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مکاشفہ 2:7 - किताबे-मुक़द्दस

7 जो सुन सकता है वह सुन ले कि रूहुल-क़ुद्स जमातों को क्या कुछ बता रहा है। जो ग़ालिब आएगा उसे मैं ज़िंदगी के दरख़्त का फल खाने को दूँगा, उस दरख़्त का फल जो अल्लाह के फ़िर्दौस में है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

7 جِس کے کان ہوں وہ سُنے کہ پاک رُوح جماعتوں سے کیا فرماتا ہے۔ جو غالب آئے گا میں اُسے اُس شجرِ حیات کا پھل کھانے کو دُوں گا جو خُدا کے فِردَوس میں ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

7 جِس کے کان ہوں وہ سُنے کہ رُوح کلِیسیاؤں سے کیا فرماتا ہے۔ جو غالِب آئے مَیں اُسے اُس زِندگی کے درخت میں سے جو خُدا کے فِردوس میں ہے پَھل کھانے کو دُوں گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

7 جو سن سکتا ہے وہ سن لے کہ روح القدس جماعتوں کو کیا کچھ بتا رہا ہے۔ جو غالب آئے گا اُسے مَیں زندگی کے درخت کا پھل کھانے کو دوں گا، اُس درخت کا پھل جو اللہ کے فردوس میں ہے۔

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مکاشفہ 2:7
36 حوالہ جات  

जो सुन सकता है वह सुन ले कि रूहुल-क़ुद्स जमातों को क्या कुछ बता रहा है। जो ग़ालिब आएगा उसे मैं पोशीदा मन में से दूँगा। मैं उसे एक सफ़ेद पत्थर भी दूँगा जिस पर एक नया नाम लिखा होगा, ऐसा नाम जो सिर्फ़ मिलनेवाले को मालूम होगा।


जो सुन सकता है वह सुन ले कि रूहुल-क़ुद्स जमातों को क्या कुछ बता रहा है। जो ग़ालिब आएगा उसे दूसरी मौत से नुक़सान नहीं पहुँचेगा।


जो सुन सकता है वह सुन ले!


जो सुन सकता है वह सुन ले!


फिर रास्तबाज़ अपने बाप की बादशाही में सूरज की तरह चमकेंगे। जो सुन सकता है वह सुन ले!


जो सुन सकता है वह सुन ले!”


रास्तबाज़ का फल ज़िंदगी का दरख़्त है, और दानिशमंद आदमी जानें जीतता है।


मुबारक हैं वह जो अपने लिबास को धोते हैं। क्योंकि वह ज़िंदगी के दरख़्त के फल से खाने और दरवाज़ों के ज़रीए शहर में दाख़िल होने का हक़ रखते हैं।


जो ग़ालिब आएगा वह यह सब कुछ विरासत में पाएगा। मैं उसका ख़ुदा हूँगा और वह मेरा फ़रज़ंद होगा।


ईसा ने उससे कहा, “मैं तुझे सच बताता हूँ कि तू आज ही मेरे साथ फ़िर्दौस में होगा।”


रब ख़ुदा के हुक्म पर ज़मीन में से तरह तरह के दरख़्त फूट निकले, ऐसे दरख़्त जो देखने में दिलकश और खाने के लिए अच्छे थे। बाग़ के बीच में दो दरख़्त थे। एक का फल ज़िंदगी बख़्शता था जबकि दूसरे का फल अच्छे और बुरे की पहचान दिलाता था।


रूह और दुलहन कहती हैं, “आ!” हर सुननेवाला भी यही कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए और जो चाहे वह ज़िंदगी का पानी मुफ़्त ले ले।


कोई ऐसी चीज़ है नहीं जो इनसान में दाख़िल होकर उसे नापाक कर सके, बल्कि जो कुछ इनसान के अंदर से निकलता है वही उसे नापाक कर देता है।”


