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رومیوں 4:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 दाऊद यही बात बयान करता है जब वह उस शख़्स को मुबारक कहता है जिसे अल्लाह बग़ैर आमाल के रास्तबाज़ ठहराता है,

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 پس جِس شخص کو خُدا اُس کے کاموں کا لِحاظ کیٔے بغیر راستباز ٹھہراتا ہے، داویؔد بھی اُس کی مُبارک حالی کا ذِکر اِس طرح کرتے ہیں،

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کِتابِ مُقادّس

6 چُنانچہ جِس شخص کے لِئے خُدا بغَیر اَعمال کے راست بازی محسُوب کرتا ہے داؤُد بھی اُس کی مُبارک حالی اِس طرح بیان کرتا ہے۔

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6 داؤد یہی بات بیان کرتا ہے جب وہ اُس شخص کو مبارک کہتا ہے جسے اللہ بغیر اعمال کے راست باز ٹھہراتا ہے،

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رومیوں 4:6
31 حوالہ جات  

क्योंकि उसने हमें नजात देकर मुक़द्दस ज़िंदगी गुज़ारने के लिए बुलाया। और यह चीज़ें हमें अपनी मेहनत से नहीं मिलीं बल्कि अल्लाह के इरादे और फ़ज़ल से। यह फ़ज़ल ज़मानों की इब्तिदा से पहले हमें मसीह में दिया गया


यह अल्लाह की तरफ़ से है कि आप मसीह ईसा में हैं। अल्लाह की बख़्शिश से ईसा ख़ुद हमारी दानाई, हमारी रास्तबाज़ी, हमारी तक़दीस और हमारी मख़लसी बन गया है।


और उसमें पाया जाऊँ। लेकिन मैं इस नौबत तक अपनी उस रास्तबाज़ी के ज़रीए नहीं पहुँच सकता जो शरीअत के ताबे रहने से हासिल होती है। इसके लिए वह रास्तबाज़ी ज़रूरी है जो मसीह पर ईमान लाने से मिलती है, जो अल्लाह की तरफ़ से है और जो ईमान पर मबनी होती है।


मसीह बेगुनाह था, लेकिन अल्लाह ने उसे हमारी ख़ातिर गुनाह ठहराया ताकि हमें उसमें रास्तबाज़ क़रार दिया जाए।


ख़ुदा हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह के बाप की हम्दो-सना हो! क्योंकि मसीह में उसने हमें आसमान पर हर रूहानी बरकत से नवाज़ा है।


इसका मक़सद यह था कि जो बरकत इब्राहीम को हासिल हुई वह मसीह के वसीले से ग़ैरयहूदियों को भी मिले और यों हम ईमान लाकर वादा किया हुआ रूह पाएँ।


और ख़तना का जो निशान उसे मिला वह उस की रास्तबाज़ी की मुहर थी, वह रास्तबाज़ी जो उसे ख़तना कराने से पेशतर मिली, उस वक़्त जब वह ईमान लाया। यों वह उन सबका बाप है जो बग़ैर ख़तना कराए ईमान लाए हैं और इस बिना पर रास्तबाज़ ठहरते हैं।


क्योंकि इस ख़ुशख़बरी में अल्लाह की ही रास्तबाज़ी ज़ाहिर होती है, वह रास्तबाज़ी जो शुरू से आख़िर तक ईमान पर मबनी है। यही बात कलामे-मुक़द्दस में दर्ज है जब लिखा है, “रास्तबाज़ ईमान ही से जीता रहेगा।”


चुनाँचे जो भी हथियार तुझ पर हमला करने के लिए तैयार हो जाए वह नाकाम होगा, और जो भी ज़बान तुझ पर इलज़ाम लगाए उसे तू मुजरिम साबित करेगी। यही रब के ख़ादिमों का मौरूसी हिस्सा है, मैं ही उनकी रास्तबाज़ी बरक़रार रखूँगा।” रब ख़ुद यह फ़रमाता है।


