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अय्यूब 9:20 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

चाहे मैं निर्दोष ही क्यों न हूँ, परन्तु अपने ही मुँह से दोषी ठहरूँगा; खरा होने पर भी वह मुझे कुटिल ठहराएगा।

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पवित्र बाइबल

मैं निर्दोंष हूँ किन्तु मेरा भयभीत मुख मुझे अपराधी कहेगा। अत: यद्यपि मैं निरपराधी हूँ किन्तु मेरा मुख मुझे अपराधी घोषित करता है।

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Hindi Holy Bible

चाहे मैं निर्दोष ही क्यों न हूँ, परन्तु अपने ही मुंह से दोषी ठहरूंगा; खरा होने पर भी वह मुझे कुटिल ठहराएगा।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

यद्यपि मैं निर्दोष हूं तो भी मेरा मुँह मुझे दोषी ठहराएगा; यद्यपि मैं प्रत्‍येक दृष्‍टि से सिद्ध हूं, तो भी वह मुझे कुटिल प्रमाणित कर देगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

चाहे मैं निर्दोष ही क्यों न हूँ, परन्तु अपने ही मुँह से दोषी ठहरूँगा; खरा होने पर भी वह मुझे कुटिल ठहराएगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

यद्यपि मैं ईमानदार हूं, मेरे ही शब्द मुझे दोषारोपित करेंगे; यद्यपि मैं दोषहीन हूं, मेरा मुंह मुझे दोषी घोषित करेंगे.

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अय्यूब 9:20
24 क्रॉस रेफरेंस  

ऊस देश में अय्यूब नामक एक पुरुष था; वह खरा और सीधा था और परमेश्वर का भय मानता और बुराई से परे रहता था। (अय्यू. 1:8)


यदि मैं दुष्टता करूँ तो मुझ पर हाय! और यदि मैं धर्मी बनूँ तो भी मैं सिर न उठाऊँगा, क्योंकि मैं अपमान से भरा हुआ हूँ और अपने दुःख पर ध्यान रखता हूँ।


मेरे अपराध छाप लगी हुई थैली में हैं, और तूने मेरे अधर्म को सी रखा है।


‘अय्यूब ज्ञान की बातें नहीं कहता, और न उसके वचन समझ के साथ होते हैं।’


इस कारण अय्यूब व्यर्थ मुँह खोलकर अज्ञानता की बातें बहुत बनाता है।”


‘क्या नाशवान मनुष्य परमेश्वर से अधिक धर्मी होगा? क्या मनुष्य अपने सृजनहार से अधिक पवित्र हो सकता है?


चाहे मैं निर्दोष भी होता परन्तु उसको उत्तर न दे सकता; मैं अपने मुद्दई से गिड़गिड़ाकर विनती करता।


“मैं निश्चय जानता हूँ कि बात ऐसी ही है; परन्तु मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में कैसे धर्मी ठहर सकता है?


तब मैं अपने सब दुःखों से डरता हूँ। मैं तो जानता हूँ, कि तू मुझे निर्दोष न ठहराएगा।


मैं तो दोषी ठहरूँगा; फिर व्यर्थ क्यों परिश्रम करूँ?


हे यहोवा, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खड़ा रह सकेगा?


और अपने दास से मुकद्दमा न चला! क्योंकि कोई प्राणी तेरी दृष्टि में निर्दोष नहीं ठहर सकता। (रोम. 3:20, 1 कुरि. 4:4, गला. 2:16)


जहाँ बहुत बातें होती हैं, वहाँ अपराध भी होता है, परन्तु जो अपने मुँह को बन्द रखता है वह बुद्धि से काम करता है।


जो मन का टेढ़ा है, उसका कल्याण नहीं होता, और उलट-फेर की बात करनेवाला विपत्ति में पड़ता है।


तब मैंने कहा, “हाय! हाय! मैं नाश हुआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठवाला मनुष्य हूँ, और अशुद्ध होंठवाले मनुष्यों के बीच में रहता हूँ; क्योंकि मैंने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आँखों से देखा है!”


परन्तु उसने अपने आपको धर्मी ठहराने की इच्छा से यीशु से पूछा, “तो मेरा पड़ोसी कौन है?”


उसने उनसे कहा, “तुम तो मनुष्यों के सामने अपने आपको धर्मी ठहराते हो, परन्तु परमेश्वर तुम्हारे मन को जानता है, क्योंकि जो वस्तु मनुष्यों की दृष्टि में महान है, वह परमेश्वर के निकट घृणित है।


और उन मनुष्यों में व्यर्थ रगड़े-झगड़े उत्पन्न होते हैं, जिनकी बुद्धि बिगड़ गई है और वे सत्य से विहीन हो गए हैं, जो समझते हैं कि भक्ति लाभ का द्वार है।


इसलिए कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।