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رومیوں 1:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 क्योंकि इस ख़ुशख़बरी में अल्लाह की ही रास्तबाज़ी ज़ाहिर होती है, वह रास्तबाज़ी जो शुरू से आख़िर तक ईमान पर मबनी है। यही बात कलामे-मुक़द्दस में दर्ज है जब लिखा है, “रास्तबाज़ ईमान ही से जीता रहेगा।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 کیونکہ انجیل میں خُدا کی طرف سے اُس راستبازی کو ظاہر کیا گیا ہے جو شروع سے آخِر تک ایمان ہی کے ذریعہ حاصل ہوتی ہے۔ جَیسا کہ کِتاب مُقدّس میں لِکھّا ہے: ”راستباز ایمان سے زندہ رہے گا۔“

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کِتابِ مُقادّس

17 اِس واسطے کہ اُس میں خُدا کی راست بازی اِیمان سے اور اِیمان کے لِئے ظاہِر ہوتی ہے جَیسا لِکھّا ہے کہ راست باز اِیمان سے جِیتا رہے گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 کیونکہ اِس خوش خبری میں اللہ کی ہی راست بازی ظاہر ہوتی ہے، وہ راست بازی جو شروع سے آخر تک ایمان پر مبنی ہے۔ یہی بات کلامِ مُقدّس میں درج ہے جب لکھا ہے، ”راست باز ایمان ہی سے جیتا رہے گا۔“

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رومیوں 1:17
15 حوالہ جات  

मग़रूर आदमी फूला हुआ है और अंदर से सीधी राह पर नहीं चलता। लेकिन रास्तबाज़ ईमान ही से जीता रहेगा।


यह बात तो साफ़ है कि अल्लाह किसी को भी शरीअत की पैरवी करने की बिना पर रास्तबाज़ नहीं ठहराता, क्योंकि कलामे-मुक़द्दस के मुताबिक़ रास्तबाज़ ईमान ही से जीता रहेगा।


लेकिन मेरा रास्तबाज़ ईमान ही से जीता रहेगा, और अगर वह पीछे हट जाए तो मैं उससे ख़ुश नहीं हूँगा।”


और उसमें पाया जाऊँ। लेकिन मैं इस नौबत तक अपनी उस रास्तबाज़ी के ज़रीए नहीं पहुँच सकता जो शरीअत के ताबे रहने से हासिल होती है। इसके लिए वह रास्तबाज़ी ज़रूरी है जो मसीह पर ईमान लाने से मिलती है, जो अल्लाह की तरफ़ से है और जो ईमान पर मबनी होती है।


इससे हम क्या कहना चाहते हैं? यह कि गो ग़ैरयहूदी रास्तबाज़ी की तलाश में न थे तो भी उन्हें रास्तबाज़ी हासिल हुई, ऐसी रास्तबाज़ी जो ईमान से पैदा हुई।


लेकिन अब अल्लाह ने हम पर एक राह का इनकिशाफ़ किया है जिससे हम शरीअत के बग़ैर ही उसके सामने रास्तबाज़ ठहर सकते हैं। तौरेत और नबियों के सहीफ़े भी इसकी तसदीक़ करते हैं।


अगर उनमें से बाज़ बेवफ़ा निकले तो क्या हुआ? क्या इससे अल्लाह की वफ़ादारी भी ख़त्म हो जाएगी?


चुनाँचे जो अल्लाह के फ़रज़ंद पर ईमान लाता है अबदी ज़िंदगी उस की है। लेकिन जो फ़रज़ंद को रद्द करे वह इस ज़िंदगी को नहीं देखेगा बल्कि अल्लाह का ग़ज़ब उस पर ठहरा रहेगा।”


वह मेरे क़वायद के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारता और वफ़ादारी से मेरे अहकाम पर अमल करता है। ऐसा शख़्स रास्तबाज़ है, और वह यक़ीनन ज़िंदा रहेगा। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।


राह यह है कि जब हम ईसा मसीह पर ईमान लाते हैं तो अल्लाह हमें रास्तबाज़ क़रार देता है। और यह राह सबके लिए है। क्योंकि कोई भी फ़रक़ नहीं,


वह उस रास्तबाज़ी से नावाक़िफ़ रहे हैं जो अल्लाह की तरफ़ से है। इसकी बजाए वह अपनी ज़ाती रास्तबाज़ी क़ायम करने की कोशिश करते रहे हैं। यों उन्होंने अपने आपको अल्लाह की रास्तबाज़ी के ताबे नहीं किया।


अगर पुराना निज़ाम जो हमें मुजरिम ठहराता था जलाली था तो फिर नया निज़ाम जो हमें रास्तबाज़ क़रार देता है कहीं ज़्यादा जलाली होगा।


मसीह बेगुनाह था, लेकिन अल्लाह ने उसे हमारी ख़ातिर गुनाह ठहराया ताकि हमें उसमें रास्तबाज़ क़रार दिया जाए।


चुनाँचे मूसा ने पीतल का एक साँप बनाया और खंबा खड़ा करके साँप को उससे लटका दिया। और ऐसा हुआ कि जिसे भी डसा गया था वह पीतल के साँप पर नज़र करके बच गया।


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