न्याय के लिए विनतीआसाफ का भजन। 1 परमेश्वर अपनी सभा में विराजमान है; वह ईश्वरों के बीच न्याय करता है : 2 “तुम कब तक अनुचित रीति से न्याय करते और दुष्टों का पक्ष लेते रहोगे? सेला। 3 कंगालों और अनाथों के साथ न्याय करो, पीड़ितों और दरिद्रों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करो। 4 कंगालों और निर्धनों को बचाओ; उन्हें दुष्टों के हाथों से छुड़ाओ।” 5 वे न तो कुछ जानते हैं, न कुछ समझते हैं; वे अंधेरे में भटकते रहते हैं। पृथ्वी की पूरी नींव हिल जाती है। 6 मैंने कहा है, “तुम ईश्वर हो, और तुम सब परमप्रधान के पुत्र हो। 7 फिर भी तुम मनुष्यों के समान मरोगे, और किसी अन्य शासक के समान तुम्हारा भी पतन होगा।” 8 हे परमेश्वर उठ, पृथ्वी का न्याय कर; क्योंकि सब जातियाँ तेरी ही हैं। |