मसीह यीशु के प्रेम में तुम सब के लिए कितना लालायित रहता हूँ।
अतः हे मेरे प्रियो, जिस प्रकार तुमने सदैव आज्ञा मानी, उसी प्रकार केवल मेरी उपस्थिति में ही नहीं बल्कि अनुपस्थिति में भी, उससे और भी अधिक डरते और काँपते हुए अपने-अपने उद्धार का कार्य पूरा करो;
अतः तुम परमेश्वर के चुने हुओं के समान जो पवित्र और प्रिय हैं, करुणा, दयालुता, दीनता, नम्रता और सहनशीलता को धारण करो।
यदि कोई इस पत्र में लिखी हमारी बातों को न माने तो उससे सतर्क रहना और उसके साथ संगति न रखना, ताकि वह लज्जित हो।
परंतु जिसके पास सांसारिक धन-संपत्ति है और अपने भाई को आवश्यकता में देखकर उसके प्रति अपना हृदय कठोर कर लेता है, तो परमेश्वर का प्रेम उसमें कैसे बना रहेगा?