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مکاشفہ 13:18 - किताबे-मुक़द्दस

18 यहाँ हिकमत की ज़रूरत है। जो समझदार है वह हैवान के नंबर का हिसाब करे, क्योंकि यह एक मर्द का नंबर है। उसका नंबर 666 है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

18 یہاں پر حِکمت کی ضروُرت ہے۔ جو عقل رکھتا ہے وہ اِس حَیوان کا عدد گِن لے کیونکہ یہ آدمی کا عدد ہے اَور اُس کا عدد چھ سَو چھیاسٹھ ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

18 حِکمت کا یہ مَوقع ہے۔ جو سمجھ رکھتا ہے وہ اِس حَیوان کا عدد گِن لے کیونکہ وہ آدمی کا عدد ہے اور اُس کا عدد چھ سَو چھیاسٹھ ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

18 یہاں حکمت کی ضرورت ہے۔ جو سمجھ دار ہے وہ حیوان کے نمبر کا حساب کرے، کیونکہ یہ ایک مرد کا نمبر ہے۔ اُس کا نمبر 666 ہے۔

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مکاشفہ 13:18
10 حوالہ جات  

मैंने शीशे का-सा एक समुंदर भी देखा जिसमें आग मिलाई गई थी। इस समुंदर के पास वह खड़े थे जो हैवान, उसके मुजस्समे और उसके नाम के नंबर पर ग़ालिब आ गए थे। वह अल्लाह के दिए हुए सरोद पकड़े


यहाँ समझदार ज़हन की ज़रूरत है। सात सरों से मुराद सात पहाड़ हैं जिन पर यह औरत बैठी है। यह सात बादशाहों की नुमाइंदगी भी करते हैं।


जब उसने फ़सील की पैमाइश की तो चौड़ाई 60 मीटर थी यानी उस पैमाने के हिसाब से जो वह इस्तेमाल कर रहा था।


मुबारक है वह जो इस नबुव्वत की तिलावत करता है। हाँ, मुबारक हैं वह जो सुनकर अपने दिलों में इस किताब में दर्ज बातें महफ़ूज़ रखते हैं, क्योंकि यह जल्द ही पूरी हो जाएँगी।


एक दिन आएगा जब तुम वहाँ जहाँ उसे नहीं होना चाहिए वह कुछ खड़ा देखोगे जो बेहुरमती और तबाही का बाइस है।” (क़ारी इस पर ध्यान दे!) “उस वक़्त यहूदिया के रहनेवाले भागकर पहाड़ी इलाक़े में पनाह लें।


बहुतों को आज़माकर पाक-साफ़ और ख़ालिस किया जाएगा। लेकिन बेदीन बेदीन ही रहेंगे। कोई भी बेदीन यह नहीं समझेगा, लेकिन समझदारों को समझ आएगी।


कौन दानिशमंद है? वह समझ ले। कौन साहबे-फ़हम है? वह मतलब जान ले। क्योंकि रब की राहें दुरुस्त हैं। रास्तबाज़ उन पर चलते रहेंगे, लेकिन सरकश उन पर चलते वक़्त ठोकर खाकर गिर जाएंगे।


कौन दानिशमंद है? वह इस पर ध्यान दे, वह रब की मेहरबानियों पर ग़ौर करे।


बादशाह ओज देवक़ामत क़बीले रफ़ाई का आख़िरी मर्द था। उसका लोहे का ताबूत 13 से ज़ायद फ़ुट लंबा और छः फ़ुट चौड़ा था और आज तक अम्मोनियों के शहर रब्बा में देखा जा सकता है।


कोई कह सकता है, “हमारी नारास्ती का एक अच्छा मक़सद होता है, क्योंकि इससे लोगों पर अल्लाह की रास्ती ज़ाहिर होती है। तो क्या अल्लाह बेइनसाफ़ नहीं होगा अगर वह अपना ग़ज़ब हम पर नाज़िल करे?” (मैं इनसानी ख़याल पेश कर रहा हूँ)।


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