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رومیوں 5:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 इस एक शख़्स आदम के गुनाह के नतीजे में मौत सब पर हुकूमत करने लगी। लेकिन इस एक शख़्स ईसा मसीह का काम कितना ज़्यादा मुअस्सिर था। जितने भी अल्लाह का वाफ़िर फ़ज़ल और रास्तबाज़ी की नेमत पाते हैं वह मसीह के वसीले से अबदी ज़िंदगी में हुकूमत करेंगे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 جَب ایک آدمی کے جُرم کے سبب سے موت نے اُسی ایک کے وسیلہ سے سَب پر حُکومت کی تو جو لوگ فضل اَور راستبازی کی نِعمت اِفراط سے پاتے ہیں وہ بھی ایک آدمی یعنی یِسوعؔ المسیح کے وسیلہ سے اَبدی زندگی میں ضروُر ہی بادشاہی کریں گے۔

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کِتابِ مُقادّس

17 کیونکہ جب ایک شخص کے گُناہ کے سبب سے مَوت نے اُس ایک کے ذرِیعہ سے بادشاہی کی تو جو لوگ فضل اور راست بازی کی بخشِش اِفراط سے حاصِل کرتے ہیں وہ ایک شخص یعنی یِسُوعؔ مسِیح کے وسِیلہ سے ہمیشہ کی زِندگی میں ضرُور ہی بادشاہی کریں گے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 اِس ایک شخص آدم کے گناہ کے نتیجے میں موت سب پر حکومت کرنے لگی۔ لیکن اِس ایک شخص عیسیٰ مسیح کا کام کتنا زیادہ موثر تھا۔ جتنے بھی اللہ کا وافر فضل اور راست بازی کی نعمت پاتے ہیں وہ مسیح کے وسیلے سے ابدی زندگی میں حکومت کریں گے۔

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رومیوں 5:17
26 حوالہ جات  

जब आदम ने गुनाह किया तो उस एक ही शख़्स से गुनाह दुनिया में आया। इस गुनाह के साथ साथ मौत भी आकर सब आदमियों में फैल गई, क्योंकि सबने गुनाह किया।


यों हम इस वक़्त ख़ाकी इनसान की शक्लो-सूरत रखते हैं जबकि हम उस वक़्त आसमानी इनसान की शक्लो-सूरत रखेंगे।


चोर तो सिर्फ़ चोरी करने, ज़बह करने और तबाह करने आता है। लेकिन मैं इसलिए आया हूँ कि वह ज़िंदगी पाएँ, बल्कि कसरत की ज़िंदगी पाएँ।


अगर हम बरदाश्त करते रहें तो हम उसके साथ हुकूमत भी करेंगे। अगर हम उसे जानने से इनकार करें तो वह भी हमें जानने से इनकार करेगा।


वहाँ रात नहीं होगी और उन्हें किसी चराग़ या सूरज की रौशनी की ज़रूरत नहीं होगी, क्योंकि रब ख़ुदा उन्हें रौशनी देगा। वहाँ वह अबद तक हुकूमत करेंगे।


औरत ने दरख़्त पर ग़ौर किया कि खाने के लिए अच्छा और देखने में भी दिलकश है। सबसे दिलफ़रेब बात यह कि उससे समझ हासिल हो सकती है! यह सोचकर उसने उसका फल लेकर उसे खाया। फिर उसने अपने शौहर को भी दे दिया, क्योंकि वह उसके साथ था। उसने भी खा लिया।


मुबारक और मुक़द्दस हैं वह जो इस पहली क़ियामत में शरीक हैं। इन पर दूसरी मौत का कोई इख़्तियार नहीं है बल्कि यह अल्लाह और मसीह के इमाम होकर हज़ार साल तक उसके साथ हुकूमत करेंगे।


फिर मैंने तख़्त देखे जिन पर वह बैठे थे जिन्हें अदालत करने का इख़्तियार दिया गया था। और मैंने उनकी रूहें देखीं जिन्हें ईसा के बारे में गवाही देने और जिनका अल्लाह का कलाम पेश करने की वजह से सर क़लम किया गया था। उन्होंने हैवान या उसके मुजस्समे को सिजदा नहीं किया था, न उसका निशान अपने माथों या हाथों पर लगवाया था। अब यह लोग ज़िंदा हुए और हज़ार साल तक मसीह के साथ हुकूमत करते रहे।


जो ग़ालिब आए उसे मैं अपने साथ अपने तख़्त पर बैठने का हक़ दूँगा, बिलकुल उसी तरह जिस तरह मैं ख़ुद भी ग़ालिब आकर अपने बाप के साथ उसके तख़्त पर बैठ गया।


