लैव्यव्यवस्था 7:26 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और तुम अपने घर में किसी भाँति का लहू, चाहे पक्षी का चाहे पशु का हो, न खाना। पवित्र बाइबल “तुम चाहे जहाँ भी रहो, तुम्हें किसी पक्षी या जानवर का खून कभी नहीं खाना चाहिए। Hindi Holy Bible ओर तुम अपने घर में किसी भांति का लोहू, चाहे पक्षी का चाहे पशु का हो, न खाना। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) तुम अपने निवास-स्थानों में न तो पक्षी का और न पशु ही का रक्तपान करोगे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और तुम अपने घर में किसी भाँति का लहू, चाहे पक्षी का चाहे पशु का हो, न खाना। नवीन हिंदी बाइबल तुम जहाँ कहीं भी रहो, किसी भी प्रकार का लहू न खाना, वह चाहे पक्षी का हो या पशु का। सरल हिन्दी बाइबल तुम अपने घर में किसी पशु अथवा पक्षी के रक्त को न खाना. |
वैसे ही अपनी गायों और भेड़-बकरियों के पहलौठे भी देना; सात दिन तक तो बच्चा अपनी माता के संग रहे, और आठवें दिन तू उसे मुझे दे देना।
इस कारण तू उनसे कह, परमेश्वर यहोवा यह कहता है, तुम लोग तो माँस लहू समेत खाते और अपनी मूरतों की ओर दृष्टि करते, और हत्या करते हो; फिर क्या तुम उस देश के अधिकारी रहने पाओगे?
“तुम लहू लगा हुआ कुछ माँस न खाना। और न टोना करना, और न शुभ या अशुभ मुहूर्त्तों को मानना।
यह तुम्हारे निवासों में तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी के लिये सदा की विधि ठहरेगी कि तुम चर्बी और लहू कभी न खाओ।” (प्रेरि. 15:20,29)
जो कोई ऐसे पशु की चर्बी खाएगा जिसमें से लोग कुछ यहोवा के लिये हवन करके चढ़ाया करते हैं वह खानेवाला अपने लोगों में से नाश किया जाएगा।
यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ जब तक मनुष्य के पुत्र का माँस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं।
परन्तु उन्हें लिख भेजें, कि वे मूरतों की अशुद्धताओं और व्यभिचार और गला घोंटे हुओं के माँस से और लहू से परे रहें। (उत्प. 9:4, लैव्य. 3:17, लैव्य. 17:10-14)
कि तुम मूरतों के बलि किए हुओं से, और लहू से, और गला घोंटे हुओं के माँस से, और व्यभिचार से दूर रहो। इनसे दूर रहो तो तुम्हारा भला होगा। आगे शुभकामना।” (उत्प. 9:4, लैव्य. 3:17)
हमको मसीह में उसके लहू के द्वारा छुटकारा, अर्थात् अपराधों की क्षमा, परमेश्वर के उस अनुग्रह के धन के अनुसार मिला है,
परन्तु उनका लहू किसी भाँति न खाना; क्योंकि लहू जो है वह प्राण ही है, और तू माँस के साथ प्राण कभी भी न खाना।
क्योंकि परमेश्वर की सृजी हुई हर एक वस्तु अच्छी है, और कोई वस्तु अस्वीकार करने के योग्य नहीं; पर यह कि धन्यवाद के साथ खाई जाए; (उत्प. 1:31)