11 जब तुम्हारे बापदादा ने यह कुछ सुना तो वह इस पर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं थे बल्कि अकड़ गए। उन्होंने अपना मुँह दूसरी तरफ़ फेरकर अपने कानों को बंद किए रखा।
11 جب تمہارے باپ دادا نے یہ کچھ سنا تو وہ اِس پر دھیان دینے کے لئے تیار نہیں تھے بلکہ اکڑ گئے۔ اُنہوں نے اپنا منہ دوسری طرف پھیر کر اپنے کانوں کو بند کئے رکھا۔
तू उन्हें समझाता रहा ताकि वह दुबारा तेरी शरीअत की तरफ़ रुजू करें, लेकिन वह मग़रूर थे और तेरे अहकाम के ताबे न हुए। उन्होंने तेरी हिदायात की ख़िलाफ़वरज़ी की, हालाँकि इन्हीं पर चलने से इनसान को ज़िंदगी हासिल होती है। लेकिन उन्होंने परवा न की बल्कि अपना मुँह तुझसे फेरकर अड़ गए और सुनने के लिए तैयार न हुए।
अपने बापदादा की मानिंद न हो जिन्होंने न मेरी सुनी, न मेरी तरफ़ तवज्जुह दी, गो मैंने उस वक़्त के नबियों की मारिफ़त उन्हें आगाह किया था कि अपनी बुरी राहों और शरीर हरकतों से बाज़ आओ।
बार बार मैं अपने नबियों को तुम्हारे पास भेजता रहा ताकि मेरे ख़ादिम तुम्हें आगाह करते रहें कि हर एक अपनी बुरी राह तर्क करके वापस आए! अपना चाल-चलन दुरुस्त करो और अजनबी माबूदों की पैरवी करके उनकी ख़िदमत मत करो! फिर तुम उस मुल्क में रहोगे जो मैंने तुम्हें और तुम्हारे बापदादा को बख़्श दिया था। लेकिन तुमने न तवज्जुह दी, न मेरी सुनी।
चुनाँचे ख़बरदार रहें कि आप उस की सुनने से इनकार न करें जो इस वक़्त आपसे हमकलाम हो रहा है। क्योंकि अगर इसराईली न बचे जब उन्होंने दुनियावी पैग़ंबर मूसा की सुनने से इनकार किया तो फिर हम किस तरह बचेंगे अगर हम उस की सुनने से इनकार करें जो आसमान से हमसे हमकलाम होता है।
ऐ गरदनकश लोगो! बेशक आपका ख़तना हुआ है जो अल्लाह की क़ौम का ज़ाहिरी निशान है। लेकिन उसका आपके दिलों और कानों पर कुछ भी असर नहीं हुआ। आप अपने बापदादा की तरह हमेशा रूहुल-क़ुद्स की मुख़ालफ़त करते रहते हैं।
मैं उसे उसके बच्चों और मुलाज़िमों समेत उनकी बेदीनी का मुनासिब अज्र दूँगा। क्योंकि मैं उन पर और यरूशलम और यहूदाह के बाशिंदों पर वह तमाम आफ़त नाज़िल करूँगा जिसका एलान मैं कर चुका हूँ। अफ़सोस, उन्होंने मेरी नहीं सुनी।”
यह ख़राब लोग मेरी बातें सुनने के लिए तैयार नहीं बल्कि अपने शरीर दिल की ज़िद के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारते हैं। अजनबी माबूदों के पीछे लगकर यह उन्हीं की ख़िदमत और पूजा करते हैं। लेकिन इनका अंजाम लँगोटी की मानिंद ही होगा। यह बेकार हो जाएंगे।
उनसे वही गुनाह सरज़द हुए हैं जो उनके बापदादा ने किए थे। क्योंकि यह भी मेरी बातें सुनने के लिए तैयार नहीं हैं, यह भी अजनबी माबूदों के पीछे हो लिए हैं ताकि उनकी ख़िदमत करें। इसराईल और यहूदाह ने मिलकर वह अहद तोड़ा है जो मैंने उनके बापदादा से बाँधा था।
