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زکریاہ 14:7 - किताबे-मुक़द्दस

7 वह एक मुन्फ़रिद दिन होगा जो रब ही को मालूम होगा। न दिन होगा और न रात बल्कि शाम को भी रौशनी होगी।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

7 یہ ایک منفرد دِن ہوگا، ایک اَیسا دِن جِس کی بابت صِرف یَاہوِہ ہی کو مَعلُوم ہے۔ دِن اَور رات کے درمیان کوئی فرق نہیں ہوگا۔ کیونکہ شام کے وقت بھی رَوشنی مَوجُود رہے گی۔

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کِتابِ مُقادّس

7 پر ایک دِن اَیسا آئے گا جو خُداوند ہی کو معلُوم ہے۔ وہ نہ دِن ہو گا نہ رات لیکن شام کے وقت رَوشنی ہو گی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

7 وہ ایک منفرد دن ہو گا جو رب ہی کو معلوم ہو گا۔ نہ دن ہو گا اور نہ رات بلکہ شام کو بھی روشنی ہو گی۔

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زکریاہ 14:7
26 حوالہ جات  

वहाँ रात नहीं होगी और उन्हें किसी चराग़ या सूरज की रौशनी की ज़रूरत नहीं होगी, क्योंकि रब ख़ुदा उन्हें रौशनी देगा। वहाँ वह अबद तक हुकूमत करेंगे।


शहर को सूरज या चाँद की ज़रूरत नहीं जो उसे रौशन करे, क्योंकि अल्लाह का जलाल उसे रौशन कर देता है और लेला उसका चराग़ है।


क्योंकि आप ख़ुद ख़ूब जानते हैं कि ख़ुदावंद का दिन यों आएगा जिस तरह चोर रात के वक़्त घर में घुस आता है।


लेकिन तू, ऐ दानियाल, इन बातों को छुपाए रख! इस किताब पर आख़िरी वक़्त तक मुहर लगा दे! बहुत लोग इधर-उधर घूमते फिरेंगे, और इल्म में इज़ाफ़ा होता जाएगा।”


चाँद सूरज की मानिंद चमकेगा जबकि सूरज की रौशनी सात गुना ज़्यादा तेज़ होगी। एक दिन की रौशनी सात आम दिनों की रौशनी के बराबर होगी। उस दिन रब अपनी क़ौम के ज़ख़मों पर मरहम-पट्टी करके उसे शफ़ा देगा।


क्योंकि उसने एक दिन मुक़र्रर किया है जब वह इनसाफ़ से दुनिया की अदालत करेगा। और वह यह अदालत एक शख़्स की मारिफ़त करेगा जिसको वह मुतैयिन कर चुका है और जिसकी तसदीक़ उसने इससे की है कि उसने उसे मुरदों में से ज़िंदा कर दिया है।”


बल्कि यह उसे अज़ल से मालूम है।


ईसा ने जवाब दिया, “यह जानना तुम्हारा काम नहीं है बल्कि सिर्फ़ बाप का जो ऐसे औक़ात और तारीखें मुक़र्रर करने का इख़्तियार रखता है।


लेकिन किसी को भी इल्म नहीं कि यह किस दिन या कौन-सी घड़ी रूनुमा होगा। आसमान के फ़रिश्तों और फ़रज़ंद को भी इल्म नहीं बल्कि सिर्फ़ बाप को।


लेकिन किसी को भी इल्म नहीं कि यह किस दिन या कौन-सी घड़ी रूनुमा होगा। आसमान के फ़रिश्तों और फ़रज़ंद को भी इल्म नहीं बल्कि सिर्फ़ बाप को।


अफ़सोस! वह दिन कितना हौलनाक होगा! उस जैसा कोई नहीं होगा। याक़ूब की औलाद को बड़ी मुसीबत पेश आएगी, लेकिन आख़िरकार उसे रिहाई मिलेगी।’


रब बेइलज़ामों के दिन जानता है, और उनकी मौरूसी मिलकियत हमेशा के लिए क़ायम रहेगी।


उसके दरवाज़े किसी भी दिन बंद नहीं होंगे क्योंकि वहाँ कभी भी रात का वक़्त नहीं आएगा।


मैंने एक आवाज़ सुनी जिसने तख़्त पर से कहा, “अब अल्लाह की सुकूनतगाह इनसानों के दरमियान है। वह उनके साथ सुकूनत करेगा और वह उस की क़ौम होंगे। अल्लाह ख़ुद उनका ख़ुदा होगा।


फिर मैंने एक और फ़रिश्ता देखा। वह मेरे सर के ऊपर ही हवा में उड़ रहा था। उसके पास अल्लाह की अबदी ख़ुशख़बरी थी ताकि वह उसे ज़मीन के बाशिंदों यानी हर क़ौम, क़बीले, अहले-ज़बान और उम्मत को सुनाए।


सातवें फ़रिश्ते ने अपने तुरम में फूँक मारी। इस पर आसमान पर से ऊँची आवाज़ें सुनाई दें जो कह रही थीं, “ज़मीन की बादशाही हमारे आक़ा और उसके मसीह की हो गई है। वही अज़ल से अबद तक हुकूमत करेगा।”


उसी ने एक शख़्स को ख़लक़ किया ताकि दुनिया की तमाम क़ौमें उससे निकलकर पूरी दुनिया में फैल जाएँ। उसने हर क़ौम के औक़ात और सरहद्दें भी मुक़र्रर कीं।


इसके बाद इसराईली वापस आकर रब अपने ख़ुदा और दाऊद अपने बादशाह को तलाश करेंगे। आख़िरी दिनों में वह लरज़ते हुए रब और उस की भलाई की तरफ़ रुजू करेंगे।


मेरे तमाम मुक़द्दस पहाड़ पर न ग़लत और न तबाहकुन काम किया जाएगा। क्योंकि मुल्क रब के इरफ़ान से यों मामूर होगा जिस तरह समुंदर पानी से भरा रहता है।


उस की हुकूमत ज़ोर पकड़ती जाएगी, और अमनो-अमान की इंतहा नहीं होगी। वह दाऊद के तख़्त पर बैठकर उस की सलतनत पर हुकूमत करेगा, वह उसे अदलो-इनसाफ़ से मज़बूत करके अब से अबद तक क़ायम रखेगा। रब्बुल-अफ़वाज की ग़ैरत ही इसे अंजाम देगी।


उस वक़्त चाँद नादिम होगा और सूरज शर्म खाएगा, क्योंकि रब्बुल-अफ़वाज कोहे-सिय्यून पर तख़्तनशीन होगा। वहाँ यरूशलम में वह बड़ी शानो-शौकत के साथ अपने बुज़ुर्गों के सामने हुकूमत करेगा।


आओ, अपना मामला सुनाओ, अपने दलायल पेश करो! बेशक पहले एक दूसरे से मशवरा करो। किसने बड़ी देर पहले यह कुछ सुनाया था? क्या मैं, रब ने तवील अरसा पहले इसका एलान नहीं किया था? क्योंकि मेरे सिवा कोई और ख़ुदा नहीं है। मैं रास्त ख़ुदा और नजातदहिंदा हूँ। मेरे सिवा कोई और नहीं है।


भूके को अपनी रोटी दे और मज़लूमों की ज़रूरियात पूरी कर! फिर तेरी रौशनी अंधेरे में चमक उठेगी और तेरी रात दोपहर की तरह रौशन होगी।


रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है, “उस दिन मैं होने दूँगा कि सूरज दोपहर के वक़्त ग़ुरूब हो जाए। दिन उरूज पर ही होगा तो ज़मीन पर अंधेरा छा जाएगा।


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