زبور 131 - किताबे-मुक़द्दसबच्चे का-सा ईमान 1 ज़ियारत का गीत। ऐ रब, न मेरा दिल घमंडी है, न मेरी आँखें मग़रूर हैं। जो बातें इतनी अज़ीम और हैरानकुन हैं कि मैं उनसे निपट नहीं सकता उन्हें मैं नहीं छेड़ता। 2 यक़ीनन मैंने अपनी जान को राहत और सुकून दिलाया है, और अब वह माँ की गोद में बैठे छोटे बच्चे की मानिंद है, हाँ मेरी जान छोटे बच्चे की मानिंद है। 3 ऐ इसराईल, अब से अबद तक रब के इंतज़ार में रह! |
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