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رومیوں 7:21 - किताबे-मुक़द्दस

21 चुनाँचे मुझे एक और तरह की शरीअत काम करती हुई नज़र आती है, और वह यह है कि जब मैं नेक काम करने का इरादा रखता हूँ तो बुराई आ मौजूद होती है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

21 جو شَریعت میرے سامنے ہے اُس کے مُطابق جَب بھی میں نیکی کرنے کا اِرادہ کرتا ہُوں تو بدی میرے پاس آ مَوجُود ہوتی ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

21 غرض میں اَیسی شرِیعت پاتا ہُوں کہ جب نیکی کا اِرادہ کرتا ہُوں تو بدی میرے پاس آ مَوجُود ہوتی ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

21 چنانچہ مجھے ایک اَور طرح کی شریعت کام کرتی ہوئی نظر آتی ہے، اور وہ یہ ہے کہ جب مَیں نیک کام کرنے کا ارادہ رکھتا ہوں تو بُرائی آ موجود ہوتی ہے۔

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رومیوں 7:21
19 حوالہ جات  

लेकिन मुझे अपने आज़ा में एक और तरह की शरीअत दिखाई देती है, ऐसी शरीअत जो मेरी समझ की शरीअत के ख़िलाफ़ लड़कर मुझे गुनाह की शरीअत का क़ैदी बना देती है, उस शरीअत का जो मेरे आज़ा में मौजूद है।


इसलिए लाज़िम था कि वह हर लिहाज़ से अपने भाइयों की मानिंद बन जाए। सिर्फ़ इससे उसका यह मक़सद पूरा हो सका कि वह अल्लाह के हुज़ूर एक रहीम और वफ़ादार इमामे-आज़म बनकर लोगों के गुनाहों का कफ़्फ़ारा दे सके।


क्योंकि रूह की शरीअत ने जो हमें मसीह में ज़िंदगी अता करती है तुझे गुनाह और मौत की शरीअत से आज़ाद कर दिया है।


आइंदा गुनाह आप पर हुकूमत नहीं करेगा, क्योंकि आप अपनी ज़िंदगी शरीअत के तहत नहीं गुज़ारते बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल के तहत।


चुनाँचे गुनाह आपके फ़ानी बदन में हुकूमत न करे। ध्यान दें कि आप उस की बुरी ख़ाहिशात के ताबे न हो जाएँ।


अपने कलाम से मेरे क़दम मज़बूत कर, किसी भी गुनाह को मुझ पर हुकूमत न करने दे।


यह उन्हें आज़ाद करने का वादा करते हैं जबकि ख़ुद बदकारी के ग़ुलाम हैं। क्योंकि इनसान उसी का ग़ुलाम है जो उस पर ग़ालिब आ गया है।


और वह ऐसा इमामे-आज़म नहीं है जो हमारी कमज़ोरियों को देखकर हमदर्दी न दिखाए बल्कि अगरचे वह बेगुनाह रहा तो भी हमारी तरह उसे हर क़िस्म की आज़माइश का सामना करना पड़ा।


ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुमको सच बताता हूँ कि जो भी गुनाह करता है वह गुनाह का ग़ुलाम है।


मेरी आँखों को बातिल चीज़ों से फेर ले, और मुझे अपनी राहों पर सँभालकर मेरी जान को ताज़ादम कर।


ईसा दरियाए-यरदन से वापस आया। वह रूहुल-क़ुद्स से मामूर था जिसने उसे रेगिस्तान में लाकर उस की राहनुमाई की।


गुनाह मुझ पर ग़ालिब आ गए हैं, तू ही हमारी सरकश हरकतों को मुआफ़ कर।


क्योंकि बेशुमार तकलीफ़ों ने मुझे घेर रखा है, मेरे गुनाहों ने आख़िरकार मुझे आ पकड़ा है। अब मैं नज़र भी नहीं उठा सकता। वह मेरे सर के बालों से ज़्यादा हैं, इसलिए मैं हिम्मत हार गया हूँ।


ख़ुदा का शुक्र है जो हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह के वसीले से यह काम करता है। ग़रज़ यही मेरी हालत है, मसीह के बग़ैर मैं अल्लाह की शरीअत की ख़िदमत सिर्फ़ अपनी समझ से कर सकता हूँ जबकि मेरी पुरानी फ़ितरत गुनाह की शरीअत की ग़ुलाम रहकर उसी की ख़िदमत करती है।


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