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رومیوں 5:8 - किताबे-मुक़द्दस

8 लेकिन अल्लाह ने हमसे अपनी मुहब्बत का इज़हार यों किया कि मसीह ने उस वक़्त हमारी ख़ातिर अपनी जान दी जब हम गुनाहगार ही थे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

8 لیکن خُدا ہمارے لیٔے اَپنی مَحَبّت یُوں ظاہر کرتا ہے کہ جَب ہم گُنہگار ہی تھے تو المسیح نے ہماری خاطِر اَپنی جان قُربان کر دی۔

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کِتابِ مُقادّس

8 لیکن خُدا اپنی مُحبّت کی خُوبی ہم پر یُوں ظاہِر کرتا ہے کہ جب ہم گُنہگار ہی تھے تو مسِیح ہماری خاطِر مُؤا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

8 لیکن اللہ نے ہم سے اپنی محبت کا اظہار یوں کیا کہ مسیح نے اُس وقت ہماری خاطر اپنی جان دی جب ہم گناہ گار ہی تھے۔

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رومیوں 5:8
19 حوالہ جات  

इससे बड़ी मुहब्बत है नहीं कि कोई अपने दोस्तों के लिए अपनी जान दे दे।


क्योंकि अल्लाह ने दुनिया से इतनी मुहब्बत रखी कि उसने अपने इकलौते फ़रज़ंद को बख़्श दिया, ताकि जो भी उस पर ईमान लाए हलाक न हो बल्कि अबदी ज़िंदगी पाए।


क्योंकि हम अभी कमज़ोर ही थे तो मसीह ने हम बेदीनों की ख़ातिर अपनी जान दे दी।


क्योंकि मसीह ने हमारे गुनाहों को मिटाने की ख़ातिर एक बार सदा के लिए मौत सही। हाँ, जो रास्तबाज़ है उसने यह नारास्तों के लिए किया ताकि आपको अल्लाह के पास पहुँचाए। उसे बदन के एतबार से सज़ाए-मौत दी गई, लेकिन रूह के एतबार से उसे ज़िंदा कर दिया गया।


इससे ही हमने मुहब्बत को जाना है कि मसीह ने हमारी ख़ातिर अपनी जान दे दी। और हमारा भी फ़र्ज़ यही है कि अपने भाइयों की ख़ातिर अपनी जान दें।


हम सब भेड़-बकरियों की तरह आवारा फिर रहे थे, हर एक ने अपनी अपनी राह इख़्तियार की। लेकिन रब ने उसे हम सबके क़ुसूर का निशाना बनाया।


ईसा मसीह में हम पर मेहरबानी करने से अल्लाह आनेवाले ज़मानों में अपने फ़ज़ल की लामहदूद दौलत दिखाना चाहता था।


हमारी ही ख़ताओं की वजह से उसे मौत के हवाले किया गया, और हमें ही रास्तबाज़ क़रार देने के लिए उसे ज़िंदा किया गया।


लेकिन यही वजह है कि अल्लाह ने मुझ पर रहम किया। क्योंकि वह चाहता था कि मसीह ईसा मुझमें जो अव्वल गुनाहगार हूँ अपना वसी सब्र ज़ाहिर करे और मैं यों उनके लिए नमूना बन जाऊँ जो उस पर ईमान लाकर अबदी ज़िंदगी पानेवाले हैं।


शरीअत इसलिए दरमियान में आ गई कि ख़िलाफ़वरज़ी बढ़ जाए। लेकिन जहाँ गुनाह ज़्यादा हुआ वहाँ अल्लाह का फ़ज़ल इससे भी ज़्यादा हो गया।


कोई कह सकता है, “हमारी नारास्ती का एक अच्छा मक़सद होता है, क्योंकि इससे लोगों पर अल्लाह की रास्ती ज़ाहिर होती है। तो क्या अल्लाह बेइनसाफ़ नहीं होगा अगर वह अपना ग़ज़ब हम पर नाज़िल करे?” (मैं इनसानी ख़याल पेश कर रहा हूँ)।


मुश्किल से ही कोई किसी रास्तबाज़ की ख़ातिर अपनी जान देगा। हाँ, मुमकिन है कि कोई किसी नेकोकार के लिए अपनी जान देने की जुर्रत करे।


उसने अपने फ़रज़ंद को भी दरेग़ न किया बल्कि उसे हम सबके लिए दुश्मन के हवाले कर दिया। जिसने हमें अपने फ़रज़ंद को दे दिया क्या वह हमें उसके साथ सब कुछ मुफ़्त नहीं देगा?


न नशेब और न फ़राज़, न कोई और मख़लूक़ हमें अल्लाह की उस मुहब्बत से जुदा कर सकेगी जो हमें हमारे ख़ुदावंद मसीह ईसा में हासिल है।


और यों मैं ख़ुद ज़िंदा न रहा बल्कि मसीह मुझमें ज़िंदा है। अब जो ज़िंदगी मैं इस जिस्म में गुज़ारता हूँ वह अल्लाह के फ़रज़ंद पर ईमान लाने से गुज़ारता हूँ। उसी ने मुझसे मुहब्बत रखकर मेरे लिए अपनी जान दी।


मुहब्बत की रूह में ज़िंदगी यों गुज़ारें जैसे मसीह ने गुज़ारी। क्योंकि उसने हमसे मुहब्बत रखकर अपने आपको हमारे लिए अल्लाह के हुज़ूर क़ुरबान कर दिया और यों ऐसी क़ुरबानी बन गया जिसकी ख़ुशबू अल्लाह को पसंद आई।


हर इमामे-आज़म को नज़राने और क़ुरबानियाँ पेश करने के लिए मुक़र्रर किया जाता है। इसलिए लाज़िम है कि हमारे इमामे-आज़म के पास भी कुछ हो जो वह पेश कर सके।


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