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مکاشفہ 6:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 फिर मैंने देखा, लेले ने सात मुहरों में से पहली मुहर को खोला। इस पर मैंने चार जानदारों में से एक को जिसकी आवाज़ कड़कते बादलों की मानिंद थी यह कहते हुए सुना, “आ!”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 پھر مَیں نے دیکھا کہ برّہ نے اُن سات مُہروں میں سے ایک مُہر کھولی اَور اُن چاروں جانداروں میں سے ایک نے بادلوں کی گرجتی ہُوئی آواز میں یہ کہتے سُنا، ”آ!“

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کِتابِ مُقادّس

1 پِھر مَیں نے دیکھا کہ برّہ نے اُن سات مُہروں میں سے ایک کو کھولا اور اُن چاروں جان داروں میں سے ایک کی گرج کی سی یہ آواز سُنی کہ آ۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 پھر مَیں نے دیکھا، لیلے نے سات مُہروں میں سے پہلی مُہر کو کھولا۔ اِس پر مَیں نے چار جانداروں میں سے ایک کو جس کی آواز کڑکتے بادلوں کی مانند تھی یہ کہتے ہوئے سنا، ”آ!“

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مکاشفہ 6:1
17 حوالہ جات  

फिर मैंने तख़्त पर बैठनेवाले के दहने हाथ में एक तूमार देखा जिस पर दोनों तरफ़ लिखा हुआ था और जिस पर सात मुहरें लगी थीं।


लेले ने तीसरी मुहर खोली तो मैंने तीसरे जानदार को कहते हुए सुना कि “आ!” मेरे देखते देखते एक काला घोड़ा नज़र आया। उसके सवार के हाथ में तराज़ू था।


फिर मैंने एक बड़े हुजूम की-सी आवाज़ सुनी, जो बड़ी आबशार के शोर और गरजते बादलों की कड़क की मानिंद थी। इन लोगों ने कहा, “अल्लाह की तमजीद हो! क्योंकि हमारा रब क़ादिरे-मुतलक़ ख़ुदा तख़्तनशीन हो गया है।


लेले ने चौथी मुहर खोली तो मैंने चौथे जानदार को कहते सुना कि “आ!”


और मैंने आसमान से एक ऐसी आवाज़ सुनी जो किसी बड़े आबशार और गरजते बादलों की ऊँची कड़क की मानिंद थी। यह उस आवाज़ की मानिंद थी जो सरोद बजानेवाले अपने साज़ों से निकालते हैं।


आसमान पर अल्लाह के घर को खोला गया और उसमें उसके अहद का संदूक़ नज़र आया। बिजली चमकने लगी, शोर मच गया, बादल गरजने और बड़े बड़े ओले पड़ने लगे।


लेले ने दूसरी मुहर खोली तो मैंने दूसरे जानदार को कहते हुए सुना कि “आ!”


मुमकिन ही नहीं कि जो कुछ हमने देख और सुन लिया है उसे दूसरों को सुनाने से बाज़ रहें।”


अगले दिन यहया ने ईसा को अपने पास आते देखा। उसने कहा, “देखो, यह अल्लाह का लेला है जो दुनिया का गुनाह उठा ले जाता है।


इन चार जानदारों में से हर एक के छः पर थे और जिस्म पर हर जगह आँखें ही आँखें थीं, बाहर भी और अंदर भी। दिन-रात वह बिलानाग़ा कहते रहते हैं, “क़ुद्दूस, क़ुद्दूस, क़ुद्दूस है रब क़ादिरे-मुतलक़ ख़ुदा, जो था, जो है और जो आनेवाला है।”


और लेते वक़्त चार जानदार और 24 बुज़ुर्ग लेले के सामने मुँह के बल गिर गए। हर एक के पास एक सरोद और बख़ूर से भरे सोने के प्याले थे। इनसे मुराद मुक़द्दसीन की दुआएँ हैं।


ऊँची आवाज़ से कह रहे थे, “लायक़ है वह लेला जो ज़बह किया गया है। वह क़ुदरत, दौलत, हिकमत और ताक़त, इज़्ज़त, जलाल और सताइश पाने के लायक़ है।”


जब लेले ने सातवीं मुहर खोली तो आसमान पर ख़ामोशी छा गई। यह ख़ामोशी तक़रीबन आधे घंटे तक रही।


ज़मीन के तमाम बाशिंदे इस हैवान को सिजदा करेंगे यानी वह सब जिनके नाम दुनिया की इब्तिदा से लेले की किताबे-हयात में दर्ज नहीं हैं, उस लेले की किताब में जो ज़बह किया गया है।


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