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صفن یاہ 1:14 - किताबे-मुक़द्दस

14 रब का अज़ीम दिन क़रीब ही है, वह बड़ी तेज़ी से हम पर नाज़िल हो रहा है। सुनो! वह दिन तलख़ होगा। हालात ऐसे होंगे कि बहादुर फ़ौजी भी चीख़कर मदद के लिए पुकारेंगे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

14 یَاہوِہ کا عظیم دِن قریب ہے۔ اَور وہ جلد آ رہاہے۔ سُنو! یَاہوِہ کے دِن کا شور بہت زِیادہ ہوگا، اَور جنگجو بھی پھوٹ پھوٹ کر رُوئے گا۔

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کِتابِ مُقادّس

14 خُداوند کا روزِ عظِیم قرِیب ہے ہاں وہ نزدِیک آ گیا۔ وہ آ پُہنچا! سُنو! خُداوند کے دِن کا شور! زبردست آدمی پُھوٹ پُھوٹ کر روئے گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

14 رب کا عظیم دن قریب ہی ہے، وہ بڑی تیزی سے ہم پر نازل ہو رہا ہے۔ سنو! وہ دن تلخ ہو گا۔ حالات ایسے ہوں گے کہ بہادر فوجی بھی چیخ کر مدد کے لئے پکاریں گے۔

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صفن یاہ 1:14
31 حوالہ جات  

रब के उस अज़ीम और हौलनाक दिन से पहले मैं तुम्हारे पास इलियास नबी को भेजूँगा।


जो आनेवाला है। क्योंकि रब का दिन क़रीब ही है। उस दिन घने बादल छा जाएंगे, और मैं अक़वाम की अदालत करूँगा।


अब रब क़ादिरे-मुतलक़ के सामने ख़ामोश हो जाओ, क्योंकि रब का दिन क़रीब ही है। रब ने इसके लिए ज़बह की क़ुरबानी तैयार करके अपने मेहमानों को मख़सूसो-मुक़द्दस कर दिया है।”


रब ख़ुद अपनी फ़ौज के आगे आगे गरजता रहता है। उसका लशकर निहायत बड़ा है, और जो फ़ौजी उसके हुक्म पर चलते हैं वह ताक़तवर हैं। क्योंकि रब का दिन अज़ीम और निहायत हौलनाक है, कौन उसे बरदाश्त कर सकता है?


उस वक़्त ऊँची आवाज़ से हुक्म दिया जाएगा, फ़रिश्ताए-आज़म की आवाज़ सुनाई देगी, अल्लाह का तुरम बजेगा और ख़ुदावंद ख़ुद आसमान पर से उतर आएगा। तब पहले वह जी उठेंगे जो मसीह में मर गए थे।


अदालत का दिन क़रीब ही है। उस वक़्त जो कुछ ख़रीदे वह ख़ुश न हो, और जो कुछ फ़रोख़्त करे वह ग़म न खाए। क्योंकि अब इन चीज़ों का कोई फ़ायदा नहीं, इलाही ग़ज़ब सब पर नाज़िल हो रहा है।


सुनो, उनके सूरमे गलियों में चीख़ रहे हैं, अमन के सफ़ीर तलख़ आहें भर रहे हैं।


हसबोन और इलियाली मदद के लिए पुकार रहे हैं, और उनकी आवाज़ें यहज़ तक सुनाई दे रही हैं। इसलिए मोआब के मुसल्लह मर्द जंग के नारे लगा रहे हैं, गो वह अंदर ही अंदर काँप रहे हैं।


भाइयो, एक दूसरे पर मत बुड़बुड़ाना, वरना आपकी अदालत की जाएगी। मुंसिफ़ तो दरवाज़े पर खड़ा है।


सूरज तारीक हो जाएगा, चाँद का रंग ख़ून-सा हो जाएगा, और फिर रब का अज़ीम और जलाली दिन आएगा।


उस दिन पर अफ़सोस! क्योंकि रब का वह दिन क़रीब ही है जब क़ादिरे-मुतलक़ हम पर तबाही नाज़िल करेगा।


लालच के सबब से यह उस्ताद आपको फ़रज़ी कहानियाँ सुनाकर आपकी लूट-खसोट करेंगे। लेकिन अल्लाह ने बड़ी देर से उन्हें मुजरिम ठहराया, और उसका फ़ैसला सुस्तरफ़्तार नहीं है। हाँ, उनका मुंसिफ़ ऊँघ नहीं रहा बल्कि उन्हें हलाक करने के लिए तैयार खड़ा है।