शहर की बड़ी सड़क के बीच में से बह रहा था। दरिया के दोनों किनारों पर ज़िंदगी का दरख़्त था। यह दरख़्त साल में बारह दफ़ा फल लाता था, हर महीने में एक बार। और दरख़्त के पत्ते क़ौमों की शफ़ा के लिए इस्तेमाल होते थे।


लेकिन अल्लाह ने यही कुछ अपने रूह की मारिफ़त हम पर ज़ाहिर किया क्योंकि उसका रूह हर चीज़ का खोज लगाता है, यहाँ तक कि अल्लाह की गहराइयों का भी।


मैंने तुमको इसलिए यह बात बताई ताकि तुम मुझमें सलामती पाओ। दुनिया में तुम मुसीबत में फँसे रहते हो। लेकिन हौसला रखो, मैं दुनिया पर ग़ालिब आया हूँ।”


अल्लाह के बाग़े-अदन में रहकर तू हर क़िस्म के जवाहर से सजा हुआ था। लाल, ज़बरजद, हजरुल-क़मर, पुखराज, अक़ीक़े-अहमर और यशब, संगे-लाजवर्द, फ़ीरोज़ा और ज़ुमुर्रद सब तुझे आरास्ता करते थे। सब कुछ सोने के काम से मज़ीद ख़ूबसूरत बनाया गया था। जिस दिन तुझे ख़लक़ किया गया उसी दिन यह चीज़ें तेरे लिए तैयार हुईं।


जो उम्मीद वक़्त पर पूरी न हो जाए वह दिल को बीमार कर देती है, लेकिन जो आरज़ू पूरी हो जाए वह ज़िंदगी का दरख़्त है।


कि उसे छीनकर फ़िर्दौस में लाया गया जहाँ उसने नाक़ाबिले-बयान बातें सुनीं, ऐसी बातें जिनका ज़िक्र करना इनसान के लिए रवा नहीं।


बाग़े-ख़ुदा के देवदार के दरख़्त उसके बराबर नहीं थे। न जूनीपर की टहनियाँ, न चनार की शाख़ें उस की शाख़ों के बराबर थीं। बाग़े-ख़ुदा में कोई भी दरख़्त उस की ख़ूबसूरती का मुक़ाबला नहीं कर सकता था।


नरम ज़बान ज़िंदगी का दरख़्त है जबकि फ़रेबदेह ज़बान शिकस्तादिल कर देती है।


मैंने शीशे का-सा एक समुंदर भी देखा जिसमें आग मिलाई गई थी। इस समुंदर के पास वह खड़े थे जो हैवान, उसके मुजस्समे और उसके नाम के नंबर पर ग़ालिब आ गए थे। वह अल्लाह के दिए हुए सरोद पकड़े


फिर मैंने आसमान से एक आवाज़ यह कहती हुई सुनी, “लिख, मुबारक हैं वह मुरदे जो अब से ख़ुदावंद में वफ़ात पाते हैं।” “जी हाँ,” रूह फ़रमाता है, “वह अपनी मेहनत-मशक़्क़त से आराम पाएँगे, क्योंकि उनके नेक काम उनके पीछे होकर उनके साथ चलेंगे।”


जो उसका दामन पकड़ ले उसके लिए वह ज़िंदगी का दरख़्त है। मुबारक है वह जो उससे लिपटा रहे।


फिर उसने कहा, “जो सुन सकता है वह सुन ले!”


लेकिन ऐसे दाने भी थे जो ज़रख़ेज़ ज़मीन पर गिरे। वहाँ वह उग सके और जब फ़सल पक गई तो सौ गुना ज़्यादा फल पैदा हुआ।” यह कहकर ईसा पुकार उठा, “जो सुन सकता है वह सुन ले!”


वालिदो, मैं आपको इसलिए लिख रहा हूँ कि आपने उसे जान लिया है जो इब्तिदा ही से है। जवान मर्दो, मैं आपको इसलिए लिख रहा हूँ कि आप इबलीस पर ग़ालिब आ गए हैं। बच्चो, मैं आपको इसलिए लिख रहा हूँ कि आपने बाप को जान लिया है।


[अगर कोई सुन सकता है तो वह सुन ले।]


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