झूठी शिक्षा1 अब आत्मा स्पष्ट रूप से कहता है कि अंत के समय में कुछ लोग भरमानेवाली आत्माओं और दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाकर विश्वास से भटक जाएँगे। 2 यह उन झूठे लोगों के पाखंड के कारण होगा, जिनका विवेक मानो जलते लोहे से दाग दिया गया हो। 3 वे विवाह करने से रोकेंगे, और कुछ भोजन वस्तुओं को त्यागने की आज्ञा देंगे जिन्हें परमेश्वर ने इसलिए सृजा है कि विश्वासी और सत्य को जाननेवाले धन्यवाद के साथ खाएँ। 4 क्योंकि परमेश्वर द्वारा सृजी प्रत्येक वस्तु अच्छी है और यदि धन्यवाद के साथ स्वीकार की जाए तो कोई वस्तु अस्वीकार्य नहीं है; 5 क्योंकि वह परमेश्वर के वचन और प्रार्थना के द्वारा शुद्ध हो जाती है। मसीह यीशु का अच्छा सेवक6 यदि तू भाइयों को इन बातों का स्मरण कराता रहे तो मसीह यीशु का अच्छा सेवक ठहरेगा, और विश्वास के उन वचनों तथा खरी शिक्षा के द्वारा, जिनका तू पालन करता आया है, तेरा पोषण होता रहेगा। 7 अभक्ति और मूर्खता से भरी कल्पित कथाओं से दूर रह। अपने आपको भक्ति में प्रशिक्षित कर, 8 क्योंकि शारीरिक व्यायाम से थोड़ा ही लाभ होता है, परंतु भक्ति सब बातों में लाभदायक है, और इसमें वर्तमान और आने वाले जीवन की प्रतिज्ञा पाई जाती है। 9 यह बात सच और हर प्रकार से ग्रहणयोग्य है; 10 इसी कारण हम परिश्रम और संघर्ष करते रहते हैं, क्योंकि हमारी आशा उस जीवित परमेश्वर पर है, जो सब मनुष्यों का, विशेषकर विश्वासियों का उद्धारकर्ता है। सेवा के निर्देश11 इन्हीं बातों की आज्ञा और शिक्षा दे। 12 कोई तेरी जवानी को तुच्छ न समझे, बल्कि तू वचन, आचरण, प्रेम, विश्वास और पवित्रता में विश्वासियों के लिए आदर्श बन। 13 जब तक मैं न आऊँ, पवित्रशास्त्र पढ़ने, प्रोत्साहित करने और शिक्षा देने में लगा रह। 14 वह वरदान जो तुझमें है और तुझे प्रवरों के हाथ रखने पर भविष्यवाणी के द्वारा प्राप्त हुआ था, उसकी उपेक्षा न कर। 15 इन बातों को करने में प्रयत्नशील रह, और इन्हीं में बना रह, ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रकट हो जाए। 16 तू अपने और अपनी शिक्षा के प्रति सजग रह। उन्हीं बातों पर स्थिर रह, क्योंकि ऐसा करने से तू अपने और अपने सुननेवालों के उद्धार का कारण होगा। |