काहैकि हम खुद एक बार मूर्ख, आग्या ना मानन बारे और गलत रहैं। हम सब तरहन की इच्छा और सुख के गुलाम रहैं। हम जो अपनी जिंदगी, डाह और जलन ऐसी जिंदगी जीत रहैं, और दुसरे हमसे नफरत और हम उनसे नफरत करत रहैं।
और ध्यान से देखत रहबौ, ऐसो नाय होबै, कि कोई परमेस्वर के अनुग्रह पान से छूट जाबै, या कोई कड़वी जड़ फूट कै दुख देबै, और बाके जरिया निरे लोग असुद्ध हुई जामैं।