लेकिन आप अल्लाह की चुनी हुई नसल हैं, आप आसमानी बादशाह के इमाम और उस की मख़सूसो-मुक़द्दस क़ौम हैं। आप उस की मिलकियत बन गए हैं ताकि अल्लाह के क़वी कामों का एलान करें, क्योंकि वह आपको तारीकी से अपनी हैरतअंगेज़ रौशनी में लाया है।


और उसमें पाया जाऊँ। लेकिन मैं इस नौबत तक अपनी उस रास्तबाज़ी के ज़रीए नहीं पहुँच सकता जो शरीअत के ताबे रहने से हासिल होती है। इसके लिए वह रास्तबाज़ी ज़रूरी है जो मसीह पर ईमान लाने से मिलती है, जो अल्लाह की तरफ़ से है और जो ईमान पर मबनी होती है।


मैं रब से निहायत ही शादमान हूँ, मेरी जान अपने ख़ुदा की तारीफ़ में ख़ुशी के गीत गाती है। क्योंकि जिस तरह दूल्हा अपना सर इमाम की-सी पगड़ी से सजाता और दुलहन अपने आपको अपने ज़ेवरात से आरास्ता करती है उसी तरह अल्लाह ने मुझे नजात का लिबास पहनाकर रास्ती की चादर में लपेटा है।


हाँ, हमारे ख़ुदावंद ने मुझ पर अपना फ़ज़ल कसरत से उंडेल दिया और मुझे वह ईमान और मुहब्बत अता की जो हमें मसीह ईसा में होते हुए मिलती है।


मेरे अज़ीज़ भाइयो, सुनें! क्या अल्लाह ने उन्हें नहीं चुना जो दुनिया की नज़र में ग़रीब हैं ताकि वह ईमान में दौलतमंद हो जाएँ? यही लोग वह बादशाही मीरास में पाएँगे जिसका वादा अल्लाह ने उनसे किया है जो उसे प्यार करते हैं।


और जिसने हमें शाही इख़्तियार देकर अपने ख़ुदा और बाप के इमाम बना दिया है। उसे अज़ल से अबद तक जलाल और क़ुदरत हासिल रहे! आमीन।


वाह जी वाह! आप सेर हो चुके हैं। आप अमीर बन चुके हैं। आप हमारे बग़ैर बादशाह बन चुके हैं। काश आप बादशाह बन चुके होते ताकि हम भी आपके साथ हुकूमत करते!


क्योंकि गुनाह का अज्र मौत है जबकि अल्लाह हमारे ख़ुदावंद मसीह ईसा के वसीले से हमें अबदी ज़िंदगी की मुफ़्त नेमत अता करता है।


शरीअत इसलिए दरमियान में आ गई कि ख़िलाफ़वरज़ी बढ़ जाए। लेकिन जहाँ गुनाह ज़्यादा हुआ वहाँ अल्लाह का फ़ज़ल इससे भी ज़्यादा हो गया।


फिर बादशाह दहने हाथवालों से कहेगा, ‘आओ, मेरे बाप के मुबारक लोगो! जो बादशाही दुनिया की तख़लीक़ से तुम्हारे लिए तैयार है उसे मीरास में ले लो।


पसीना बहा बहाकर तुझे रोटी कमाने के लिए भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। और यह सिलसिला मौत तक जारी रहेगा। तू मेहनत करते करते दुबारा ज़मीन में लौट जाएगा, क्योंकि तू उसी से लिया गया है। तू ख़ाक है और दुबारा ख़ाक में मिल जाएगा।”


न नशेब और न फ़राज़, न कोई और मख़लूक़ हमें अल्लाह की उस मुहब्बत से जुदा कर सकेगी जो हमें हमारे ख़ुदावंद मसीह ईसा में हासिल है।


लेकिन जिस दरख़्त का फल अच्छे और बुरे की पहचान दिलाता है उसका फल खाना मना है। अगर उसे खाए तो यक़ीनन मरेगा।”


लेकिन इन दोनों में बड़ा फ़रक़ है। जो नेमत अल्लाह मुफ़्त में देता है वह आदम के गुनाह से मुताबिक़त नहीं रखती। क्योंकि इस एक शख़्स आदम की ख़िलाफ़वरज़ी से बहुत-से लोग मौत की ज़द में आ गए, लेकिन अल्लाह का फ़ज़ल कहीं ज़्यादा मुअस्सिर है, वह मुफ़्त नेमत जो बहुतों को उस एक शख़्स ईसा मसीह में मिली है।


आइंदा गुनाह आप पर हुकूमत नहीं करेगा, क्योंकि आप अपनी ज़िंदगी शरीअत के तहत नहीं गुज़ारते बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल के तहत।


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