लेकिन उन्होंने मेरी न सुनी, न ध्यान दिया बल्कि अपने शरीर दिल की ज़िद के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारने लगे। उन्होंने मेरी तरफ़ रुजू न किया बल्कि अपना मुँह मुझसे फेर लिया।
इस क़ौम के दिल को बेहिस कर दे, उनके कानों और आँखों को बंद कर। ऐसा न हो कि वह अपनी आँखों से देखें, अपने कानों से सुनें, मेरी तरफ़ रुजू करें और शफ़ा पाएँ।”
इसके बावुजूद वह ताबे न रहे बल्कि सरकश हुए। उन्होंने अपना मुँह तेरी शरीअत से फेर लिया। और जब तेरे नबी उन्हें समझा समझाकर तेरे पास वापस लाना चाहते थे तो उन्होंने बड़े कुफ़र बककर उन्हें क़त्ल कर दिया।
उन्होंने तेरी सुनने से इनकार किया और वह मोजिज़ात याद न रखे जो तूने उनके दरमियान किए थे। वह यहाँ तक अड़ गए कि उन्होंने एक राहनुमा को मुक़र्रर किया जो उन्हें मिसर की ग़ुलामी में वापस ले जाए। लेकिन तू मुआफ़ करनेवाला ख़ुदा है जो मेहरबान और रहीम, तहम्मुल और शफ़क़त से भरपूर है। तूने उन्हें तर्क न किया,
मूसा और हारून फ़िरौन के पास गए। उन्होंने उससे कहा, “रब इबरानियों के ख़ुदा का फ़रमान है, ‘तू कब तक मेरे सामने हथियार डालने से इनकार करेगा? मेरी क़ौम को मेरी इबादत करने के लिए जाने दे,
क्योंकि इस क़ौम का दिल बेहिस हो गया है। वह मुश्किल से अपने कानों से सुनते हैं, उन्होंने अपनी आँखों को बंद कर रखा है, ऐसा न हो कि वह अपनी आँखों से देखें, अपने कानों से सुनें, अपने दिल से समझें, मेरी तरफ़ रुजू करें और मैं उन्हें शफ़ा दूँ।’
ऐ रब, तेरी आँखें दियानतदारी देखना चाहती हैं। तूने उन्हें मारा, लेकिन उन्हें दुख न हुआ। तूने उन्हें कुचल डाला, लेकिन वह तरबियत पाने के लिए तैयार नहीं। उन्होंने अपने चेहरे को पत्थर से कहीं ज़्यादा सख़्त बनाकर तौबा करने से इनकार किया है।
लेकिन अगर तुम मेरी न सुनो और सबत का दिन मख़सूसो-मुक़द्दस न मानो तो फिर तुम्हें सख़्त सज़ा मिलेगी। अगर तुम सबत के दिन अपना मालो-असबाब शहर में लाओ तो मैं इन्हीं दरवाज़ों में एक न बुझनेवाली आग लगा दूँगा जो जलती जलती यरूशलम के महलों को भस्म कर देगी’।”
तो भी वह मेरे अहकाम और हिदायात से सरकश हो गया है। गिर्दो-नवाह की अक़वामो-ममालिक की निसबत उस की हरकतें कहीं ज़्यादा बुरी हैं। क्योंकि उसके बाशिंदों ने मेरे अहकाम को रद्द करके मेरी हिदायात के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारने से इनकार कर दिया है।”
लेकिन तुम्हारी तक़दीर और है। मैंने तुम्हारे लिए तलवार की तक़दीर मुक़र्रर की है। तुम सबको क़साई के सामने झुकना पड़ेगा, क्योंकि जब मैंने तुम्हें बुलाया तो तुमने जवाब न दिया। जब मैं तुमसे हमकलाम हुआ तो तुमने न सुना बल्कि वह कुछ किया जो मुझे बुरा लगा। तुमने वह कुछ इख़्तियार किया जो मुझे नापसंद है।”
“रब्बुल-अफ़वाज जो इसराईल का ख़ुदा है फ़रमाता है कि सुनो! मैं इस शहर और यहूदाह के दीगर शहरों पर वह तमाम मुसीबत लाने को हूँ जिसका एलान मैंने किया है। क्योंकि तुम अड़ गए हो और मेरी बातें सुनने के लिए तैयार ही नहीं।”