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رومیوں 8:14 - किताबे-मुक़द्दस

14 जिसकी भी राहनुमाई रूहुल-क़ुद्स करता है वह अल्लाह का फ़रज़ंद है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

14 اِس لیٔے کہ جو خُدا کے رُوح کی ہدایت پر چلتے ہیں وُہی خُدا کے بیٹے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

14 اِس لِئے کہ جِتنے خُدا کے رُوح کی ہدایت سے چلتے ہیں وُہی خُدا کے بیٹے ہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

14 جس کی بھی راہنمائی روح القدس کرتا ہے وہ اللہ کا فرزند ہے۔

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رومیوں 8:14
24 حوالہ جات  

लेकिन जब रूहुल-क़ुद्स आपकी राहनुमाई करता है तो आप शरीअत के ताबे नहीं होते।


तो भी कुछ उसे क़बूल करके उसके नाम पर ईमान लाए। उन्हें उसने अल्लाह के फ़रज़ंद बनने का हक़ बख़्श दिया,


क्योंकि मसीह ईसा पर ईमान लाने से आप सब अल्लाह के फ़रज़ंद बन गए हैं।


मैं तो यह कहता हूँ कि रूहुल-क़ुद्स में ज़िंदगी गुज़ारें। फिर आप अपनी पुरानी फ़ितरत की ख़ाहिशात पूरी नहीं करेंगे।


मुझे अपनी मरज़ी पूरी करना सिखा, क्योंकि तू मेरा ख़ुदा है। तेरा नेक रूह हमवार ज़मीन पर मेरी राहनुमाई करे।


जो ग़ालिब आएगा वह यह सब कुछ विरासत में पाएगा। मैं उसका ख़ुदा हूँगा और वह मेरा फ़रज़ंद होगा।


ध्यान दें कि बाप ने हमसे कितनी मुहब्बत की है, यहाँ तक कि हम अल्लाह के फ़रज़ंद कहलाते हैं। और हम वाक़ई हैं भी। इसलिए दुनिया हमें नहीं जानती। वह तो उसे भी नहीं जानती।


मैं तुम्हारा बाप हूँगा और तुम मेरे बेटे-बेटियाँ होगे, रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है।”


अब चूँकि आप उसके फ़रज़ंद हैं इसलिए अल्लाह ने अपने फ़रज़ंद के रूह को हमारे दिलों में भेज दिया, वह रूह जो “अब्बा” यानी “ऐ बाप” कहकर पुकारता रहता है।


जो पुरानी फ़ितरत के इख़्तियार में हैं वह पुरानी सोच रखते हैं जबकि जो रूह के इख़्तियार में हैं वह रूहानी सोच रखते हैं।


लेकिन आप पुरानी फ़ितरत के इख़्तियार में नहीं बल्कि रूह के इख़्तियार में हैं। शर्त यह है कि रूहुल-क़ुद्स आपमें बसा हुआ हो। अगर किसी में मसीह का रूह नहीं तो वह मसीह का नहीं।


लेकिन वह वक़्त आएगा जब इसराईली समुंदर की रेत जैसे बेशुमार होंगे। न उनकी पैमाइश की जा सकेगी, न उन्हें गिना जा सकेगा। तब जहाँ उनसे कहा गया कि ‘तुम मेरी क़ौम नहीं’ वहाँ वह ‘ज़िंदा ख़ुदा के फ़रज़ंद’ कहलाएँगे।


क्योंकि रौशनी का फल हर तरह की भलाई, रास्तबाज़ी और सच्चाई है।


हाँ, तमाम कायनात यह देखने के लिए तड़पती है कि अल्लाह के फ़रज़ंद ज़ाहिर हो जाएँ,


चुनाँचे लाज़िम नहीं कि इब्राहीम की तमाम फ़ितरती औलाद अल्लाह के फ़रज़ंद हों बल्कि सिर्फ़ वही इब्राहीम की हक़ीक़ी औलाद समझे जाते हैं जो अल्लाह के वादे के मुताबिक़ उसके फ़रज़ंद बन गए हैं।


पहले ही से उसने फ़ैसला कर लिया कि वह हमें मसीह में अपने बेटे-बेटियाँ बना लेगा। यही उस की मरज़ी और ख़ुशी थी


मैं रास्ती की राह पर ही चलती हूँ, वहीं जहाँ इनसाफ़ है।


और “जहाँ उन्हें बताया गया कि ‘तुम मेरी क़ौम नहीं’ वहाँ वह ‘ज़िंदा ख़ुदा के फ़रज़ंद’ कहलाएँगे।”


मुबारक हैं वह जो सुलह कराते हैं, क्योंकि वह अल्लाह के फ़रज़ंद कहलाएँगे।


ताकि फ़िद्या देकर हमें जो शरीअत के ताबे थे आज़ाद कर दे। यों हमें अल्लाह के फ़रज़ंद होने का मरतबा मिला है।


जो अल्लाह के अहकाम के ताबे रहता है वह अल्लाह में बसता है और अल्लाह उसमें। हम किस तरह जान लेते हैं कि वह हममें बसता है? उस रूह के वसीले से जो उसने हमें दिया है।


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