रब ने पूछा, “ऐ आमूस, तुझे क्या नज़र आता है?” मैंने जवाब दिया, “पके हुए फल से भरी हुई टोकरी।” तब रब ने मुझसे फ़रमाया, “मेरी क़ौम का अंजाम पक गया है। अब से मैं उन्हें सज़ा दिए बग़ैर नहीं छोड़ूँगा।


सूरज तारीक हो जाएगा, चाँद का रंग ख़ून-सा हो जाएगा, और फिर रब का अज़ीम और जलाली दिन आएगा।


रब फ़रमाता है, “उस दिन मछली के दरवाज़े से ज़ोर की चीख़ें, नए शहर से आहो-ज़ारी और पहाड़ियों से कड़कती आवाज़ें सुनाई देंगी।


रब कोहे-सिय्यून पर से दहाड़ेगा, यरूशलम से उस की गरजती आवाज़ यों सुनाई देगी कि आसमानो-ज़मीन लरज़ उठेंगे। लेकिन रब अपनी क़ौम की पनाहगाह और इसराईलियों का क़िला होगा।


कोहे-सिय्यून पर नरसिंगा फूँको, मेरे मुक़द्दस पहाड़ पर जंग का नारा लगाओ। मुल्क के तमाम बाशिंदे लरज़ उठें, क्योंकि रब का दिन आनेवाला है बल्कि क़रीब ही है।


जवाब में उन्हें बता, ‘रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं इस कहावत को ख़त्म करूँगा, आइंदा यह इसराईल में इस्तेमाल नहीं होगी।’ उन्हें यह भी बता, ‘वह वक़्त क़रीब ही है जब हर रोया पूरी हो जाएगी।


दुश्मन ने क़सबों पर क़ब्ज़ा कर लिया है, क़िले उसके हाथ में आ गए हैं। उस दिन मोआबी सूरमाओं का दिल दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की तरह पेचो-ताब खाएगा।


अफ़सोस! वह दिन कितना हौलनाक होगा! उस जैसा कोई नहीं होगा। याक़ूब की औलाद को बड़ी मुसीबत पेश आएगी, लेकिन आख़िरकार उसे रिहाई मिलेगी।’


सुनो! गल्लाबानों की चीख़ें और रेवड़ के राहनुमाओं की आहें! क्योंकि रब उनकी चरागाह को तबाह कर रहा है।


सुनो! शहर में शोरो-ग़ौग़ा हो रहा है। सुनो! रब के घर से हलचल की आवाज़ सुनाई दे रही है। सुनो! रब अपने दुश्मनों को उनकी मुनासिब सज़ा दे रहा है।


जब अल्लाह सीना पहाड़ पर से बोल उठा तो ज़मीन काँप गई, लेकिन अब उसने वादा किया है, “एक बार फिर मैं न सिर्फ़ ज़मीन को हिला दूँगा बल्कि आसमान को भी।”


आपकी नरमदिली तमाम लोगों पर ज़ाहिर हो। याद रखें कि ख़ुदावंद आने को है।


और नीचे ज़मीन की तरफ़ देखेंगे, लेकिन जहाँ भी नज़र पड़े वहाँ मुसीबत, अंधेरा और हौलनाक तारीकी ही दिखाई देगी। उन्हें तारीकी ही तारीकी में डाल दिया जाएगा।


जितने भी बचेंगे वह पहाड़ों में पनाह लेंगे, घाटियों में फ़ाख़्ताओं की तरह ग़ूँ ग़ूँ करके अपने गुनाहों पर आहो-ज़ारी करेंगे।


फ़ैसले की वादी में हंगामा ही हंगामा है, क्योंकि फ़ैसले की वादी में रब का दिन क़रीब आ गया है।


लेकिन मुझे क्या नज़र आ रहा है? मिसरी फ़ौजियों पर दहशत तारी हुई है। वह पीछे हट रहे हैं, उनके सूरमाओं ने हथियार डाल दिए हैं। वह भाग भागकर फ़रार हो रहे हैं और पीछे भी नहीं देखते। रब फ़रमाता है कि चारों तरफ़ दहशत ही दहशत फैल गई है।


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