जो तू कहता है, ‘मुझे इससे क्या लाभ? और मुझे पापी होने में और न होने में कौन सा अधिक अन्तर है?’
अय्यूब 36:21 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 चौकस रह, अनर्थ काम की ओर मत फिर, तूने तो दुःख से अधिक इसी को चुन लिया है। पवित्र बाइबल अय्यूब, बुरा काम करने से तू सावधान रह। तुझ पर विपत्तियाँ भेजी गई हैं ताकि तू पाप को ग्रहण न करे। Hindi Holy Bible चौकस रह, अनर्थ काम की ओर मत फिर, तू ने तो दु:ख से अधिक इसी को चुन लिया है। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) सावधान! अधर्म की ओर मत मुड़ो। क्योंकि तुमने दु:ख की अपेक्षा अधर्म को अपनाया है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) चौकस रह, अनर्थ काम की ओर मत फिर, तू ने तो दु:ख से अधिक इसी को चुन लिया है। सरल हिन्दी बाइबल सावधान रहिए, बुराई की ओर न मुड़िए, ऐसा जान पड़ता है, कि आपने पीड़ा के बदले बुराई को चुन लिया है. |
जो तू कहता है, ‘मुझे इससे क्या लाभ? और मुझे पापी होने में और न होने में कौन सा अधिक अन्तर है?’
“इसलिए मैं अपना मुँह बन्द न रखूँगा; अपने मन का खेद खोलकर कहूँगा; और अपने जीव की कड़वाहट के कारण कुड़कुड़ाता रहूँगा।
जो व्यर्थ मूर्तियों पर मन लगाते हैं, उनसे मैं घृणा करता हूँ; परन्तु मेरा भरोसा यहोवा ही पर है। (भज. 24:4)
इसलिए तू उनसे कह, प्रभु यहोवा यह कहता है: इस्राएल के घराने में से जो कोई अपनी मूर्तियाँ अपने मन में स्थापित करके, और अपने अधर्म की ठोकर अपने सामने रखकर भविष्यद्वक्ता के पास आए, उसको, मैं यहोवा, उसकी बहुत सी मूरतों के अनुसार ही उत्तर दूँगा,
जब दानिय्येल को मालूम हुआ कि उस पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, तब वह अपने घर में गया जिसकी ऊपरी कोठरी की खिड़कियाँ यरूशलेम की ओर खुली रहती थीं, और अपनी रीति के अनुसार जैसा वह दिन में तीन बार अपने परमेश्वर के सामने घुटने टेककर प्रार्थना और धन्यवाद करता था, वैसा ही तब भी करता रहा।
पर अपने में जड़ न रखने के कारण वह थोड़े ही दिन रह पाता है, और जब वचन के कारण क्लेश या उत्पीड़न होता है, तो तुरन्त ठोकर खाता है।
तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, “यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आपका इन्कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले।
इसलिए कि उसे पाप में थोड़े दिन के सुख भोगने से परमेश्वर के लोगों के साथ दुःख भोगना और भी उत्तम लगा।
क्योंकि यदि परमेश्वर की यही इच्छा हो कि तुम भलाई करने के कारण दुःख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दुःख उठाने से उत्तम है।