Biblia Todo Logo
آن لائن بائبل

- اشتہارات -

یسعیاہ 5 - किताबे-मुक़द्दस


बेफल अंगूर का बाग़

1 आओ, मैं अपने महबूब के लिए गीत गाऊँ, एक गीत जो उसके अंगूर के बाग़ के बारे में है। मेरे प्यारे का बाग़ था। अंगूर का यह बाग़ ज़रख़ेज़ पहाड़ी पर था।

2 उसने गोडी करते करते उसमें से तमाम पत्थर निकाल दिए, फिर बेहतरीन अंगूर की क़लमें लगाईं। बीच में उसने मीनार खड़ा किया ताकि उस की सहीह चौकीदारी कर सके। साथ साथ उसने अंगूर का रस निकालने के लिए पत्थर में हौज़ तराश लिया। फिर वह पहली फ़सल का इंतज़ार करने लगा। बड़ी उम्मीद थी कि अच्छे मीठे अंगूर मिलेंगे। लेकिन अफ़सोस! जब फ़सल पक गई तो छोटे और खट्टे अंगूर ही निकले थे।

3 “ऐ यरूशलम और यहूदाह के बाशिंदो, अब ख़ुद फ़ैसला करो कि मैं उस बाग़ के साथ क्या करूँ।

4 क्या मैंने बाग़ के लिए हर मुमकिन कोशिश नहीं की थी? क्या मुनासिब नहीं था कि मैं अच्छी फ़सल की उम्मीद रखूँ? क्या वजह है कि सिर्फ़ छोटे और खट्टे अंगूर निकले?

5 पता है कि मैं अपने बाग़ के साथ क्या करूँगा? मैं उस की काँटेदार बाड़ को ख़त्म करूँगा और उस की चारदीवारी गिरा दूँगा। उसमें जानवर घुस आएँगे और चरकर सब कुछ तबाह करेंगे, सब कुछ पाँवों तले रौंद डालेंगे!

6 मैं उस की ज़मीन बंजर बना दूँगा। न उस की बेलों की काँट-छाँट होगी, न गोडी की जाएगी। वहाँ काँटेदार और ख़ुदरौ पौदे उगेंगे। न सिर्फ़ यह बल्कि मैं बादलों को भी उस पर बरसने से रोक दूँगा।”

7 सुनो, इसराईली क़ौम अंगूर का बाग़ है जिसका मालिक रब्बुल-अफ़वाज है। यहूदाह के लोग उसके लगाए हुए पौदे हैं जिनसे वह लुत्फ़अंदोज़ होना चाहता है। वह उम्मीद रखता था कि इनसाफ़ की फ़सल पैदा होगी, लेकिन अफ़सोस! उन्होंने ग़ैरक़ानूनी हरकतें कीं। रास्ती की तवक़्क़ो थी, लेकिन मज़लूमों की चीख़ें ही सुनाई दीं।


लोगों की ग़ैरक़ानूनी हरकतें

8 तुम पर अफ़सोस जो यके बाद दीगरे घरों और खेतों को अपनाते जा रहे हो। आख़िरकार दीगर तमाम लोगों को निकलना पड़ेगा और तुम मुल्क में अकेले ही रहोगे।

9 रब्बुल-अफ़वाज ने मेरी मौजूदगी में ही क़सम खाई है, “यक़ीनन यह मुतअद्दिद मकान वीरानो-सुनसान हो जाएंगे, इन बड़े और आलीशान घरों में कोई नहीं बसेगा।

10 दस एकड़ ज़मीन के अंगूरों से मै के सिर्फ़ 22 लिटर बनेंगे, और बीज के 160 किलोग्राम से ग़ल्ला के सिर्फ़ 16 किलोग्राम पैदा होंगे।”

11 तुम पर अफ़सोस जो सुबह-सवेरे उठकर शराब के पीछे पड़ जाते और रात-भर मै पी पीकर मस्त हो जाते हो।

12 तुम्हारी ज़ियाफ़तों में कितनी रौनक़ होती है! तुम्हारे मेहमान मै पी पीकर सरोद, सितार, दफ़ और बाँसरी की सुरीली आवाज़ों से अपना दिल बहलाते हैं। लेकिन अफ़सोस, तुम्हें ख़याल तक नहीं आता कि रब क्या कर रहा है। जो कुछ रब के हाथों हो रहा है उसका तुम लिहाज़ ही नहीं करते।

13 इसी लिए मेरी क़ौम जिलावतन हो जाएगी, क्योंकि वह समझ से ख़ाली है। उसके बड़े अफ़सर भूके मरेंगे, और अवाम प्यास के मारे सूख जाएंगे।