रब की हम्द हो! मुबारक है वह जो अल्लाह का ख़ौफ़ मानता और उसके अहकाम से बहुत लुत्फ़अंदोज़ होता है।


यह ख़त ईसा मसीह के ख़ादिम और रसूल शमौन पतरस की तरफ़ से है। मैं उन सबको लिख रहा हूँ जिन्हें हमारे ख़ुदा और नजातदहिंदा ईसा मसीह की रास्तबाज़ी के वसीले से वही बेशक़ीमत ईमान बख़्शा गया है जो हमें भी मिला।


उस वक़्त आप इतने ख़ुश थे! अब क्या हुआ है? मैं गवाह हूँ, उस वक़्त अगर आपको मौक़ा मिलता तो आप अपनी आँखें निकालकर मुझे दे देते।


बल्कि हमारी ख़ातिर भी। क्योंकि अल्लाह हमें भी रास्तबाज़ क़रार देगा अगर हम उस पर ईमान रखें जिसने हमारे ख़ुदावंद ईसा को मुरदों में से ज़िंदा किया।


क्या यह मुबारकबादी सिर्फ़ मख़तूनों के लिए है या नामख़तूनों के लिए भी? हम तो बयान कर चुके हैं कि इब्राहीम ईमान की बिना पर रास्तबाज़ ठहरा।


अब हमारा फ़ख़र कहाँ रहा? उसे तो ख़त्म कर दिया गया है। किस शरीअत से? क्या आमाल की शरीअत से? नहीं, बल्कि ईमान की शरीअत से।


तेरी क़ौम और तेरे मुक़द्दस शहर के लिए 70 हफ़ते मुक़र्रर किए गए हैं ताकि उतने में जरायम और गुनाहों का सिलसिला ख़त्म किया जाए, क़ुसूर का कफ़्फ़ारा दिया जाए, अबदी रास्ती क़ायम की जाए, रोया और पेशगोई की तसदीक़ की जाए और मुक़द्दसतरीन जगह को मसह करके मख़सूसो-मुक़द्दस किया जाए।


उन दिनों में यहूदाह को छुटकारा मिलेगा और यरूशलम पुरअमन ज़िंदगी गुज़ारेगा। तब यरूशलम ‘रब हमारी रास्ती’ कहलाएगा।


क्योंकि रब शाहे-यहूदाह के महल के बारे में फ़रमाता है कि तू जिलियाद जैसा ख़ुशगवार और लुबनान की चोटी जैसा ख़ूबसूरत था। लेकिन अब मैं तुझे बयाबान में बदल दूँगा, तू ग़ैरआबाद शहर की मानिंद हो जाएगा।


ऐ इसराईल, तू कितना मुबारक है। कौन तेरी मानिंद है, जिसे रब ने बचाया है। वह तेरी मदद की ढाल और तेरी शान की तलवार है। तेरे दुश्मन शिकस्त खाकर तेरी ख़ुशामद करेंगे, और तू उनकी कमरें पाँवों तले कुचलेगा।”


बड़ी देर के बाद उनका मालिक लौट आया। जब उसने उनके साथ हिसाब-किताब किया


लेकिन जब लोग काम नहीं करते बल्कि अल्लाह पर ईमान रखते हैं जो बेदीनों को रास्तबाज़ क़रार देता है तो उनका कोई हक़ नहीं बनता। वह उनके ईमान ही की बिना पर रास्तबाज़ क़रार दिए जाते हैं।


“मुबारक हैं वह जिनके जरायम मुआफ़ किए गए, जिनके गुनाह ढाँपे गए हैं।


हो सकता है कोई एतराज़ करे, “एक शख़्स के पास तो ईमान होता है, दूसरे के पास नेक काम।” आएँ, मुझे दिखाएँ कि आप नेक कामों के बग़ैर किस तरह ईमान रख सकते हैं। यह तो नामुमकिन है। लेकिन मैं ज़रूर आपको अपने नेक कामों से दिखा सकता हूँ कि मैं ईमान रखता हूँ।


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