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رومیوں 6:14 - किताबे-मुक़द्दस

14 आइंदा गुनाह आप पर हुकूमत नहीं करेगा, क्योंकि आप अपनी ज़िंदगी शरीअत के तहत नहीं गुज़ारते बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल के तहत।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

14 کیونکہ تُم شَریعت کے ماتحت نہیں بَلکہ فضل کے ماتحت ہو اِس لیٔے گُناہ کا تُم پر اِختیار نہ ہوگا۔

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کِتابِ مُقادّس

14 اِس لِئے کہ گُناہ کا تُم پر اِختیار نہ ہو گا کیونکہ تُم شرِیعت کے ماتحت نہیں بلکہ فضل کے ماتحت ہو۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

14 آئندہ گناہ آپ پر حکومت نہیں کرے گا، کیونکہ آپ اپنی زندگی شریعت کے تحت نہیں گزارتے بلکہ اللہ کے فضل کے تحت۔

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رومیوں 6:14
25 حوالہ جات  

लेकिन जब रूहुल-क़ुद्स आपकी राहनुमाई करता है तो आप शरीअत के ताबे नहीं होते।


क्योंकि रूह की शरीअत ने जो हमें मसीह में ज़िंदगी अता करती है तुझे गुनाह और मौत की शरीअत से आज़ाद कर दिया है।


ख़ुदावंद फ़रमाता है कि जो नया अहद मैं उन दिनों के बाद उनसे बाँधूँगा उसके तहत मैं अपनी शरीअत उनके ज़हनों में डालकर उनके दिलों पर कंदा करूँगा। तब मैं ही उनका ख़ुदा हूँगा, और वह मेरी क़ौम होंगे।


चुनाँचे गुनाह आपके फ़ानी बदन में हुकूमत न करे। ध्यान दें कि आप उस की बुरी ख़ाहिशात के ताबे न हो जाएँ।


इसलिए अगर फ़रज़ंद तुमको आज़ाद करे तो तुम हक़ीक़तन आज़ाद होगे।


क्योंकि शरीअत मूसा की मारिफ़त दी गई, लेकिन अल्लाह का फ़ज़ल और सच्चाई ईसा मसीह के वसीले से क़ायम हुई।


इससे पहले कि ईमान की यह राह दस्तयाब हुई शरीअत ने हमें क़ैद करके महफ़ूज़ रखा था। इस क़ैद में हम उस वक़्त तक रहे जब तक ईमान की राह ज़ाहिर नहीं हुई थी।


चुनाँचे मेरे भाइयो, हमारी पुरानी फ़ितरत का कोई हक़ न रहा कि हमें अपने मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारने पर मजबूर करे।


उसके बेटा होगा और उसका नाम ईसा रखना, क्योंकि वह अपनी क़ौम को उसके गुनाहों से रिहाई देगा।”


क्योंकि मसीह ने हमारे लिए अपनी जान दे दी ताकि फ़िद्या देकर हमें हर तरह की बेदीनी से छुड़ाकर अपने लिए एक पाक और मख़सूस क़ौम बनाए जो नेक काम करने में सरगरम हो।


आप जो शरीअत के ताबे रहना चाहते हैं मुझे एक बात बताएँ, क्या आप वह बात नहीं सुनते जो शरीअत कहती है?


और चूँकि यह अल्लाह के फ़ज़ल से हुआ है इसलिए यह उनकी अपनी कोशिशों से नहीं हुआ। वरना फ़ज़ल फ़ज़ल ही न रहता।


चुनाँचे यह मीरास ईमान से मिलती है ताकि इसकी बुनियाद अल्लाह का फ़ज़ल हो और इसका वादा इब्राहीम की तमाम नसल के लिए हो, न सिर्फ़ शरीअत के पैरोकारों के लिए बल्कि उनके लिए भी जो इब्राहीम का-सा ईमान रखते हैं। यही हम सबका बाप है।


अब सवाल यह है, चूँकि हम शरीअत के तहत नहीं बल्कि फ़ज़ल के तहत हैं तो क्या इसका मतलब यह है कि हमें गुनाह करने के लिए खुला छोड़ दिया गया है? हरगिज़ नहीं!


तू दुबारा हम पर रहम करेगा, दुबारा हमारे गुनाहों को पाँवों तले कुचलकर समुंदर की गहराइयों में फेंक देगा।


कलाम इनसान बनकर हमारे दरमियान रिहाइशपज़ीर हुआ और हमने उसके जलाल का मुशाहदा किया। वह फ़ज़ल और सच्चाई से मामूर था और उसका जलाल बाप के इकलौते फ़रज़ंद का-सा था।


इस एक शख़्स आदम के गुनाह के नतीजे में मौत सब पर हुकूमत करने लगी। लेकिन इस एक शख़्स ईसा मसीह का काम कितना ज़्यादा मुअस्सिर था। जितने भी अल्लाह का वाफ़िर फ़ज़ल और रास्तबाज़ी की नेमत पाते हैं वह मसीह के वसीले से अबदी ज़िंदगी में हुकूमत करेंगे।


चुनाँचे जिस तरह एक ही शख़्स के गुनाह के बाइस सब लोग मुजरिम ठहरे उसी तरह एक ही शख़्स के रास्त अमल से वह दरवाज़ा खुल गया जिसमें दाख़िल होकर सब लोग रास्तबाज़ ठहर सकते और ज़िंदगी पा सकते हैं।


फिर वह और उसके बाल-बच्चे आज़ाद होकर अपने रिश्तेदारों और मौरूसी ज़मीन के पास वापस जाएँ।


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