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भजन संहिता 66:18 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

18 यदि मैं मन में अनर्थ की बात सोचता, तो प्रभु मेरी न सुनता। (यूह. 9:31, नीति. 15:29)

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Hindi Holy Bible

18 यदि मैं मन में अनर्थ बात सोचता तो प्रभु मेरी न सुनता।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

18 यदि मैं अपने हृदय में अनिष्‍ट सोचता, तो स्‍वामी नहीं सुनता।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

18 यदि मैं मन में अनर्थ की बात सोचता, तो प्रभु मेरी न सुनता।

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नवीन हिंदी बाइबल

18 यदि मैं मन में अनर्थ बात सोचता, तो प्रभु मेरी न सुनता।

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भजन संहिता 66:18
10 क्रॉस रेफरेंस  

निश्चय परमेश्वर व्यर्थ बातें कभी नहीं सुनता, और न सर्वशक्तिमान उन पर चित्त लगाता है।


चौकस रह, अनर्थ काम की ओर मत फिर, तूने तो दुःख से अधिक इसी को चुन लिया है।


यहोवा दुष्टों से दूर रहता है, परन्तु धर्मियों की प्रार्थना सुनता है। (यूह. 9:31)


दुष्ट लोगों के बलिदान से यहोवा घृणा करता है, परन्तु वह सीधे लोगों की प्रार्थना से प्रसन्न होता है।


जो कंगाल की दुहाई पर कान न दे, वह आप पुकारेगा और उसकी सुनी न जाएगी।


जो अपना कान व्यवस्था सुनने से मोड़ लेता है, उसकी प्रार्थना घृणित ठहरती है।


जब तुम मेरी ओर हाथ फैलाओ, तब मैं तुम से मुख फेर लूँगा; तुम कितनी ही प्रार्थना क्यों न करो, तो भी मैं तुम्हारी न सुनूँगा; क्योंकि तुम्हारे हाथ खून से भरे हैं। (नीति. 1:28, मीका 3:4)


हम जानते हैं कि परमेश्वर पापियों की नहीं सुनता परन्तु यदि कोई परमेश्वर का भक्त हो, और उसकी इच्छा पर चलता है, तो वह उसकी सुनता है। (नीति. 15:29)


तुम माँगते हो और पाते नहीं, इसलिए कि बुरी इच्छा से माँगते हो, ताकि अपने भोग-विलास में उड़ा दो।


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