2 “कोई सहर मैं एक न्याई रहत रहै बौ ना परमेस्वर से डरात रहै, और नाय कोई आदमिन को आदर करतो।
2 “कोइ सहरमे एक न्यायधीश रहात रहए; जो नए परमेश्वरसे डरात रहए और नए कोइ आदमीके वास्ता करत रहए।
और कोई सहर मैं एक बिधवा बईय्यर भी रहत रहै, जो बाके झोने आयकै कहती मेरो न्याय करकै, ‘मोए दलालन से बचा!’
कुछ समय ले तौ बौ नाय मानो लेकिन आखरी मैं मन मैं सोच बिचार करकै कही, ‘ना मैं तौ परमेस्वर से डराथौं और ना लोगन को आदर करथौं,
तौ अंगूर की बारी को प्रभु कहीं, ‘मैं का करौं? मैं अपने प्रिय लौड़ा कै भेजंगो; बे पक्का बाको आदर करंगे!’
फिर जबकी हमरे इंसानी दऊवा भी हमारी सजा करत रहैं और हम उनको आदर करे, तौ का आत्मन के दऊवा के औरौ संग नाय रहमैं जोसे हम जिंदे रहमैं।