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زکریاہ 7:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 साथ साथ उन्हें रब्बुल-अफ़वाज के घर के इमामों को यह सवाल पेश करना था, “अब हम कई साल से पाँचवें महीने में रोज़ा रखकर रब के घर की तबाही पर मातम करते आए हैं। क्या लाज़िम है कि हम यह दस्तूर आइंदा भी जारी रखें?”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 اَور قادرمُطلق یَاہوِہ کے گھر کے کاہِنوں اَور نبیوں سے پُوچھیں، ”کیا ہم پانچویں مہینے میں ماتم کریں اَور روزہ رکھیں کہ نہیں، جَیسا کہ ہم کیٔی سالوں سے کرتے آ رہے ہیں؟“

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کِتابِ مُقادّس

3 اور ربُّ الافواج کے گھر کے کاہِنوں اور نبِیوں سے پُوچھیں کہ کیا مَیں پانچویں مہِینے میں گوشہ نشِین ہو کر ماتم کرُوں جَیسا کہ مَیں نے سالہا سال سے کِیا ہے؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 ساتھ ساتھ اُنہیں رب الافواج کے گھر کے اماموں کو یہ سوال پیش کرنا تھا، ”اب ہم کئی سال سے پانچویں مہینے میں روزہ رکھ کر رب کے گھر کی تباہی پر ماتم کرتے آئے ہیں۔ کیا لازم ہے کہ ہم یہ دستور آئندہ بھی جاری رکھیں؟“

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زکریاہ 7:3
21 حوالہ جات  

“रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है कि आज तक यहूदाह के लोग चौथे, पाँचवें, सातवें और दसवें महीने में रोज़ा रखकर मातम करते आए हैं। लेकिन अब से यह औक़ात ख़ुशीओ-शादमानी के मौक़े होंगे जिन पर जशन मनाओगे। लेकिन सच्चाई और सलामती को प्यार करो!


इमामों का फ़र्ज़ है कि वह सहीह तालीम महफ़ूज़ रखें, और लोगों को उनसे हिदायत हासिल करनी चाहिए। क्योंकि इमाम रब्बुल-अफ़वाज का पैग़ंबर है।


चुनाँचे एक दूसरे से जुदा न हों सिवाए इसके कि आप दोनों बाहमी रज़ामंदी से एक वक़्त मुक़र्रर कर लें ताकि दुआ के लिए ज़्यादा फ़ुरसत मिल सके। लेकिन इसके बाद आप दुबारा इकट्ठे हो जाएँ ताकि इबलीस आपके बेज़ब्त नफ़स से फ़ायदा उठाकर आपको आज़माइश में न डाले।


ईसा ने जवाब दिया, “शादी के मेहमान किस तरह मातम कर सकते हैं जब तक दूल्हा उनके दरमियान है? लेकिन एक दिन आएगा जब दूल्हा उनसे ले लिया जाएगा। उस वक़्त वह ज़रूर रोज़ा रखेंगे।


“मुल्क के तमाम बाशिंदों और इमामों से कह, ‘बेशक तुम 70 साल से पाँचवें और सातवें महीने में रोज़ा रखकर मातम करते आए हो। लेकिन क्या तुमने यह दस्तूर वाक़ई मेरी ख़ातिर अदा किया? हरगिज़ नहीं!


“रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘इमामों से सवाल कर कि शरीअत ज़ैल के मामले के बारे में क्या फ़रमाती है,


लाज़िम है कि इमाम जो अल्लाह के ख़ादिम हैं रब के घर के बरामदे और क़ुरबानगाह के दरमियान खड़े होकर आहो-ज़ारी करें। वह इक़रार करें, “ऐ रब, अपनी क़ौम पर तरस की निगाह डाल! अपनी मौरूसी मिलकियत को लान-तान का निशाना बनने न दे। ऐसा न हो कि दीगर अक़वाम उसका मज़ाक़ उड़ाकर कहें, ‘उनका ख़ुदा कहाँ है’?”


अफ़सोस, मेरी क़ौम इसलिए तबाह हो रही है कि वह सहीह इल्म नहीं रखती। और क्या अजब जब तुम इमामों ने यह इल्म रद्द कर दिया है। अब मैं तुम्हें भी रद्द करता हूँ। आइंदा तुम इमाम की ख़िदमत अदा नहीं करोगे। चूँकि तुम अपने ख़ुदा की शरीअत भूल गए हो इसलिए मैं तुम्हारी औलाद को भी भूल जाऊँगा।


रोने और हँसने का, आहें भरने और रक़्स करने का,


वह याक़ूब को तेरी हिदायात और इसराईल को तेरी शरीअत सिखाकर तेरे सामने बख़ूर और तेरी क़ुरबानगाह पर भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ चढ़ाता है।


रब के घर की बुनियाद रखते वक़्त इमाम अपने मुक़द्दस लिबास पहने हुए साथ खड़े हो गए और तुरम बजाने लगे। आसफ़ के ख़ानदान के लावी साथ साथ झाँझ बजाने और रब की सताइश करने लगे। सब कुछ इसराईल के बादशाह दाऊद की हिदायात के मुताबिक़ हुआ।


तब मुझे रब्बुल-अफ़वाज से जवाब मिला,


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