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رومیوں 2:14 - किताबे-मुक़द्दस

14 और गो ग़ैरयहूदियों के पास शरीअत नहीं होती लेकिन जब भी वह फ़ितरती तौर पर वह कुछ करते हैं जो शरीअत फ़रमाती है तो ज़ाहिर करते हैं कि गो हमारे पास शरीअत नहीं तो भी हम अपने आपके लिए ख़ुद शरीअत हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

14 البتّہ جَب وہ غَیریہُودی جو شَریعت نہیں رکھتے اَور طبعی طور پر شَریعت کے مُطابق کام کرتے ہیں تو شَریعت نہ رکھتے ہویٔے بھی وہ خُود اَپنے لیٔے ایک شَریعت ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

14 اِس لِئے کہ جب وہ قَومیں جو شرِیعت نہیں رکھتِیں اپنی طبِیعت سے شرِیعت کے کام کرتی ہیں تو باوُجُود شرِیعت نہ رکھنے کے وہ اپنے لِئے خُود ایک شرِیعت ہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

14 اور گو غیریہودیوں کے پاس شریعت نہیں ہوتی لیکن جب بھی وہ فطرتی طور پر وہ کچھ کرتے ہیں جو شریعت فرماتی ہے تو ظاہر کرتے ہیں کہ گو ہمارے پاس شریعت نہیں توبھی ہم اپنے آپ کے لئے خود شریعت ہیں۔

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رومیوں 2:14
16 حوالہ جات  

ग़ैरयहूदियों के पास मूसवी शरीअत नहीं है, इसलिए वह शरीअत के बग़ैर ही गुनाह करके हलाक हो जाते हैं। यहूदियों के पास शरीअत है, लेकिन वह भी नहीं बचेंगे। क्योंकि जब वह गुनाह करते हैं तो शरीअत ही उन्हें मुजरिम ठहराती है।


चुनाँचे जो नामख़तून ग़ैरयहूदी शरीअत पर अमल करते हैं वह आप यहूदियों को मुजरिम ठहराएँगे जिनका ख़तना हुआ है और जिनके पास शरीअत है, क्योंकि आप शरीअत पर अमल नहीं करते।


उस वक़्त आप मसीह के बग़ैर ही चलते थे। आप इसराईल क़ौम के शहरी न बन सके और जो वादे अल्लाह ने अहदों के ज़रीए अपनी क़ौम से किए थे वह आपके लिए नहीं थे। इस दुनिया में आपकी कोई उम्मीद नहीं थी, आप अल्लाह के बग़ैर ही ज़िंदगी गुज़ारते थे।


माज़ी में ख़ुदा ने इस क़िस्म की जहालत को नज़रंदाज़ किया, लेकिन अब वह हर जगह के लोगों को तौबा का हुक्म देता है।


बल्कि हर किसी को क़बूल करता है जो उसका ख़ौफ़ मानता और रास्त काम करता है।


अगरचे वह अल्लाह का फ़रमान जानते हैं कि ऐसा करनेवाले सज़ाए-मौत के मुस्तहिक़ हैं तो भी वह ऐसा करते हैं। न सिर्फ़ यह बल्कि वह ऐसा करनेवाले दीगर लोगों को शाबाश भी देते हैं।


कौन-सी अज़ीम क़ौम के माबूद इतने क़रीब हैं जितना हमारा ख़ुदा हमारे क़रीब है? जब भी हम मदद के लिए पुकारते हैं तो रब हमारा ख़ुदा मौजूद होता है।


क्या फ़ितरत भी यह नहीं सिखाती कि लंबे बाल मर्द की बेइज़्ज़ती का बाइस हैं


भाइयो, एक आख़िरी बात, जो कुछ सच्चा है, जो कुछ शरीफ़ है, जो कुछ रास्त है, जो कुछ मुक़द्दस है, जो कुछ पसंदीदा है, जो कुछ उम्दा है, ग़रज़, अगर कोई अख़लाक़ी या क़ाबिले-तारीफ़ बात हो तो उसका ख़याल रखें।


माज़ी में उसने तमाम ग़ैरयहूदी क़ौमों को खुला छोड़ दिया था कि वह अपनी अपनी राह पर चलें।


इसमें वह साबित करते हैं कि शरीअत के तक़ाज़े उनके दिल पर लिखे हुए हैं। उनका ज़मीर भी इसकी गवाही देता है, क्योंकि उनके ख़यालात कभी एक दूसरे की मज़म्मत और कभी एक दूसरे का दिफ़ा भी करते हैं।


मूसवी शरीअत के बग़ैर ज़िंदगी गुज़ारनेवालों के दरमियान मैं उन्हीं की मानिंद बना ताकि उन्हें जीत लूँ। इसका मतलब यह नहीं कि मैं अल्लाह की शरीअत के ताबे नहीं हूँ। हक़ीक़त में मैं मसीह की शरीअत के तहत ज़िंदगी गुज़ारता हूँ।


पहले तो हम भी सब उनमें ज़िंदगी गुज़ारते थे। हम भी अपनी पुरानी फ़ितरत की शहवतें, मरज़ी और सोच पूरी करने की कोशिश करते रहे। दूसरों की तरह हम पर भी फ़ितरी तौर पर अल्लाह का ग़ज़ब नाज़िल होना था।


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