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रोमियों 2:11 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

क्योंकि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता। (व्यव. 10:17, 2 इति. 19:7)

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क्योंकि परमेश्वर किसी का पक्षपात नहीं करता।

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क्योंकि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता।

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क्‍योंकि परमेश्‍वर किसी के साथ पक्षपात नहीं करता।

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क्योंकि परमेश्‍वर किसी का पक्षपात नहीं करता।

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क्योंकि परमेश्‍वर किसी का पक्षपात नहीं करता।

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पक्षपात परमेश्वर में है ही नहीं.

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रोमियों 2:11
14 क्रॉस रेफरेंस  

अब यहोवा का भय तुम में बना रहे; चौकसी से काम करना, क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा में कुछ कुटिलता नहीं है, और न वह किसी का पक्ष करता और न घूस लेता है।” (रोम. 2:11)


परमेश्वर तो हाकिमों का पक्ष नहीं करता और धनी और कंगाल दोनों को अपने बनाए हुए जानकर उनमें कुछ भेद नहीं करता। (याकू. 2:1, रोम. 2:11, नीति. 22:2)


अतः उन्होंने अपने चेलों को हेरोदियों के साथ उसके पास यह कहने को भेजा, “हे गुरु, हम जानते हैं, कि तू सच्चा है, और परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से सिखाता है, और किसी की परवाह नहीं करता, क्योंकि तू मनुष्यों का मुँह देखकर बातें नहीं करता।


उन्होंने उससे यह पूछा, “हे गुरु, हम जानते हैं कि तू ठीक कहता, और सिखाता भी है, और किसी का पक्षपात नहीं करता; वरन् परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से बताता है।


तब पतरस ने मुँह खोलकर कहा, अब मुझे निश्चय हुआ, कि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता, (व्यव. 10:17, 2 इति. 19:7)


तो हम क्या कहें? क्या परमेश्वर के यहाँ अन्याय है? कदापि नहीं!


फिर जो लोग कुछ समझे जाते थे वे चाहे कैसे भी थे, मुझे इससे कुछ काम नहीं, परमेश्वर किसी का पक्षपात नहीं करता उनसे मुझे कुछ भी नहीं प्राप्त हुआ। (2 कुरि. 11:5, व्यव. 10:17)


और हे स्वामियों, तुम भी धमकियाँ छोड़कर उनके साथ वैसा ही व्यवहार करो, क्योंकि जानते हो, कि उनका और तुम्हारा दोनों का स्वामी स्वर्ग में है, और वह किसी का पक्ष नहीं करता। (लूका 6:31, व्यव. 10:17, 2 इति. 19:7)


क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान पराक्रमी और भययोग्य परमेश्वर है, जो किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है। (प्रेरि. 10:34, रोम. 2:11, गला. 2:6, इफि. 6:9, कुलु. 3:25, 1 तीमु. 6:15, प्रका. 17:14, प्रका. 19:16)


तुम न्याय न बिगाड़ना; तू न तो पक्षपात करना; और न तो घूस लेना, क्योंकि घूस बुद्धिमान की आँखें अंधी कर देती है, और धर्मियों की बातें पलट देती है।


क्योंकि जो बुरा करता है, वह अपनी बुराई का फल पाएगा; वहाँ किसी का पक्षपात नहीं। (प्रेरि. 10:34, रोम. 2:11)


और जबकि तुम, ‘हे पिता’ कहकर उससे प्रार्थना करते हो, जो बिना पक्षपात हर एक के काम के अनुसार न्याय करता है, तो अपने परदेशी होने का समय भय से बिताओ। (2 इति. 19:7, भज. 28:4, यशा. 59:18, यिर्म. 3:19, यिर्म. 17:10)