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رومیوں 4:11 - किताबे-मुक़द्दस

11 और ख़तना का जो निशान उसे मिला वह उस की रास्तबाज़ी की मुहर थी, वह रास्तबाज़ी जो उसे ख़तना कराने से पेशतर मिली, उस वक़्त जब वह ईमान लाया। यों वह उन सबका बाप है जो बग़ैर ख़तना कराए ईमान लाए हैं और इस बिना पर रास्तबाज़ ठहरते हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

11 جَب حضرت اَبراہامؔ کا ختنہ نہیں ہُوا تھا، خُدا نے اُس کے ایمان کے سبب سے اُسے راستباز ٹھہرایا تھا۔ بعد میں اُس نے ختنہ کا نِشان پایا جو اُس کی راستبازی پر گویا خُدا کی مُہر تھی۔ یُوں حضرت اَبراہامؔ سَب کا باپ ٹھہرے جِن کا ختنہ تو نہیں ہُوا مگر وہ ایمان لانے کے باعث راستباز گنے جاتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

11 اور اُس نے خَتنہ کا نِشان پایا کہ اُس اِیمان کی راست بازی پر مُہر ہو جائے جو اُسے نامختُونی کی حالت میں حاصِل تھا تاکہ وہ اُن سب کا باپ ٹھہرے جو باوُجُود نامختُون ہونے کے اِیمان لاتے ہیں اور اُن کے لِئے بھی راست بازی محسُوب کی جائے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

11 اور ختنہ کا جو نشان اُسے ملا وہ اُس کی راست بازی کی مُہر تھی، وہ راست بازی جو اُسے ختنہ کرانے سے پیشتر ملی، اُس وقت جب وہ ایمان لایا۔ یوں وہ اُن سب کا باپ ہے جو بغیر ختنہ کرائے ایمان لائے ہیں اور اِس بنا پر راست باز ٹھہرتے ہیں۔

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رومیوں 4:11
46 حوالہ جات  

राह यह है कि जब हम ईसा मसीह पर ईमान लाते हैं तो अल्लाह हमें रास्तबाज़ क़रार देता है। और यह राह सबके लिए है। क्योंकि कोई भी फ़रक़ नहीं,


ईसा ने उससे कहा, “आज इस घराने को नजात मिल गई है, इसलिए कि यह भी इब्राहीम का बेटा है।


यह ईमान का काम था कि नूह ने अल्लाह की सुनी जब उसने उसे आनेवाली बातों के बारे में आगाह किया, ऐसी बातों के बारे में जो अभी देखने में नहीं आई थीं। नूह ने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानकर एक कश्ती बनाई ताकि उसका ख़ानदान बच जाए। यों उसने अपने ईमान के ज़रीए दुनिया को मुजरिम क़रार दिया और उस रास्तबाज़ी का वारिस बन गया जो ईमान से हासिल होती है।


उसी ने हम पर अपनी मुहर लगाकर ज़ाहिर किया है कि हम उस की मिलकियत हैं और उसी ने हमें रूहुल-क़ुद्स देकर अपने वादों का बयाना अदा किया है।


और उसमें पाया जाऊँ। लेकिन मैं इस नौबत तक अपनी उस रास्तबाज़ी के ज़रीए नहीं पहुँच सकता जो शरीअत के ताबे रहने से हासिल होती है। इसके लिए वह रास्तबाज़ी ज़रूरी है जो मसीह पर ईमान लाने से मिलती है, जो अल्लाह की तरफ़ से है और जो ईमान पर मबनी होती है।


अल्लाह के मुक़द्दस रूह को दुख न पहुँचाना, क्योंकि उसी से अल्लाह ने आप पर मुहर लगाकर यह ज़मानत दे दी है कि आप उसी के हैं और नजात के दिन बच जाएंगे।


