फरीसी अपने आप से अलग ठाड़गौ और प्रार्थना करी, ‘मैं तोए धन्यवाद देथौं, परमेस्वर, कि मैं लालची, अधर्मी या व्यभिचारी नाय हौं, जैसो कि सबै कोई करी है। मैं तोए धन्यवाद देथौं कि मैं हूँना बौ लगान लेन बारे के तराहनी नाय हौं।
मेरे भईय्यौ, का तुम दुसरेन के ऊपर दोस लगाथौ? तुमरे झोने कोईये बहाना नाय है, तुम चाँहे जो होबौ; जब तुम दुसरेन को फैसला, और फिर बहे काम करथौ, जो बे करथैं, तौ तुम खुद को तिरस्कार करथौ।
मेरे भईय्यौ और बहेनियौ अगर कोई इंसान कोई गलत काम मैं पकड़ो जाबै तौ तुम जो आत्मिक हौ, नमरता के संग ऐसेन कै साधौ, और अपनियौ चौकसी करौ कि तुम्हऊँ परिक्छा मैं नाय पड़ौ।