14 पाताल ने अपना मुँह फाड़कर खोला है ताकि क़ौम की तमाम शानो-शौकत, शोर-शराबा, हंगामा और शादमान अफ़राद उसके गले में उतर जाएँ।

15 इनसान को पस्त करके ख़ाक में मिलाया जाएगा, और मग़रूर की आँखें नीची हो जाएँगी।

16 लेकिन रब्बुल-अफ़वाज की अदालत उस की अज़मत दिखाएगी, और क़ुद्दूस ख़ुदा की रास्ती ज़ाहिर करेगी कि वह क़ुद्दूस है।

17 उन दिनों में लेले और मोटी-ताज़ी भेड़ें जिलावतनों के खंडरात में यों चरेंगी जिस तरह अपनी चरागाहों में।

18 तुम पर अफ़सोस जो अपने क़ुसूर को धोकेबाज़ रस्सों के साथ अपने पीछे खींचते और अपने गुनाह को बैलगाड़ी की तरह अपने पीछे घसीटते हो।

19 तुम कहते हो, “अल्लाह जल्दी जल्दी अपना काम निपटाए ताकि हम इसका मुआयना करें। जो मनसूबा इसराईल का क़ुद्दूस रखता है वह जल्दी सामने आए ताकि हम उसे जान लें।”

20 तुम पर अफ़सोस जो बुराई को भुला और भलाई को बुरा क़रार देते हो, जो कहते हो कि तारीकी रौशनी और रौशनी तारीकी है, कि कड़वाहट मीठी और मिठास कड़वी है।

21 तुम पर अफ़सोस जो अपनी नज़र में दानिशमंद हो और अपने आपको होशियार समझते हो।

22 तुम पर अफ़सोस जो मै पीने में पहलवान हो और शराब मिलाने में अपनी बहादुरी दिखाते हो।

23 तुम रिश्वत खाकर मुजरिमों को बरी करते और बेक़ुसूरों के हुक़ूक़ मारते हो।

24 अब तुम्हें इसकी सज़ा भुगतनी पड़ेगी। जिस तरह भूसा आग की लपेट में आकर राख हो जाता और सूखी घास आग के शोले में चुरमुर हो जाती है उसी तरह तुम ख़त्म हो जाओगे। तुम्हारी जड़ें सड़ जाएँगी और तुम्हारे फूल गर्द की तरह उड़ जाएंगे, क्योंकि तुमने रब्बुल-अफ़वाज की शरीअत को रद्द किया है, तुमने इसराईल के क़ुद्दूस का फ़रमान हक़ीर जाना है।


असूरी फ़ौज का हमला

25 यही वजह है कि रब का ग़ज़ब उस की क़ौम पर नाज़िल हुआ है, कि उसने अपना हाथ बढ़ाकर उन पर हमला किया है। पहाड़ लरज़ रहे और गलियों में लाशें कचरे की तरह बिखरी हुई हैं। ताहम उसका ग़ुस्सा ठंडा नहीं होगा बल्कि उसका हाथ मारने के लिए उठा ही रहेगा।

26 वह एक दूर-दराज़ क़ौम के लिए फ़ौजी झंडा गाड़कर उसे अपनी क़ौम के ख़िलाफ़ खड़ा करेगा, वह सीटी बजाकर उसे दुनिया की इंतहा से बुलाएगा। वह देखो, दुश्मन भागते हुए आ रहे हैं!

27 उनमें से कोई नहीं जो थकामाँदा हो या लड़खड़ाकर चले। कोई नहीं ऊँघता या सोया हुआ है। किसी का भी पटका ढीला नहीं, किसी का भी तसमा टूटा नहीं।

28 उनके तीर तेज़ और कमान तने हुए हैं। उनके घोड़ों के खुर चक़माक़ जैसे, उनके रथों के पहिये आँधी जैसे हैं।

29 वह शेरनी की तरह गरजते हैं बल्कि जवान शेरबबर की तरह दहाड़ते और ग़ुर्राते हुए अपना शिकार छीनकर वहाँ ले जाते हैं जहाँ उसे कोई नहीं बचा सकता।

30 उस दिन दुश्मन ग़ुर्राते और मुतलातिम समुंदर का-सा शोर मचाते हुए इसराईल पर टूट पड़ेंगे। जहाँ भी देखो वहाँ अंधेरा ही अंधेरा और मुसीबत ही मुसीबत। बादल छा जाने के सबब से रौशनी तारीक हो जाएगी।

Copyright © 2019 Urdu Geo Version. CC-BY-ND-NC

eBible.org
ہمیں فالو کریں:



اشتہارات