“निष्पाप तो कोई मनुष्य नहीं है: यदि ये भी तेरे विरुद्ध पाप करें, और तू उन पर कोप करके उन्हें शत्रुओं के हाथ कर दे, और वे उनको बन्दी बनाकर अपने देश को चाहे वह दूर हो, चाहे निकट, ले जाएँ,
गलातियों 3:11 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 पर यह बात प्रगट है, कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के यहाँ कोई धर्मी नहीं ठहरता क्योंकि धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा। पवित्र बाइबल अब यह स्पष्ट है कि व्यवस्था के विधान के द्वारा परमेश्वर के सामने कोई भी नेक नहीं ठहरता है। क्योंकि शास्त्र के अनुसार “धर्मी व्यक्ति विश्वास के सहारे जीयेगा।” Hindi Holy Bible पर यह बात प्रगट है, कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के यहां कोई धर्मी नहीं ठहरता क्योंकि धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यह तो स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति व्यवस्था के कारण परमेश्वर की दृष्टि में धार्मिक नहीं ठहरता; क्योंकि धर्मग्रन्थ में लिखा है: “धार्मिक मनुष्य विश्वास के द्वारा जीवन प्राप्त करेगा।” पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) पर यह बात प्रगट है कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के यहाँ कोई धर्मी नहीं ठहरता, क्योंकि धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा। नवीन हिंदी बाइबल अब स्पष्ट है कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर की दृष्टि में कोई भी धर्मी नहीं ठहरता, क्योंकि धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा। सरल हिन्दी बाइबल यह स्पष्ट है कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के सामने कोई भी धर्मी नहीं ठहरता; क्योंकि लिखा है: “वह, जो धर्मी है, विश्वास से जीवित रहेगा.” |
“निष्पाप तो कोई मनुष्य नहीं है: यदि ये भी तेरे विरुद्ध पाप करें, और तू उन पर कोप करके उन्हें शत्रुओं के हाथ कर दे, और वे उनको बन्दी बनाकर अपने देश को चाहे वह दूर हो, चाहे निकट, ले जाएँ,
चाहे वह उससे मुकद्दमा लड़ना भी चाहे तो भी मनुष्य हजार बातों में से एक का भी उत्तर न दे सकेगा।
और अपने दास से मुकद्दमा न चला! क्योंकि कोई प्राणी तेरी दृष्टि में निर्दोष नहीं ठहर सकता। (रोम. 3:20, 1 कुरि. 4:4, गला. 2:16)
निःसन्देह पृथ्वी पर कोई ऐसा धर्मी मनुष्य नहीं जो भलाई ही करे और जिससे पाप न हुआ हो। (रोम. 3:10)
हम तो सब के सब भेड़ों के समान भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना-अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभी के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया। (प्रेरि. 10:43, 1 पत. 2:25)
तब मैंने कहा, “हाय! हाय! मैं नाश हुआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठवाला मनुष्य हूँ, और अशुद्ध होंठवाले मनुष्यों के बीच में रहता हूँ; क्योंकि मैंने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आँखों से देखा है!”
हम तो सब के सब अशुद्ध मनुष्य के से हैं, और हमारे धार्मिकता के काम सब के सब मैले चिथड़ों के समान हैं। हम सब के सब पत्ते के समान मुर्झा जाते हैं, और हमारे अधर्म के कामों ने हमें वायु के समान उड़ा दिया है।
देख, उसका मन फूला हुआ है, उसका मन सीधा नहीं है; परन्तु धर्मी अपने विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा। (इब्रा. 10:37, 38, 2 पत. 3:9, रोम. 1:17, गला. 3:11)
क्योंकि उसमें परमेश्वर की धार्मिकता विश्वास से और विश्वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, “विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा।” (हब. 2:4, गला. 3:11)
तो भी यह जानकर कि मनुष्य व्यवस्था के कामों से नहीं, पर केवल यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा धर्मी ठहरता है, हमने आप भी मसीह यीशु पर विश्वास किया, कि हम व्यवस्था के कामों से नहीं पर मसीह पर विश्वास करने से धर्मी ठहरें; इसलिए कि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी धर्मी न ठहरेगा। (रोम. 3:20-22, फिलि. 3:9)
और मेरा धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उससे प्रसन्न न होगा।” (हब. 2:4, गला. 3:11)
हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्लेश में उनकी सुधि लें, और अपने आपको संसार से निष्कलंक रखें।
इसलिए कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।
और वे यह नया गीत गाने लगे, “तू इस पुस्तक के लेने, और उसकी मुहरें खोलने के योग्य है; क्योंकि तूने वध होकर अपने लहू से हर एक कुल, और भाषा, और लोग, और जाति में से परमेश्वर के लिये लोगों को मोल लिया है। (प्रका. 5:12)