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ططس 1:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 बुज़ुर्ग बेइलज़ाम हो। उस की सिर्फ़ एक बीवी हो। उसके बच्चे ईमानदार हों और लोग उन पर ऐयाश या सरकश होने का इलज़ाम न लगा सकें।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 ہر پاسبان بے اِلزام اَور ایک ہی بیوی کا شوہر ہو، اُس کے بچّے ایمان والے ہوں اَور بدچلنی اَور نافرمانی کے اِلزام سے پاک ہو۔

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کِتابِ مُقادّس

6 جو بے اِلزام اور ایک ایک بِیوی کے شَوہر ہوں اور اُن کے بچّے اِیمان دار اور بدچلنی اور سرکشی کے اِلزام سے پاک ہوں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 بزرگ بےالزام ہو۔ اُس کی صرف ایک بیوی ہو۔ اُس کے بچے ایمان دار ہوں اور لوگ اُن پر عیاش یا سرکش ہونے کا الزام نہ لگا سکیں۔

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ططس 1:6
18 حوالہ جات  

मददगार की एक ही बीवी हो। लाज़िम है कि वह अपने बच्चों और ख़ानदान को अच्छी तरह सँभाल सके।


बात यह है कि बहुत-से ऐसे लोग हैं जो सरकश हैं, जो फ़ज़ूल बातें करके दूसरों को धोका देते हैं। यह बात ख़ासकर उन पर सादिक़ आती है जो यहूदियों में से हैं।


शराब में मत्वाले न हो जाएँ, क्योंकि इसका अंजाम ऐयाशी है। इसके बजाए रूहुल-क़ुद्स से मामूर होते जाएँ।


इमाम को किसी तलाक़शुदा औरत या बेवा से शादी करने की इजाज़त नहीं है। वह सिर्फ़ इसराईली कुँवारी से शादी करे। सिर्फ़ उस वक़्त बेवा से शादी करने की इजाज़त है जब मरहूम शौहर इमाम था।


इमाम ज़िनाकार औरत, मंदिर की कसबी या तलाक़याफ़्ता औरत से शादी न करें, क्योंकि वह अपने रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस हैं।


भाइयो, हम इस पर ज़ोर देना चाहते हैं कि उन्हें समझाएँ जो बेक़ायदा ज़िंदगी गुज़ारते हैं, उन्हें तसल्ली दें जो जल्दी से मायूस हो जाते हैं, कमज़ोरों का ख़याल रखें और सबको सब्र से बरदाश्त करें।


यहूदिया के बादशाह हेरोदेस के ज़माने में एक इमाम था जिसका नाम ज़करियाह था। बैतुल-मुक़द्दस में इमामों के मुख़्तलिफ़ गुरोह ख़िदमत सरंजाम देते थे, और ज़करियाह का ताल्लुक़ अबियाह के गुरोह से था। उस की बीवी इमामे-आज़म हारून की नसल से थी और उसका नाम इलीशिबा था।


जो शरीअत की पैरवी करे वह समझदार बेटा है, लेकिन ऐयाशों का साथी अपने बाप की बेइज़्ज़ती करता है।


एली उस वक़्त बहुत बूढ़ा हो चुका था। बेटों का तमाम इसराईल के साथ बुरा सुलूक उसके कानों तक पहुँच गया था, बल्कि यह भी कि बेटे उन औरतों से नाजायज़ ताल्लुक़ात रखते हैं जो मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर ख़िदमत करती हैं।


फिर इलक़ाना और हन्ना रामा में अपने घर वापस चले गए। लेकिन उनका बेटा एली इमाम के पास रहा और मक़दिस में रब की ख़िदमत करने लगा।


वह बेवा, तलाक़याफ़्ता औरत, मंदिर की कसबी या ज़िनाकार औरत से शादी न करे बल्कि सिर्फ़ अपने क़बीले की कुँवारी से,


उसी को मैंने चुन लिया है ताकि वह अपनी औलाद और अपने बाद के घराने को हुक्म दे कि वह रब की राह पर चलकर रास्त और मुंसिफ़ाना काम करें। क्योंकि अगर वह ऐसा करें तो रब इब्राहीम के साथ अपना वादा पूरा करेगा।”


क्या रब ने शौहर और बीवी को एक नहीं बनाया, एक जिस्म जिसमें रूह है? और यह एक जिस्म क्या चाहता है? अल्लाह की तरफ़ से औलाद। चुनाँचे अपनी रूह में ख़बरदार रहो! अपनी बीवी से बेवफ़ा न हो जा!


और याद रहे कि यह रास्तबाज़ों के लिए नहीं दी गई। क्योंकि यह उनके लिए है जो बग़ैर शरीअत के और सरकश ज़िंदगी गुज़ारते हैं, जो बेदीन और गुनाहगार हैं, जो मुक़द्दस और रूहानी बातों से ख़ाली हैं, जो अपने माँ-बाप के क़ातिल हैं, जो ख़ूनी,


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