आप भी मसीह में हैं, क्योंकि आप सच्चाई का कलाम और अपनी नजात की ख़ुशख़बरी सुनकर ईमान लाए। और अल्लाह ने आप पर भी रूहुल-क़ुद्स की मुहर लगा दी जिसका वादा उसने किया था।


जो भी इस उसूल पर अमल करते हैं उन्हें सलामती और रहम हासिल होता रहे, उन्हें भी और अल्लाह की क़ौम इसराईल को भी।


लेकिन हमें एक फ़रक़ उम्मीद दिलाई गई है। उम्मीद यह है कि ख़ुदा ही हमें रास्तबाज़ क़रार देता है। चुनाँचे हम रूहुल-क़ुद्स के बाइस ईमान रखकर इसी रास्तबाज़ी के लिए तड़पते रहते हैं।


शर्त यह है कि आप मसीह के हों। तब आप इब्राहीम की औलाद और उन चीज़ों के वारिस हैं जिनका वादा अल्लाह ने किया है।


लेकिन कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है कि पूरी दुनिया गुनाह के क़ब्ज़े में है। चुनाँचे हमें अल्लाह का वादा सिर्फ़ ईसा मसीह पर ईमान लाने से हासिल होता है।


तो फिर आपको जान लेना चाहिए कि इब्राहीम की हक़ीक़ी औलाद वह लोग हैं जो ईमान रखते हैं।


यों कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है, “जो भी उस पर ईमान लाए उसे शरमिंदा नहीं किया जाएगा।”


लेकिन जो रास्तबाज़ी ईमान से हासिल होती है वह कहती है, “अपने दिल में न कहना कि ‘कौन आसमान पर चढ़ेगा?’ (ताकि मसीह को नीचे ले आए)।


क्योंकि मसीह में शरीअत का मक़सद पूरा हो गया, हाँ वह अंजाम तक पहुँच गई है। चुनाँचे जो भी मसीह पर ईमान रखता है वही रास्तबाज़ ठहरता है।


जवाब में ईसा ने कहा, “मैं ही ज़िंदगी की रोटी हूँ। जो मेरे पास आए उसे फिर कभी भूक नहीं लगेगी। और जो मुझ पर ईमान लाए उसे फिर कभी प्यास नहीं लगेगी।


उन्हें बताया गया, “न ज़मीन की घास, न किसी पौदे या दरख़्त को नुक़सान पहुँचाओ बल्कि सिर्फ़ उन लोगों को जिनके माथों पर अल्लाह की मुहर नहीं लगी है।”


यह ख़त ईसा मसीह के ख़ादिम और रसूल शमौन पतरस की तरफ़ से है। मैं उन सबको लिख रहा हूँ जिन्हें हमारे ख़ुदा और नजातदहिंदा ईसा मसीह की रास्तबाज़ी के वसीले से वही बेशक़ीमत ईमान बख़्शा गया है जो हमें भी मिला।


इससे हम क्या कहना चाहते हैं? यह कि गो ग़ैरयहूदी रास्तबाज़ी की तलाश में न थे तो भी उन्हें रास्तबाज़ी हासिल हुई, ऐसी रास्तबाज़ी जो ईमान से पैदा हुई।


कहने का मतलब यह नहीं कि अल्लाह अपना वादा पूरा न कर सका। बात यह नहीं है बल्कि यह कि वह सब हक़ीक़ी इसराईली नहीं हैं जो इसराईली क़ौम से हैं।


और अब मौजूदा ज़माने में भी। इससे वह ज़ाहिर करता है कि वह रास्त है और हर एक को रास्तबाज़ ठहराता है जो ईसा पर ईमान लाया है।


उन्होंने एतराज़ किया, “हम तो इब्राहीम की औलाद हैं, हम कभी भी किसी के ग़ुलाम नहीं रहे। फिर आप किस तरह कह सकते हैं कि हम आज़ाद हो जाएंगे?”


