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مکاشفہ 10:4 - किताबे-मुक़द्दस

4 उनके बोलने पर मैं उनकी बातें लिखने को था कि एक आवाज़ ने कहा, “कड़क की सात आवाज़ों की बातों पर मुहर लगा और उन्हें मत लिखना।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

4 اُن آوازوں کو سُن کر مَیں نے لکھنے کا اِرادہ کیا ہی تھا کہ آسمان سے ایک آواز آتی سُنی، ”جو کچھ اُن گرج کی سِی سات آوازوں سے سُنی ہیں، اُسے پوشیدہ رکھ اَور تحریر میں نہ لا۔“

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کِتابِ مُقادّس

4 اور جب گرج کی ساتوں آوازیں سُنائی دے چُکِیں تو مَیں نے لِکھنے کا اِرادہ کِیا اور آسمان پر سے یہ آواز آتی سُنی کہ جو باتیں گرج کی اِن سات آوازوں سے سُنی ہیں اُن کو پوشِیدہ رکھ اور تحرِیر نہ کر۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

4 اُن کے بولنے پر مَیں اُن کی باتیں لکھنے کو تھا کہ ایک آواز نے کہا، ”کڑک کی سات آوازوں کی باتوں پر مُہر لگا اور اُنہیں مت لکھنا۔“

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مکاشفہ 10:4
13 حوالہ جات  

लेकिन तू, ऐ दानियाल, इन बातों को छुपाए रख! इस किताब पर आख़िरी वक़्त तक मुहर लगा दे! बहुत लोग इधर-उधर घूमते फिरेंगे, और इल्म में इज़ाफ़ा होता जाएगा।”


ऐ दानियाल, शामों और सुबहों के बारे में जो रोया तुझ पर ज़ाहिर हुई वह सच्ची है। लेकिन फ़िलहाल उसे पोशीदा रख, क्योंकि यह वाक़ियात अभी पेश नहीं आएँगे बल्कि बहुत दिनों के गुज़र जाने के बाद ही।”


वह बोला, “ऐ दानियाल, अब चला जा! क्योंकि इन बातों को आख़िरी वक़्त तक छुपाए रखना है। उस वक़्त तक इन पर मुहर लगी रहेगी।


फिर उसने मझे बताया, “इस किताब की पेशगोइयों पर मुहर मत लगाना, क्योंकि वक़्त क़रीब आ गया है।


बहुत कुछ पोशीदा है, और सिर्फ़ रब हमारा ख़ुदा उसका इल्म रखता है। लेकिन उसने हम पर अपनी शरीअत का इनकिशाफ़ कर दिया है। लाज़िम है कि हम और हमारी औलाद उसके फ़रमाँबरदार रहें।


उसने कहा, “जो कुछ तू देख रहा है उसे एक किताब में लिखकर उन सात जमातों को भेज देना जो इफ़िसुस, स्मुरना, पिर्गमुन, थुआतीरा, सरदीस, फ़िलदिलफ़िया और लौदीकिया में हैं।”


इसलिए जो भी कलाम नाज़िल हुआ है वह तुम्हारे लिए सर-बमुहर किताब ही है। अगर उसे किसी पढ़े-लिखे आदमी को दिया जाए ताकि पढ़े तो वह जवाब देगा, “यह पढ़ा नहीं जा सकता, क्योंकि इस पर मुहर है।”


मुझे मुकाशफ़े को लिफाफे में डालकर महफ़ूज़ रखना है, अपने शागिर्दों के दरमियान ही अल्लाह की हिदायत पर मुहर लगानी है।


रब मुझसे हमकलाम हुआ, “एक बड़ा तख़्ता लेकर उस पर साफ़ अलफ़ाज़ में लिख दे, ‘जल्द ही लूट-खसोट, सुरअत से ग़ारतगरी’।”


चुनाँचे जो कुछ तूने देखा है, जो अभी है और जो आइंदा होगा उसे लिख दे।


फिर जो आवाज़ आसमान से सुनाई दी थी उसने एक बार फिर मुझसे बात की, “जा, वह तूमार ले लेना जो समुंदर और ज़मीन पर खड़े फ़रिश्ते के हाथ में खुला पड़ा है।”


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