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زبور 94:20 - किताबे-मुक़द्दस

20 ऐ अल्लाह, क्या तबाही की हुकूमत तेरे साथ मुत्तहिद हो सकती है, ऐसी हुकूमत जो अपने फ़रमानों से ज़ुल्म करती है? हरगिज़ नहीं!

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

20 کیا جِس تخت پر ظالِم حُکمراں مُسلّط ہو اَورجو قوانین کی آڑ لے کر بُرائی کا باعث بَن جائے، آپ سے رابطہ رکھ سَکتا ہے؟

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کِتابِ مُقادّس

20 کیا شرارت کے تخت سے تُجھے کُچھ واسطہ ہو گا جو قانُون کی آڑ میں بدی گھڑتا ہے؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

20 اے اللہ، کیا تباہی کی حکومت تیرے ساتھ متحد ہو سکتی ہے، ایسی حکومت جو اپنے فرمانوں سے ظلم کرتی ہے؟ ہرگز نہیں!

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زبور 94:20
23 حوالہ جات  

तुम पर अफ़सोस जो ग़लत क़वानीन सादिर करते और ज़ालिम फ़तवे देते हो


हरगिज़ नहीं, तुम दिल में बदी करते और मुल्क में अपने ज़ालिम हाथों के लिए रास्ता बनाते हो।


लेकिन राहनुमा इमामों और फ़रीसियों ने हुक्म दिया था, “अगर किसी को मालूम हो जाए कि ईसा कहाँ है तो वह इत्तला दे ताकि हम उसे गिरिफ़्तार कर लें।”


मैंने सूरज तले मज़ीद देखा, जहाँ अदालत करनी है वहाँ नाइनसाफ़ी है, जहाँ इनसाफ़ करना है वहाँ बेदीनी है।


तू इसराईल के बादशाहों उमरी और अख़ियब के नमूने पर चल पड़ा है, आज तक उन्हीं के मनसूबों की पैरवी करता आया है। इसलिए मैं तुझे तबाही के हवाले कर दूँगा, तेरे लोगों को मज़ाक़ का निशाना बनाऊँगा। तुझे दीगर अक़वाम की लान-तान बरदाश्त करनी पड़ेगी।”


तुम अपने आपको आफ़त के दिन से दूर समझकर अपनी ज़ालिम हुकूमत दूसरों पर जताते हो।


उसके वालिदैन ने यह इसलिए कहा कि वह यहूदियों से डरते थे। क्योंकि वह फ़ैसला कर चुके थे कि जो भी ईसा को मसीह क़रार दे उसे यहूदी जमात से निकाल दिया जाए।


क्या तुझे सूबे में ऐसे लोग नज़र आते हैं जो ग़रीबों पर ज़ुल्म करते, उनका हक़ मारते और उन्हें इनसाफ़ से महरूम रखते हैं? ताज्जुब न कर, क्योंकि एक सरकारी मुलाज़िम दूसरे की निगहबानी करता है, और उन पर मज़ीद मुलाज़िम मुक़र्रर होते हैं।


लेकिन बेदीन से अल्लाह फ़रमाता है, “मेरे अहकाम सुनाने और मेरे अहद का ज़िक्र करने का तेरा क्या हक़ है?


फिर यहूदी ईसा को कायफ़ा से लेकर रोमी गवर्नर के महल बनाम प्रैटोरियुम के पास पहुँच गए। अब सुबह हो चुकी थी और चूँकि यहूदी फ़सह की ईद के खाने में शरीक होना चाहते थे, इसलिए वह महल में दाख़िल न हुए, वरना वह नापाक हो जाते।


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। हिकमत का यह गीत उस वक़्त से मुताल्लिक़ है जब दोएग अदोमी साऊल बादशाह के पास गया और उसे बताया, “दाऊद अख़ीमलिक इमाम के घर में गया है।” ऐ सूरमे, तू अपनी बदी पर क्यों फ़ख़र करता है? अल्लाह की शफ़क़त दिन-भर क़ायम रहती है।


उसने एक नई ईद भी रायज की जो यहूदाह में मनानेवाली झोंपड़ियों की ईद की मानिंद थी। यह ईद आठवें माह के पंद्रहवें दिन मनाई जाती थी। बैतेल में उसने ख़ुद क़ुरबानगाह पर जाकर अपने बनवाए हुए बछड़ों को क़ुरबानियाँ पेश कीं, और वहीं उसने अपने उन मंदिरों के इमामों को मुक़र्रर किया जो उसने ऊँची जगहों पर तामीर किए थे।


आसफ़ का ज़बूर। अल्लाह इलाही मजलिस में खड़ा है, माबूदों के दरमियान वह अदालत करता है,


जब पहुँचे तो साऊल बोला, “अख़ीतूब के बेटे, सुनें।” अख़ीमलिक ने जवाब दिया, “जी मेरे आक़ा, हुक्म।”


जो अपने कान में उँगली डाले ताकि शरीअत की बातें न सुने उस की दुआएँ भी क़ाबिले-घिन हैं।


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