मैं तुमको सच बताता हूँ कि जो ईमान रखता है उसे अबदी ज़िंदगी हासिल है।


क्योंकि मेरे बाप की मरज़ी यही है कि जो भी फ़रज़ंद को देखकर उस पर ईमान लाए उसे अबदी ज़िंदगी हासिल हो। ऐसे शख़्स को मैं क़ियामत के दिन मुरदों में से फिर ज़िंदा करूँगा।”


चुनाँचे जो अल्लाह के फ़रज़ंद पर ईमान लाता है अबदी ज़िंदगी उस की है। लेकिन जो फ़रज़ंद को रद्द करे वह इस ज़िंदगी को नहीं देखेगा बल्कि अल्लाह का ग़ज़ब उस पर ठहरा रहेगा।”


पतरस ने जवाब दिया, “आप ज़िंदा ख़ुदा के फ़रज़ंद मसीह हैं।”


मैं तुम्हें बताता हूँ, बहुत-से लोग मशरिक़ और मग़रिब से आकर इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब के साथ आसमान की बादशाही की ज़ियाफ़त में शरीक होंगे।


मेरे सबत के दिन आराम करके उन्हें मुक़द्दस मानो ताकि वह मेरे साथ बँधे हुए अहद का निशान रहें। तब तुम जान लोगे कि मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ।”


मैंने उन्हें सबत का दिन भी अता किया। मैं चाहता था कि आराम का यह दिन मेरे उनके साथ अहद का निशान हो, कि इससे लोग जान लें कि मैं रब ही उन्हें मुक़द्दस बनाता हूँ।


ख़तना रब की क़ौम का ज़ाहिरी निशान है। लेकिन उस वक़्त रब तेरा ख़ुदा तेरे और तेरी औलाद का बातिनी ख़तना करेगा ताकि तू उसे पूरे दिलो-जान से प्यार करे और जीता रहे।


वह मेरे और इसराईलियों के दरमियान अबदी निशान होगा। क्योंकि रब ने छः दिन के दौरान आसमानो-ज़मीन को बनाया जबकि सातवें दिन उसने आराम किया और ताज़ादम हो गया।”


“इसराईलियों को बता कि हर सबत का दिन ज़रूर मनाओ। क्योंकि सबत का दिन एक नुमायाँ निशान है जिससे जान लिया जाएगा कि मैं रब हूँ जो तुम्हें मख़सूसो-मुक़द्दस करता हूँ। और यह निशान मेरे और तुम्हारे दरमियान नसल-दर-नसल क़ायम रहेगा।


लेकिन तुम्हारे घरों पर लगा हुआ ख़ून तुम्हारा ख़ास निशान होगा। जिस जिस घर के दरवाज़े पर मैं वह ख़ून देखूँगा उसे छोड़ता जाऊँगा। जब मैं मिसर पर हमला करूँगा तो मोहलक वबा तुम तक नहीं पहुँचेगी।


यह बात कलामे-मुक़द्दस में लिखी भी है, “देखो मैं सिय्यून में एक पत्थर रख देता हूँ जो ठोकर का बाइस बनेगा, एक चट्टान जो ठेस लगने का सबब होगी। लेकिन जो उस पर ईमान लाएगा उसे शरमिंदा नहीं किया जाएगा।”


इब्राहीम 99 साल का था जब उसका ख़तना हुआ,


दीगर क़ौमों के शुरफ़ा इब्राहीम के ख़ुदा की क़ौम के साथ जमा हो गए हैं, क्योंकि वह दुनिया के हुक्मरानों का मालिक है। वह निहायत ही सरबुलंद है।


लेकिन जिसने उसे क़बूल किया उसने इसकी तसदीक़ की है कि अल्लाह सच्चा है।


क्योंकि अल्लाह एक ही है जो मख़तून और नामख़तून दोनों को ईमान ही से रास्तबाज़ ठहराएगा।


उसे किस हालत में रास्तबाज़ ठहराया गया? ख़तना कराने के बाद या पहले? ख़तने के बाद नहीं बल्कि पहले।


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